किसानों को स्प्रे शेड्यूल का पालन करने की जरूरत : प्रेम चौहान

बागवानी के विकास में विश्वविद्यालय की भूमिका पर हुई चर्चा

सोलन: डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के कुलपति डॉ. परविंदर कौशल ने विश्वविद्यालय परिसर में प्रगतिशील किसान प्रेम चौहान और हरीश चौहान के साथ बातचीत की और राज्य में बागवानी के सुधार में विश्वविद्यालय की भूमिका पर चर्चा की।

किसानों ने विश्वविद्यालय से पिछले कुछ वर्षों से सेब में हो रही रस्टिंग की समस्या के बारे में अधिक जागरूकता और अनुसंधान करने का अनुरोध किया। इस मौके पर प्रेम चौहान, जो की राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता और प्रगतिशील बागवान हैं ने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और प्रशासन का उनके निरंतर समर्थन और मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद दिया, जिसके कारण उनके काम को विभिन्न प्लेटफार्मों पर मान्यता मिली है। उन्होंने कहा कि किसानों को स्प्रे शेड्यूल का पालन करने की जरूरत है, लेकिन विश्वविद्यालय से ‘कंट्रोल स्प्रे शेड्यूल’ तैयार करने का भी अनुरोध किया ताकि इसे और अधिक किफायती बनाया जा सके। चौहान ने स्नातक छात्रों को किसान परिवार से जोड़ने के विश्वविद्यालय के फैसले की सराहना की। उन्होंने सुझाव दिया कि इन छात्रों को किसान के खेतों में बागवानी फसलों के लिए व्यावहारिक मॉडल स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और ऐसे मॉडल को डिग्री के दौरान अंक भी दिये जाने चाहिए।

हिल स्टेट्स हॉर्टिकल्चर फोरम के संयोजक हरीश चौहान ने आयातित रोपण सामग्री के उचित क्वारंटाइन का मुद्दा उठाया। उन्होंने इस तरह की गतिविधियों में विश्वविद्यालय की अधिक भूमिका निभाने का आह्वान किया ताकि किसान के खेत में केवल रोग और कीट मुक्त सामग्री ही पहुंचे। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय को विभिन्न फलों जैसे नाशपाती के लिए स्प्रे शेड्यूल तैयार करना चाहिए, क्योंकि बड़ी संख्या में बागवान इसकी खेती कर रहे हैं। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विस्तार कार्यक्रमों की पहुंच बढ़ाने और विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किए जा रहे कुशल मानव संसाधन का कृषक समुदाय की बेहतरी के लिए उपयोग पर भी चर्चा की गई।

डॉ. कौशल ने कहा कि विश्वविद्यालय किसानों के सुझावों की सराहना करता है और यह प्रयास करेगा कि इसे विश्वविद्यालय के कार्यक्रमों में लागू किया जा सके। बातचीत के दौरान, डॉ कौशल ने विश्वविद्यालय द्वारा पिछले कुछ वर्षों में अपनी पहुंच में सुधार के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों को साझा किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अपने अनुसंधान और विस्तार कार्यक्रमों को अंतिम रूप देने के लिए किसानों और विशेषज्ञों से सक्रिय रूप से बातचीत करता है। इस उद्देश्य के लिए राज्य के प्रगतिशील किसानों की सक्रिय भागीदारी के साथ नियमित रूप से विचार-मंथन सत्र आयोजित किए जाते हैं।

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