दुर्लभ लिखित निधियों के डिजिटल संरक्षण व बचाव के लिए भारत व फ्रांस के बीच समझौता

नई दिल्ली: राष्ट्रीय पुस्तकालय, कोलकाता में आज भारत और फ्रांस ने लिखित विरासत को संजोने, संवारने व प्रचारित करने के लिए एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया। संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पुस्तकालय) श्रेया गुहा और फ्रांस के राष्ट्रीय पुस्तकालय के अध्यक्ष ब्रूनो रसीन ने अपने-अपने देश की तरफ से इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता दोनों देशों के बीच डिजिटल सहयोग, तकनीक व विशेषज्ञों की साझेदारी, क्षमता व कौशल विकास व सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देगा।

इस समझौते के जरिये पांडुलिपियों व दस्तावेजों को डिजिटल रूप में करने के लिए फ्रांस में 7 साल पहले शुरू हुए कार्यक्रम से इस क्षेत्र में उनके उच्च श्रेणी विशेषज्ञों व अनुभवों से सीखने को मिलेगा। गुहा ने कहा कि संस्कृति मंत्रालय भारत में एक राष्ट्रीय आभासी (वर्चुअल) पुस्तकालय खड़ा करने की परियोजना पर जोर दे रहा है, जहां ढेर सारी पांडुलिपियां, दस्तावेज व कलाकृतियां संजोयी या साझा की जा सकेंगी। यह समझौता इस लंबी परियोजना को पूरा करने में काफी मदद करेगा। राष्ट्रीय आभासी पुस्तकालय से दोनों देशों की विभिन्न सरकारी संस्थाओं के पास मौजूद ज्ञान स्रोतों को जोड़ा व साझा किया जाएगा। फ्रांस भी भारत को उनके पास मौजूद हजारों दस्तावेजों खासतौर से संस्कृत व तमिल भाषा के दस्तावेजों को वर्गीकृत व उनका अर्थ निकालने में मदद देने के लिए उत्सुक है। रसीन ने रबिन्द्र नाथ टैगोर व फ्रांस के विद्वान सेल्विन लेविन के बीच हुए कई पत्राचारों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ये सब इस डिजिटल संग्रह का हिस्सा हो सकते हैं। रसीन ने कहा कि इस संबंध में संयुक्त रूप से कई भारत-फ्रांस संवाद व सम्मेलन किए जाने हैं।

राष्ट्रीय पुस्तकालय के महानिदेशक डॉ. अरुण कुमार चक्रवर्ती व कोलकाता में फ्रांस के नए काउंसिल-जनरल भी इस मौके पर मौजूद थे ।

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