शिमला: राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के अन्तर्गत प्रशिक्षित किए जा रहे लोगों को शहरी विकास विभाग शीघ्र उनके उत्पादों के विपणन की सुविधा प्रदान करेगा। इससे शहरी क्षेत्रों के निर्धन कुशल श्रमिकों को जहां विपणन की बेहतर सुविधा मिलेगी, वहीं शहरी क्षेत्रों के लोगों को भी दक्ष सेवाएं उपलब्ध होंगी।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (शहरी विकास) मनीषा नन्दा ने विभागीय अधिकारियों के साथ आयोजित समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विभाग राष्ट्रीय दक्षता उन्नयन योजना के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को गुणात्मक कौशल प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान कर रहा है और उन्हें विपणन की सुविधा देने के उद्देश्य से शीघ्र कदम उठाए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के अन्तर्गत प्रदेश में अभी तक 540 स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जा चुका है और विभाग इन्हें और सशक्त बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है। उन्होंने विभाग को निर्देश दिए कि राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के अन्तर्गत आने वाले प्रदेश के सभी कस्बों में चरणबद्ध तरीके से शहरी आजविका केन्द्र खोले जाएं। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में पलंबर, इलेक्ट्रिशियन, मिस्त्रियों और विभिन्न उपकरणों की मुरम्मत करने आदि जैसी दक्ष सेवाएं उपलब्ध करवाने में इससे सहायता मिलेगी।
मनीषा नन्दा ने कहा कि विभाग शहरी क्षेत्रों को कचरामुक्त बनाने की दिशा में ठोस कदम उठा रहा है। उन्होंने धर्मशाला, सुन्दरनगर व पांवटा साहिब में कचरामुक्त कूड़ेदान स्थापित करने के निर्देश देते हुए कहा कि लोगों को कूड़ेदान का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सामुदायिक जागरूकता अभियान भी चलाया जाए।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में प्रत्येक घर में शौचालय, सामुदायिक शौचालयों और सार्वजनिक शौचालयों का सर्वेक्षण करवाया जा रहा है और जहां यह सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, वहां शीघ्र इन सुविधाओं को प्रदान किया जाएगा ताकि वर्ष 2016 के अन्त तक हिमाचल प्रदेश को पूर्ण रूप से खुला शौचमुक्त बनाया जा सके। शहरी विकास विभाग के निदेशक कैप्टन जे.एम. पठानिया सहित विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।