शिमला: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को आदेश दिए हैं कि वह गाय को काटने पर रोक लगाने हेतु कानून बनाए। प्रदेश हाई कोर्ट ने इस बाबत केंद्र सरकार को तीन माह का समय दिया है। न्यायाधीश राजीव शर्मा व न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर की खंडपीठ ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया कि भारतीय संविधान सभी धर्मों को एक सम्मान आदर करने की गारंटी देता है। धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान का मूल आधार है। किसी भी व्यक्ति को हमारे देश का संविधान इस बात की अनुमति नहीं देता कि वह किसी के धर्म से जुड़ी भावनाओं को आघात पहुंचाया जाए। न्यायालय ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट किया कि गउओं, बैलों, बछड़ों के मांस का आयात व निर्यात करने की कानून अनुमति नहीं दे सकता।
इसके अलावा न्यायालय ने केंद्र सरकार को यह निर्देश दिए कि वह राज्य सरकार को आवारा पशुओं के रख-रखाव व उनके चारे के लिए उपयुक्त धन का हस्तांतरण करे। उनके संरक्षण के लिए तीन महीनों के भीतर उपरोक्त दोनों निर्देशों बाबत केंद्र सरकार के संबंधित सचिव को अनुपालना शपथ पत्र न्यायालय के समक्ष दायर करने के आदेश जारी किए हैं। इसके अलावा हाई कोर्ट ने अपने पिछले आदेशों की अनुपालना न होने पर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हैं। गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंताओं को यह सुनिश्चित करने को कहा था कि कोई भी आवारा पशु उनके अधिकार क्षेत्र में सड़कों पर नजर नहीं आना चाहिए। न्यायालय ने पाया कि कोर्ट के इन आदेशों की पालना नहीं हो रही है।
न्यायालय ने प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश दिए हैं कि वह जिम्मेदार अधीक्षण अभियंताओं को आदेशों की अवहेलना के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करें। इसके अलावा नगर निगम शिमला के आयुक्त, नगर परिषदों के कार्यकारी अधिकारियों, नगर पंचायतों व ग्राम पंचायतों के प्रधानों के खिलाफ भी कार्रवाई अमल में लाने के निर्देश दिए हैं, जो हाई कोेर्ट द्वारा सात अक्तूबर, 2014 के आदेशों की अनुपालना करने में विफल रहे हैं। मामले पर अगली सुनवाई छह जनवरी, 2016 को होगी।