प्रदेश के विकास में खनन उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका

  • प्राकृतिक संसाधनों का नियन्त्रित एवं वैज्ञानिक दोहन

 

प्रदेश के विकास में खनन उद्योग की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। खनन उद्योग की जहां एक ओर प्रदेश की आर्थिकी में अहम भूमिका है, वहीं लोगों को उपयोगी रोज़गार भी प्रदान करता है। राज्य का विकास एवं समृद्धि इसके खनिज संसाधनों की खोज व प्रबन्धन पर निर्भर करती है। प्रदेश में हो रहे विभिन्न विकासात्मक कार्यों, नए उद्योगों की स्थापना, सड़क निर्माण तथा अन्य घरेलू ज़रूरतों की पूर्ति के लिए आवश्यक रेत, रोड़ी, बजरी व पत्थर की मांग निरन्तर बढ़ रही है। इससे प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों पर अत्यधिक बोझ पड़ा है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि इन संसाधनों का वैज्ञानिक तथा समुचित दोहन किया जाए तथा अवैध खनन पर अंकुश लगाया जाए।

प्रदेश सरकार ने राज्य में न्यायालय एवं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों के अनुसार जहां एक ओर पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त किए बिना खनन कार्य पर पूर्ण अंकुश लगाया है वहीं यह सुनिश्चित बनाने के लिए कि इससे प्रदेश में चल रहे विकास कार्य प्रभावित न हो वैज्ञानिक खनन को प्रोत्साहन दिया गया।

प्रदेश में वैज्ञानिक खनन सुनिश्चित बनाने के लिए सरकार द्वारा 24 अगस्त 2013 को हिमाचल प्रदेश खनिज नीति-2013 अधिसूचित की गई है। इस नीति में हिमाचल प्रदेश रिवर/स्ट्रीम बैड माईंनिग पॉलिसी गाईड लाईन्स-2004 का समावेश किया गया है। इसका मुख्य उददेश्य प्रदेश की बहुमूल्य खनन संपदा का संरक्षण तथा अवैध खनन पर अंकुश लगाना है। प्रदेश में खनन गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए खन्न पट्टा स्वीकृत करने के लिए लैटर ऑफ इंटेंट जारी करने का प्रावधान किया गया है ताकि आवेदक पर्यावरण सम्बन्धी स्वीकृतियां शीघ्र प्राप्त कर सकें।

शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में विकासात्मक गतिविधियों के फलस्वरूप खनिजों की बढ़ती मांग की आपूर्ति व अवैध खनन की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने विकासात्मक कार्यों जैसे सड़क निर्माण, सुरंग निर्माण, पन-वि़द्युत परियोजनाओं आदि के निर्माण के दौरान निकाले गए अवशिष्ट खनिजों को स्टोन क्रशर इकाइयों मंे प्रयुक्त करने के लिए प्रावधान किए हैं । प्रायः देखा गया है कि अवैध खनन की ढुलाई रात के समय होती है। इसलिए सरकार ने सीमान्त क्षेत्रों में रात्रि 8 बजे से प्रातः 6 बजे तक खनिज की ढुलाई पर प्रतिबन्ध लगाया है।

प्रदेश में पहली बार राज्य सरकार द्वारा उद्योग मन्त्री की अध्यक्षता में ‘राज्य खनिज सलाहकार समिति’ का गठन किया गया है। यह समिति खनिजों के सुव्यवस्थित एवं वैज्ञानिक दोहन तथा खनन क्षेत्रों के उचित प्रबंधन के लिए सरकार को सुझाव देगी। राज्य सरकार ने प्रदेश में खनन हेतू पर्यावरण सम्बन्धी स्वीकृतियां प्राप्त करने में अनावश्यक देरी के कारण आ रही कठिनाईयों के बारे में केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मन्त्रालय से मामले की पैरवी की है। सरकार के इन प्रयासों के फलस्वरूप केन्द्र सरकार ने प्रदेश में राज्य स्तरीय पर्यावरण स्वीकृति समिति का गठन किया है। समिति ने प्रदेश मंे पर्यावरण सम्बन्धी स्वीकृतियां प्रदान करने का कार्य आरम्भ कर दिया है।

प्रदेश में अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए इस वर्ष 13 मार्च को हिमाचल प्रदेश गौण खनिज (रियायत) और खनिज (अवैध खनन, उसके परिवहन और भण्डारण का निवारण) नियम, 2015 अधिसूचित किए हैं। इसमें अवैध खनन मंे संलिप्त दोषियों को सजा देने के प्रावधानों को और कठोर किया गया है। खनिजों के अवैध खन्न, परिवहन व भण्डारण में संलिप्त दोषियों को 2 वर्ष की सजा व 25000 रुपये तक जुर्माने या दोनों सजाओं का प्रावधान किया गया है । इसके अतिरिक्त अवैध खनिज की मात्रा के आधार पर सजा देने का प्रावधान भी किया गया है। 25 मि0 टन तक अवैध रूप से निकाले गए खनिज की मात्रा के लिए न्यूनतम 10 हजार रुपये व इससे अधिक अवैध रूप से निकाले गए खनिज पर न्यूनतम 10 हजार रूपये के अतिरिक्त 400 रुपये प्रति टन के हिसाब से कम्पाऊडिग फीस वसूल किए जाने का प्रावधान किया गया है ।

हिमाचल प्रदेश गौण खनिज (रियायत) और खनिज (अवैध खनन, उसके परिवहन और भण्डारण का निवारण)नियम, 2015’ के अनुसार कोई भी खनन पट्टा, नगर निगम/नगरपालिका समिति की बाहरी सीमाओं से दो किलोमीटर, नगर पंचायत की बाहरी सीमाओं से एक किलोमीटर, की दूरी तक प्रदान नहीं किया जाएगा। इसके अतिरिक्त कोई भी खनन पट्टा, राष्ट्रीय उच्चमार्ग/एक्सप्रैस मार्ग के छोर से 100 मीटर तक, राज्य उच्चमार्ग के छोर से 25 मीटर और अन्य मार्गों के छोर (किनारे ) से 10 मीटर तक प्रदान नहीं किया जाएगा। जलापूर्ति/सिंचाई स्कीम के ऊपर व नीचे की ओर दो सौ मीटर तक और पुल के ऊपर की ओर दो सौ मीटर और नीचे की ओर दौ सौ से पांच सौ मीटर तक किसी भी प्रकार के खनन कार्य की अनुमति नहीं होगी।

प्रदेश सरकार के इन प्रयासों के सुखद परिणाम आ रहे हैं। आज यहां एक ओर राज्य में अवैध खनन पर अंकुश लगा है वहीं दूसरी ओर वैज्ञानिक खनन से विकास कार्यों के साथ साथ आम आदमी की ज़रूरत के लिए निर्माण सामग्री आसानी से उपलब्ध हो रही है।

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