पर्यावरण मंत्रालय ने राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छता विकास प्रक्रिया प्राधिकरण पर नर्इ वेबसाइट का किया शुभारम्‍भ

नई दिल्ली: पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छता विकास प्रक्रिया प्राधिकरण (एनसीडीएमए) ने नई वेबसाइट http://www.ncdmaindia.gov.in का शुभारंभ किया। पिछले शुक्रवार को शुरू की गई नई वेबसाइट सीडीएम परियोजनाओं का पूरा जीवन चक्र कवर करेगा। इसके शुरूआत के साथ ही मंत्रालय ने ई-गवर्नेंस के सिद्धांत को लागू करने की दिशा में एक और कदम बढ़ाया है।

परियोजना से संबंधित जानकारी को मापदंड के तरीकों के अनुसार ऑन लाइन देने से स्‍वच्‍छता विकास प्रक्रिया (सीएमडी) परियोजनाओं के पूरे जीवन चक्र को समझने में मदद मिलेगी। इससे विभिन्‍न स्‍तरों पर परियोजनाओं की निगरानी भी होगी। इस वेब आधारित एप्लिकेशन से देश में सीएमडी परियोजनाओं से संबंधित सतत विकास गतिविधियों के परिचालन और निगरानी में पारदर्शिता बढ़ेगी। वैश्विक स्‍तर पर इस दिशा में विक‍सित यह पहला वेब आधारित एप्लिकेशन होगा।

इस अवसर पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में सचिव अशोक लवासा ने देश के एनसीडीएमए की कार्य प्रक्रिया को और व्‍यवस्थित करने की पहल की सराहना की। एनसीडीएमए को सबसे अधिक कार्य कुशल और सक्रिय मनोनीत राष्‍ट्रीय प्राधिकरण (डीएनए) माना जाता है।

लवासा ने स्‍मरण किया कि राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छता विकास प्रक्रिया प्राधिकरण (एनसीडीएमए) सीएमडी परियोजनाओं को मेजबान देश अनुमोदन (एचसीए) के लिए दिसम्‍बर 2003 में राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छता विकास प्रक्रिया प्राधिकरण (एनसीडीएमए) की स्‍थापना की गई थी। 30 अप्रैल, 2015 तक उसने 2,941 परियोजनाओं को एचसीए प्रदान कर दिया था, जिससे देश में करीब 579,306 करोड़ रुपये का निवेश संभव हुआ। ये परियोजनाएं ऊर्जा क्षमता, ईंधन बदलने, औद्योगिक प्रक्रियाओं, नगरपालिका ठोस अपशिष्‍ट, नवीकरणीय ऊर्जा और वन क्षेत्र में हैं, जो देशभर में फैली हुई हैं। 24 अप्रैल, 2015 को सीएमडी कार्यकारी बोर्ड द्वारा पंजीकृत कुल 7629 परियोजनाओं में से 1564 परियोजनाएं भारत से हैं, जो विश्‍व में दूसरी सबसे अधिक परियोजनाएं हैं। 191 मिलियन (13.27 प्रतिशत) भारतीय परियोजनाओं को उत्‍सर्जन में प्रमाणित कमी (सीईआर) का प्रमाण पत्र जारी किया गया है।

एनसीडीएमए की स्‍थापना से अब तक परियोजनाओं की मंजूरी कागजी कार्रवाई के जरिए दी जाती थी। जुलाई, 2010 में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने जीआईजेड की मदद से समय और परियोजना आंकड़ों को सौंपने की प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर कागज के उपयोग को कम करने के लिए मौजूदा वेबसाइट http://cdmindia.gov.in/admin/ विकसित की और जुलाई 2010 में आंशिक रूप से पेपर के बिना काम करना शुरू किया गया।

बाद में, सरकार ने बड़े पैमाने पर सीडीएम परियोजनाओं को प्रमाणित उत्सर्जन कटौती (सीईआर) की बिक्री से प्राप्‍त राजस्व का 2% स्थानीय समुदायों के सतत विकास गतिविधियों के लिए निर्धारित करने को कहा। हालांकि मौजूदा खाके में आवश्‍यक जानकारियां नहीं है और मेजबान देश अनुमोदित पंजीकृत/गैरपंजीकृत परियोजनाओं की स्थिति के बारे में भी पूरी जानकारी नही है। इसलिये नामित राष्‍ट्रीय प्राधिकरण (डीएनए) के कार्य में सुधार के लिए एनसीडीएमए के सदस्‍यों द्वारा यह फैसला किया गया कि सीडीएमए परियोजनाओं के पूरे जीवन चक्र को कवर किया जाए और सीईआर राजस्‍व के दो प्रतिशत भागीदारी के लिए परियोजना प्रस्‍तावकों के प्रतिबद्धता की निगरानी का भी प्रावधान हो।

नई वेबसाइट जीआईजेड की मदद से डिजाइन और विकसित की गई है। यह एमआईएस तरीके से वेब आधारित तुलना और निगरानी के लिए उपकरण है। यह परियोजना प्रस्‍तावकों द्वारा उपयोगकर्ता के लिए पंजीकरण, पूर्व सूचना, परियोजना सौंपना, मेजबान देश अनुमोदन, मान्‍यता, पंजीकरण, सीईआर जारी करना और देना जैसे विभिन्‍न तरीकों से प्रदान की गई जानकारी उपलब्‍ध कराएगा। परियोजना की जानकारी सौंपने पर यह कार्य प्रवाह की मंजूरी, मेजबान देश अनुमोदन से संबंधित सभी कार्यों के कागजात तैयार करने; एनसीडीएमए बैठकें, प्राधिकरण के पत्र जारी करेगा। रिपोर्टिंग मॉडयूल परियोजना की स्थिति को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्‍न रिपोर्ट तैयार करेगी।  

लवासा ने यह भी कहा कि क्‍योटो प्रोटोकॉल (2013 से 2020) की दूसरी प्रतिबद्धता अवधि में सीडीएम परियोजनाओं की संख्‍या काफी कम हो गई। 2012 में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्‍त राष्‍ट्र फ्रेमवर्क सम्‍मेलन (यूएनएफसीसीसी) में 3227 परियोजनाएं पंजीकृत की गई थीं, जबकि 2013 में घटकर 307 परियोजनाएं रह गईं। 2014 में यह और कम होकर 158 रह गई और 2015 में अब तक केवल 47 परियोजनाएं ही पंजीकृत हुई हैं। गौरतलब है कि 2013 में भारत से 115 परियोजनाएं पंजीकृत की गईं, जो किसी भी देश द्वारा पंजीकृत सबसे अधिक परियोजनाएं हैं। पिछले वर्ष एनसीडीएमए ने 76 परियोजनाओं को मेजबान देश अनुमोदन प्रदान किया और 2014 में भारत ने यूएनएफसीसीसी के साथ 56 परियोजनाएं पंजीकृत कीं। इसलिए भविष्‍य की परिस्थितियों को ध्‍यान में रखते हुए यह वेबसाइट यूएनएफसीसीसी के तहत आगे बाजार प्रक्रियाएं तैयार करने के लिए डीएनए विकसित करने में मदद कर सकती है।

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