शारदीय नवरात्रों के दिनों में ही दुर्गा पूजा भी प्रारम्भ होती है। दुर्गा पूजा के साथ इन दिनों में तंत्र और मंत्र के कार्य भी किये जाते है। बिना मंत्र के कोई भी साधाना अपूर्ण मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार हर व्यक्ति को सुख -शान्ति पाने के लिये किसी न किसी ग्रह की उपासना करनी ही चाहिए।
ग्रहों को शान्त करने का एक मात्र उपाय ग्रहों की शान्ति करना है। इसके लिये यंत्र और मंत्र विशेष रुप से सहयोगी हो सकते है। माता के इन नौ दिनों में ग्रहों की शान्ति करना विशेष लाभ देता है। इन दिनों में मंत्र जाप करने से मनोकामना शीघ्र पूरी होती है। नवरात्रे के पहले दिन माता दुर्गा के कलश की स्थापना कर पूजा प्रारम्भ की जाती है।
नवरात्रों का धार्मिक महत्व
चैत्र और आश्विन पक्ष के नवरात्रों के अलावा भी वर्ष में दो बार गुप्त नवरात्रे आते है। पहला गुप्त नवरात्रा आषाढ शुक्ल पक्ष मास व दुसरा गुप्त नवरात्रा माघ शुक्ल पक्ष मास में आता है। आषाढ और माघ मास में आने वाले इन नवरात्रों को गुप्त विधाओं की प्राप्ति के लिये प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त इन्हें साधना सिद्धि के लिये भी प्रयोग किया जा सकता है।
तांन्त्रिकों व तंत्र-मंत्र में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के लिये यह समय ओर भी अधिक उपयुक्त रहता है। गृ्हस्थ व्यक्ति भी इन दिनों में माता की पूजा आराधना कर अपनी आन्तरिक शक्तियों को जाग्रत करते है। इन दिनों में साधकों के साधन का फल व्यर्थ नहीं जाता है। मां अपने भक्तों को उनकी साधना के अनुसार फल देती है। इन दिनों में दान पुन्य का भी बहुत महत्व कहा गया है।