- भारतीय जीवन बीमा निगम ने (एलआईसी) ने रेलवे को वित्तीय सहायता की पहली किश्त के रूप में 2000 करोड़ रुपये का चैक किया प्रस्तुत
- यह कदम रेलवे परियोजनाओं के लिए पहली बार उपलब्ध होने जा रहे संस्थागत वित्त पोषण के रूप में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर होने की शुरुआत है
- नए निवेशों से नेटवर्क की व्यस्तता को कम करने, यातायात उत्पादन बढ़ाने और पर्याप्त आंतरिक संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी : सुरेश प्रभु
नई दिल्ली: भारत सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम, भारतीय जीवन बीमा निगम ने रेलवे के सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (पीएसयू) भारतीय रेलवे वित्त निगम (आईआरएफसी) को रेलवे की परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता की पहली किश्त के रूप में आज (27 अक्तूबर, 2015) 2000 करोड़ रुपये का चैक भेंट किया। यह चैक रेल भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में रेल मंत्री सुरेश प्रभु की उपस्थिति में सौंपा गया। यह चैक जीवन बीमा निगम के प्रबंध निदेशक एस.बी. मैनाक ने आईआरएफसी के प्रबंध निदेशक राजीव दत्त को सौंपा। इस अवसर पर, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ए.के. मित्तल, वित्त आयुक्त (रेलवे) एवं अध्यक्ष, आईआरएफसी एस मुकर्जी, रेलवे बोर्ड के अन्य सदस्य तथा रेलवे और भारतीय जीवन बीमा निगम के अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।
उल्लेखनीय है कि रेल बजट 2015-16 प्रस्तुत करने के केवल पंद्रह दिनों के अंदर ही बजट घोषणा का एक प्रमुख वायदा 11 मार्च, 2015 को पूरा कर दिया गया था, जब भारतीय जीवन बीमा निगम से रेलवे को अब तक का सर्वाधिक 1.5 लाख करोड़ रूपये का वित्त पोषण उपलब्ध कराने के लिए रेल और भारतीय जीवन बीमा निगम ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे।
उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने बताया कि क्षमता बढ़ाने की परियोजनाओं में निवेश के लिए वित्तीय संसाधनों को खोजना रेलवे के लिए एक प्रमुख चुनौती थी। निवेश के बिना नेटवर्क की व्यस्तता कम करना, यातायात उत्पादन बढ़ाना और पर्याप्त आंतरिक संसाधन जुटाना संभव नहीं था। उन्होंने कहा कि अगर नया निवेश नहीं होता तो रेलवे की स्थिति में और गिरावट आ जाएगी और वह इस दुष्चक्र बाहर आने में सफल नहीं होगी।
रेलवे बजट 2015-16 में संस्थागत वित्त के रूप में धन के नए स्रोत जुटाने का प्रावधान किया गया है। यह एक बड़ी उपलब्धि है कि रेल बजट प्रस्तुत करने के कुछ ही दिनों के भीतर ही रेल मंत्रालय ने 5 वर्ष की अवधि के लिए रेलवे की परियोजनाओं के वित्त पोषण हेतु 1.5 लाख करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। भारतीय जीवन बीमा निगम का वित्त पोषण 30 वर्ष की अवधि के लिए किया जाएगा, जो रेलवे की परियोजनाओं में निवेश के लिए उसकी दीर्घकालीन जरूरत के अनुरूप है।
भारतीय जीवन बीमा निगम की निधियों पर सरकारी प्रतिभूतियों के अनुसार कम ब्याज दर लगेगी और कुछ समय बाद इस निधि की लागत में और कमी आने की उम्मीद है। सुरेश प्रभाकर प्रभु ने कहा कि भारतीय जीवन बीमा निगम का पहला चैक जारी होने के साथ ही आज एक महत्वपूर्ण शुरुआत हुई है। अब यह रेलवे पर निर्भर है कि वह इसका अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए इस धन का लाभकारी एवं उचित तरीके से उपयोग करने की चुनौती का किस प्रकार सामना करता है। उन्होंने कहा कि इन निधियों से न केवल नई रेल परियोजनाओं की जरूरतों को पूरा किया जाएगा, बल्कि उन वर्तमान परियोजनाओं में भी इसका उपयोग किया जाएगा, जो रेलवे प्रणाली को तुरन्त लाभ प्रदान करने वाली हो। उन्होंने कहा कि निधियों की यह व्यवस्था भारतीय जीवन बीमा निगम और रेलवे दोनों संगठनों के लिए फायदेमंद होगी। रेलवे के सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम आईआरएफसी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आईआरएफसी अब रेलवे के लिए निवेश जुटाने के लिए एक प्रमुख वाहक के रूप में उभरा है।
अपने भाष्ण में भारतीय जीवन बीमा निगम के प्रबंध निदेशक मैनाक ने इसे एक सुनहरा दिवस बताया, क्योंकि जीवन बीमा निगम को भारतीय रेलवे में एक भागीदार मिल गया है, जो भारतीय जीवन बीमा निगम के पास उपलब्ध दीर्घकालीन निधियों के निवेश के लिए एक व्यवहार्य और अच्छा संगठन है। उन्होंने भविष्य में रेल परियोजनाओं के लिए निरंतर मदद करने की भी पेशकश की।
रेलवे के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम की निधियां 10 साल के बेंचमार्क लाभ पर 30 बीपीएस दर पर उपलब्ध होगी। यह ऋण 5 साल के स्थगन के साथ 30 वर्ष की अवधि के लिए है। इसके बाद 6 से 10 साल तक इस पर केवल ब्याज का भुगतान करना होगा। 11 से 30वें वर्ष तक ऋण का पुनर्भुगतान बराबर किश्तों में किया जाएगा।
रेलवे बोर्ड के वित्तीय सलाहकार पी.वी. वैद्यलिंगम ने कार्यक्रम के अंत में उपस्थित लोगों का धन्यवाद किया। रेलवे बोर्ड की कार्यकारी निदेशक वित्त (संसाधन जुटाना) नमिता मेहरोत्रा ने कार्यक्रम का संचालन किया।