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“बच्‍चों को गोद लेने” के नये दिशा-निर्देश

नई दिल्ली: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 01 अगस्‍त, 2015 से प्रभावी ‘बच्‍चों को गोद लेने संबंधी दिशा-निर्देश 2015’ में संशोधन की अधिसूचना जारी की है। करीब एक वर्ष तक हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद तैयार किये गये इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्‍य गोद लेने की प्रक्रिया में तेजी लाना और इसे व्‍यवस्थित करना है। संशोधित दिशा-निर्देशों में गोद लेने की पारदर्शी प्रक्रिया उपलब्‍ध कराने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी की नई गोद लेने की प्रणाली ‘केयरिंग्‍स’ शामिल की गई है, जिसके तहत देश के सभी बच्‍चों की देखभाल करने वाले संस्‍थानों को इस एकीकृत प्रणाली में लाया गया है।

विचार-विमर्श के दौरान बड़ी संख्‍या में संस्‍थानों/व्‍यक्तियों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं, जिन पर आधारित कर यह प्रणाली डिजाइन की गई है, जिसका उद्देश्‍य है बच्‍चों की देखभाल करने वाले संस्‍थानों के बच्‍चों को जल्‍द से जल्‍द घर मिलना चाहिए। किशोर न्‍याय अधिनियम 2000 की धारा 41 (2) में बच्‍चों की देखभाल करने वाले सभी संस्‍थानों पर यह वैधानिक जिम्‍मेदारी है कि वे केन्‍द्र सरकार द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश के अनुसार गोद लेने की प्रक्रिया अपनाए और इसे बढ़ावा दें। यदि बच्‍चों की देखभाल करने वाला कोई संस्‍थान दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्य नहीं कर पाता है, तो उसके पास ऐसे दूसरे संस्‍थान में बच्‍चों को भेजने का विकल्‍प है, जो केन्‍द्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्य करता है।

नये दिशा-निर्देश जारी करने और केयरिंग्‍स का शुभारंभ करने के साथ ही मंत्रालय ने नये दिशा-निर्देश समझाने और नये सूचना प्रौद्योगिकी वातावरण में कार्य करने के लिए बच्‍चों की देखभाल करने वाले संस्‍थानों के लिए देशव्‍यापी कार्यशालाएं भी शुरू की हैं। यह स्‍पष्‍ट किया गया है कि 2011 के दिशा-निर्देश में एकल अभिभावक द्वारा बच्‍चे को गोद लेने का जो प्रावधान था उसे 2015 के दिशा-निर्देशों में भी रखा गया है।

मंत्रालय ने मिशनरिज ऑफ चैरिटी जैसे संस्‍थानों द्वारा किये गये कार्यों की सराहना की। हालांकि मंत्रालय ने दोबारा इस बात पर जोर दिया कि लम्‍बे विचार-विमर्श की प्रक्रिया के बाद तैयार किए गए नये दिशा-निर्देशों का पालन गोद लेने की प्रक्रिया में शामिल बच्‍चों की देखभाल करने वाले संस्‍थानों द्वारा किया जाना चाहिए।

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