शिमला: राज्य सरकार के अथक प्रयासों से प्रदेश के सामाजिक मानकों में आश्चर्यजनक सुधार हुआ है, जिसे विश्व बैंक की रिपोर्ट में भी दर्शाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण व शहरी दोनों ही क्षेत्रों में लिंग एवं जाति को दर-किनार कर हिमाचल प्रदेश ने गरीबी को कम करने में सफलता हासिल की है, जो राज्य के समग्र विकास एवं आम आदमी के कल्याण के प्रति प्रदेश सरकार की वचनबद्धता को दर्शाता है। यह जानकारी आज यहां प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने दी।
प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश में गरीबी का स्तर वर्ष 1993 में 36.8 प्रतिशत से घटकर वर्तमान में 8.5 प्रतिशत तक पहुंचा है और इस प्रकार प्रदेश में गरीबों की संख्या में चार गुणा कमी आई है, जो देश के किसी अन्य राज्य की तुलना में बेहतर उपलब्धि है।
प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में महिलाओं एवं बच्चों के कल्याण के प्रति कृतसंकल्प है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 35000 रुपये तक वार्षिक आय के परिवारों की महिलाओं को ‘स्वरोजगार योजना’ के अन्तर्गत लघु उद्यम शुरू करने के लिए मौजूदा 3500 रुपये की वित्तीय सहायता को बढ़ाकर 5000 रुपये किया है।
प्रदेश में विशेषकर सीमावर्ती राज्य पंजाब से लगते क्षेत्रों में लिंग अनुपात में सुधार लाने के लिए राज्य सरकार ने संस्थागत प्रसव प्रणाली पर प्रसव पूर्व लिंग जांच अधिनियम का कड़ाई से पालन करने के अतिरिक्त आंगवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा वर्करों एवं ग्रामीण स्तरीय निगरानी समितियों के माध्यम से कड़ी निगरानी की जा रही है। उन्होंने कहा कि लड़कियों के प्रति लोगों की मानसिकता में बदलाव लाने के लिए व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। लड़कियों के प्रति सकारात्मक सोच के सृजन के लिए राज्य सरकार ऐसे परिवारों की लड़कियों, जिनमें लड़का नहीं है, को आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं की नियुक्ति में अधिमान प्रदान कर रही है।
उन्होंने कहा कि ‘बेटी है अनमोल’ योजना के अन्तर्गत पहली से बाहरवीं कक्षा तक प्रति छात्रा को दी जाने वाली छात्रवृत्ति में 50 प्रतिशत की वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि 6 वर्ष आयु तक की सभी लड़कियों को निःशुल्क चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जा रही है। इन्दिरा गांधी बालिका सुरक्षा योजना के अन्तर्गत एक लड़की पर परिवार नियोजन अपनाने वाले दम्पत्तियों को 35000 रुपये, जबकि दो लड़कियों पर परिवार नियोजन अपनाने वाले दम्पत्तियों को 25000 रुपये की बढ़ी हुई प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा रही है।
प्रवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार ने लड़कियों द्वारा बाल आश्रमों को छोड़ने के बाद भी सरकारी संस्थानों में अध्ययन जारी रखने का खर्चा वहन करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि इस वित्त वर्ष के दौरान महिलाओं एवं बच्चों के विकास पर 371 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जा रही है।