आर.टी.आई के तहत सूचना प्रदान के लिए पदाधिकारी नियुक्त

सूचना का अधिकार : आम लोगों को मजबूत और जागरूक बनाने की अहम भूमिका

पोस्टल डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी: केंद्र सरकार के सभी विभागों के लिए 621 पोस्ट ऑफिसों को सहायक जन सूचना दफ्तर बनाया गया है। आप इनमें से किसी पोस्ट ऑफिस में जाकर आरटीआई काउंटर पर फीस और ऐप्लिकेशन जमा कर सकते हैं। वे आपको रसीद और एक्नॉलेजमेंट (पावती पत्र) देंगे। पोस्ट ऑफिस की जिम्मेदारी है कि वह ऐप्लिकेशन संबंधित अधिकारी तक पहुंचाए। इसके अलावा आप किसी भी बड़े पोस्ट ऑफिस में जाकर खुले लिफाफे में अपनी ऐप्लिकेशन दे सकते हैं। इस तरह आपको पोस्टल चार्ज नहीं देना होगा। आप स्टैंप लगाकर पोस्टल ऑडर या डिमांड ड्राफ्ट के साथ सीधे ऐप्लिकेशन को लेटर बॉक्स में भी डाल सकते हैं।

कैसे लिखें आरटीआई ऐप्लिकेशन

– सूचना पाने के लिए कोई तय प्रोफार्मा नहीं है। सादे कागज पर हाथ से लिखकर या टाइप कराकर 10 रुपये की तय फीस के साथ अपनी ऐप्लिकेशन संबंधित अधिकारी के पास किसी भी रूप में (खुद या डाक द्वारा) जमा कर सकते हैं।

– आप हिंदी, अंग्रेजी या किसी भी स्थानीय भाषा में ऐप्लिकेशन दे सकते हैं।

– ऐप्लिकेशन में लिखें कि क्या सूचना चाहिए और कितनी अवधि की सूचना चाहिए?

– आवेदक को सूचना मांगने के लिए कोई वजह या पर्सनल ब्यौरा देने की जरूरत नहीं। उसे सिर्फ अपना पता देना होगा। फोन या मोबाइल नंबर देना जरूरी नहीं लेकिन नंबर देने से सूचना देने वाला विभाग आपसे संपर्क कर सकता है।

– गरीबी रेखा के नीचे की कैटिगरी में आने वाले आवेदक को किसी भी तरह की फीस देने की जरूरत नहीं। इसके लिए उसे अपना बीपीएल सर्टिफिकेट दिखाना होगा। इसकी फोटो कॉपी लगानी होगी।

– सिर्फ जन सूचना अधिकारी को ऐप्लिकेशन भेजते समय ही फीस देनी होती है। पहली अपील या सेंट्रल इन्फेर्मशन कमिश्नर को दूसरी अपील के लिए भी 10 रुपये की फीस देनी होगी।

– अगर सूचना अधिकारी आपको समय पर सूचना उपलब्ध नहीं करा पाता और आपसे 30 दिन की समयसीमा गुजरने के बाद डॉक्युमेंट उपलब्ध कराने के नाम पर अतिरिक्त धनराशि जमा कराने के लिए कहता है तो यह गलत है। ऐसे में अधिकारी आपको मुफ्त डॉक्युमेंट उपलब्ध कराएगा, चाहे उनकी संख्या कितनी भी हो।

एक्स्ट्रा फीस: सूचना लेने के लिए आरटीआई एक्ट में ऐप्लिकेशन फीस के साथ एक्स्ट्रा फीस का प्रोविजन भी है, जो इस तरह है :

– फोटो कॉपी: हर पेज के लिए 2 रुपये

– बड़े आकार में फोटो कॉपी: फोटो कॉपी की लागत कीमत

– दस्तावेज देखने के लिए: पहले घंटे के लिए कोई फीस नहीं, इसके बाद हर घंटे के लिए फीस 5 रुपये

– सीडी: एक सीडी के लिए 50 रुपये

कब हो सकता है इनकार: कुछ खास हालात में ही जन सूचना अधिकारी आपकी ऐप्लिकेशन लेने से इनकार कर सकता है, जैसे कि :

– अगर ऐप्लिकेशन किसी दूसरे जन सूचना अधिकारी या पब्लिक अथॉरिटी के नाम पर हो।

– अगर आप ठीक तरह से सही फीस का भुगतान न कर पाए हों।

– अगर आप गरीबी रेखा से नीचे के परिवार के सदस्य के रूप में फीस से छूट मांग रहे हैं, लेकिन इससे जुड़े सटिर्फिकेट की फोटोकॉपी न दे पाए हों।

– अगर कोई खास सूचना दिए जाने से सरकारी विभाग के संसाधनों का गलत इस्तेमाल होने की आशंका हो या इससे रेकॉर्डां को देखने में किसी नुकसान की आशंका हो।

नोट- अगर आरटीआई को जन सूचना अधिकारी रिजेक्ट कर देता है, तो भी आवेदक को वह कुछ सूचनाएं जरूर देगा। ये हैं:

– रिजेक्शन की वजह

– उस टाइम पीरियड की जानकारी, जिसमें रिजेक्शन के खिलाफ अपील दायर की जा सके

– उस अधिकारी का नाम व पता, जिसके यहां इस फैसले के खिलाफ अपील की जा सकती है।

देरी होने पर कार्रवाई: आमतौर पर सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी 30 दिन में मिल जानी चाहिए। जीवन और सुरक्षा से संबंधित मामलों में 48 घंटों में सूचना मिलनी चाहिए, जबकि थर्ड पार्टी यानी प्राइवेट कंपनियों के मामले में 45 दिन की लिमिट है। ऐसा न होने पर संबंधित विभाग के संबंधित अधिकारी पर 250 रुपये रोजाना के हिसाब से 25 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। गलत या गुमराह करनेवाली सूचना देने या गलत भावना से ऐप्लिकेशन रिजेक्ट करने पर भी कार्रवाई का प्रावधान है।

अपील का अधिकार- अगर आवेदक को तय समयसीमा में सूचना मुहैया नहीं कराई जाती या वह दी गई सूचना से संतुष्ट नहीं होता है तो वह प्रथम अपीलीय अधिकारी के सामने अपील कर सकता है। पीआईओ की तरह प्रथम अपीलीय अधिकारी भी उसी विभाग में बैठता है, जिससे संबंधित जानकारी आपको चाहिए।

– प्रथम अपील के लिए कोई फीस नहीं देनी होगी। अपनी ऐप्लिकेशन के साथ जन सूचना अधिकारी के जवाब और अपनी पहली ऐप्लिकेशन के साथ-साथ ऐप्लिकेशन से जुड़े दूसरे दस्तावेज अटैच करना जरूरी है।

– ऐसी अपील सूचना उपलब्ध कराए जाने की समयसीमा के खत्म होने या जन सूचना अधिकारी का जवाब मिलने की तारीख से 30 दिन के अंदर की जा सकती है।

– अपीलीय अधिकारी को अपील मिलने के 30 दिन के अंदर या खास मामलों में 45 दिन के अंदर अपील का निपटान करना जरूरी है।

– इसके अलावा कुछ और वजहों से आप सीआईसी जा सकते हैं, जैसे कि अगर आप संबंधित पब्लिक अथॉरिटी में जन सूचना अधिकारी न होने की वजह से आरटीआई नहीं डाल सकते।

– केंद्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी आपकी ऐप्लिकेशन को संबंधित केंद्रीय लोक (जन) सूचना अधिकारी या अपीलीय अधिकारी को भेजने से इनकार करे

– सूचना के अधिकार एक्ट के तहत सूचना पाने की आपकी रिक्वेस्ट ठुकरा दी जाए या आधी-अधूरी जानकारी दी जाए।

सुरक्षा का खतरा: ऐप्लिकेंट सुरक्षा को लेकर सीआईसी कई बार निर्देश दिए हैं। उनका कहना है कि अगर आवेदक को कोई खतरा महसूस होता है तो वह पुलिस अपनी सुरक्षा मांग सकता है।

ऐसा भी हो सकता है : कई बार आपका ऐप्लिकेशन ऑफिसों में रिसीव नहीं किया जाता है। अगर ऐसी कोई दिक्कत आए तो अपना आवेदन स्पीड पोस्ट से भेजें।

अपने मोबाइल से भी पा सकते हैं जानकारीअगर आपके पास एंड्रॉयड मोबाइल फोन है तो इस लिंक पर जाकर एप डाउनलोड कर सकते हैं:

सीआईसी के पास पेंडिंग केस: सेंट्रल इन्फर्मेशन कमिशन के पास 5 दिसंबर 2012 तक आरटीआई से संबंधित 27000 से ज्यादा केस पेंडिंग हैं। लोकसभा में एक सवाल के जवाब में राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने बताया कि सीआईसी के हर कमिश्नर साल में औसतन 2800 केसों का निपटारा करते हैं, लेकिन आरटीआई के आवेदनों की संख्या बढ़ने से पेंडिंग केसों की संख्या बढ़ती जा रही है। [NBT]

आरटीआई की दूसरी अपील कब करें

आरटीआई अधिनियम सभी नागरिकों को लोक प्राधिकरण द्वारा धारित सूचना की अभिगम्यता का अधिकार प्रदान करता है. यदि आपको किसी सूचना की अभिगम्यता प्रदान करने से मना किया गया हो तो आप केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के समक्ष अपील/ शिकायत दायर कर सकते हैं.

दूसरी अपील कब दर्ज करें

19 (1) कोई व्यक्ति, जिसे उपधारा (1) अथवा धारा 7 की उपधारा (3) के खंड (क) के तहत निर्दिष्ट समय के अंदर निर्णय प्राप्त नहीं होता है अथवा वह केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी के निर्णय से पीड़ित है, जैसा भी मामला हो, वह उक्त अवधि समाप्त होने के 30 दिनों के अंदर अथवा निर्णय प्राप्त होने के 30 दिनों के अंदर उस अधिकारी के पास एक अपील दर्ज करा सकता है, जो प्रत्येक लोक प्राधिकरण में केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी से वरिष्ठ स्तर का है, जैसा भी मामला हो:

बशर्ते उक्त अधिकारी 30 दिन की अवधि समाप्त होने के बाद अपील स्वीकार कर लेता है. यदि वह इसके प्रति संतुष्ट है कि अपीलकर्ता को समय पर अपील करने से रोकने का पर्याप्त कारण है.

19 (2): जब केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी, जैसा भी मामला हो, द्वारा धारा 11 के तहत तीसरे पक्ष की सूचना का प्रकटन किया जाता है, तब संबंधित तीसरा पक्ष आदेश की तिथि के 30 दिनों के अंदर अपील कर सकता है.

19 (3) उपधारा 1 के तहत निर्णय के विरुद्ध एक दूसरी अपील तिथि के 90 दिनों के अंदर की जाएगी, जब निर्णय किया गया है अथवा इसे केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग में वास्तविक रूप से प्राप्त किया गया है:

बशर्ते केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो, 90 दिन की अवधि समाप्त होने के बाद अपील स्वीकार कर सकता है, यदि वह इसके प्रति संतुष्ट हो कि अपीलकर्ता को समय पर अपील न कर पाने के लिए पर्याप्त कारण हैं.

19 (4): यदि केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी का निर्णय, जैसा कि मामला हो, दिया जाता है और इसके विरुद्ध तीसरे पक्ष की सूचना से संबंधित एक अपील की जाती है तो केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो, उस तीसरे पक्ष को सुनने का एक पर्याप्त अवसर देगा.

19 (7): केद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग का निर्णय, जैसा भी मामला हो, मानने के लिए बाध्य होगा.

19 (8): अपने निर्णय में केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो, को निम्नलिखित का अधिकार होगा.

(क) लोक प्राधिकरण द्वारा वे क़दम उठाए जाएं, जो इस अधिनियम के प्रावधानों के साथ पालन को सुनिश्चित करें, जिसमें शामिल हैं

सूचना तक पहुंच प्रदान करने द्वारा, एक विशेष रूप में, यदि ऐसा अनुरोध किया गया है;

केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी की नियुक्ति द्वारा, जैसा भी मामला हो;

सूचना की कुछ श्रेणियों या किसी विशिष्ट सूचना के प्रकाशन द्वारा;

अभिलेखों के रखरखाव, प्रबंधन और विनाश के संदर्भ में प्रथाओं में अनिवार्य बदलावों द्वारा;

अपने अधिकारियों को सूचना के अधिकार पर प्रशिक्षण के प्रावधान बढ़ाकर;

धारा 4 की उपधारा (1) के खंड (ख) का पालन करते हुए वार्षिक प्रतिवेदन प्रदान करना;

(ख) लोक प्राधिकरण द्वारा किसी क्षति या अन्य उठाई गई हानि के लिए शिकायतकर्ता को मुआवज़ा देना;

(ग) अधिनियम के तहत प्रदान की गई शक्तियों को अधिरोपित करना;

(घ) आवेदन अस्वीकार करना.

19 (9): केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो, अपील के अधिकार सहित अपने निर्णय की सूचना शिकायतकर्ता और लोक प्राधिकरण को देगा.

19 (10): केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो, उक्त प्रक्रिया में निर्धारित विधि द्वारा अपील का निर्णय देगा.

ऑनलाइन करें अपील या शिकायत: अगर लोक सूचना अधिकारी ने आपको जवाब नहीं दिया या दिया भी तो ग़लत और आधा-अधूरा? या प्रथम अपीलीय अधिकारी ने भी आपकी बात नहीं सुनी? ज़ाहिर है, अब आप प्रथम अपील या शिकायत करने की सोच रहे होंगे। अगर मामला केंद्रीय विभाग से जुड़ा हो तो इसके लिए आपको केंद्रीय सूचना आयोग आना पड़ेगा। अब आपको द्वितीय अपील या शिकायत दर्ज कराने के लिए केंद्रीय सूचना आयोग के दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। अब आप सीधे सीआईसी में ऑनलाइन द्वितीय अपील या शिकायत कर सकते हैं। सीआईसी में शिकायत या द्वितीय अपील दर्ज कराने के लिए हीं http:rti.india.gov.in में दिया गया फार्म भरकर जमा करना है। क्लिक करते ही आपकी शिकायत या अपील दर्ज हो जाती है।

दरअसल यह व्यवस्था भारत सरकार की ई-गवर्नेंस योजना का एक हिस्सा है। अब वेबसाइट के माध्यम से केंद्रीय सूचना आयोग में शिकायत या द्वितीय अपील भी दर्ज की जा सकती है। इतना ही नहीं, आपकी अपील या शिकायत की वर्तमान स्थिति क्या है, उस पर क्या कार्रवाई की गई है, यह जानकारी भी आप घर बैठे ही पा सकते हैं। सीआईसी में द्वितीय अपील दर्ज कराने के लिए वेबसाइट में प्रोविजनल संख्या पूछी जाती है। वेबसाइट पर जाकर आप सीआईसी के निर्णय, वाद सूची, अपनी अपील या शिकायत की स्थिति भी जांच सकते हैं. इस पहल को सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम माना जा रहा है. सूचना का अधिकार क़ानून लागू होने के बाद से लगातार यह मांग की जा रही थी कि आरटीआई आवेदन एवं अपील ऑनलाइन करने की व्यवस्था की जाए, जिससे सूचना का अधिकार आसानी से लोगों तक अपनी पहुंच बना सके और आवेदक को सूचना प्राप्त करने में ज़्यादा द़िक्क़त न उठानी पड़े।

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