भारत के हथकरघा का उत्सव

नई दिल्ली: भारतीय हथकरघा अपनी अद्वितीय रचनात्मकता और रंगों एवं बनावट की विविधता के लिए जाना जाता है। हथकरघा बुनाई भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण व्‍यवसाय बन गया है जो विभिन्‍न समुदायों के बीच आपसी रिश्तों को बढ़ा रहा है।

हथकरघा पर्यावरण के अनुकूल भी है; यह अपने उत्पादन के दौरान पारिस्थितिकी तंत्र पर कम से कम बोझ डालता है। आज के समय में, जबकि बाजार में नए और एथिकल सामानों की भरमार है, हथकरघा युवाओं के लिए नई संभावनाएं लेकर आया है, जिन्‍हें अपनाकर वे अपनी जीवन शैली की जरूरतों और फैशन के जुनून को पूरा कर सकते हैं।

7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा के साथ हथकरघा को लोकप्रिय बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नए सिरे से प्रयास किए जा रहे हैं।

युवाओं में भारतीय हथकरघा के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए, हथकरघा उत्‍सव, यानी शि‍ल्‍प मेला, का आयोजन किया जा रहा है। यह उत्‍सव 16-18 अक्‍टूबर, 2015 तक हथकरघा हाट (हैंडलूम मार्केटिंग कॉम्‍प्‍लेक्‍स, जनपथ, नई दिल्‍ली) में आयोजित होगा। यह मेला दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी इरविन कॉलेज के फैब्रिक विभाग और परिधान विज्ञान द्वारा विकास आयुक्त (हथकरघा) कार्यालय और एसीएएसएच, वस्त्र मंत्रालय के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। कल सुबह 11.30 बजे मेले का उद्घाटन किया जाएगा।

मेले में भारतभर से आए पुरस्‍कार प्राप्‍त कारीगरों के उत्तम हथकरघा उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। इस तरह लोगों को कश्मीर, उत्तर-पूर्व, और भी कई जगह के हथकरघा की विभिन्न बुनाइयों को देखने का मौका मिलेगा।

मेले में युवाओं को आकर्षित करने के लिए आकर्षक नकद पुरस्कार के साथ प्रतिस्पर्धी गतिविधियों को भी शामिल किया गया है। इसमें फैशन शो प्रतियोगिता, रंगोली बनाना, टी-शर्ट पेंटिंग, नारा लेखन, मेहंदी बनाना, अखबार के कपड़े बनाना आदि विभिन्न रचनात्मक गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। मेले की विभिन्‍न रचनात्‍मक गतिविधियों में भागीदारी करने के लिए पूरी दिल्‍ली और एनसीआर से कॉलेज के छात्र-छात्राओं को आकर्षित करने के बड़े पैमाने पर प्रयास किए गए हैं।

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