राज्यपाल का बच्चों में रचनात्मक सोच विकसित करने की आवश्यकता पर बल

शिमला: राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने आज यहां हि.प्र. उच्च न्यायालय में हि.प्र. राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा वनीकरण एवं पर्यावरण मुद्दों पर आयोजित परिसंवाद का उद्घाटन किया। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण पर जागरूकता उत्पन्न करने के उद्देश्य से प्राधिकरण द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय चित्रांकन, नारा लेखन एवं निबंध लेखन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार भी वितरित किए।

इस अवसर पर सम्बोधित करते हुए आचार्य देवव्रत ने कहा कि आरम्भिक अवस्था से ही बच्चों में सृजनात्मक सोच विकसित करने के लिए उन्हें रचनात्मक गतिविधियों से जोड़ना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि सभी वैज्ञानिक उपलब्धियां एवं आविष्कार सृजनात्मकता से ही संभव हो पाए हैं। उन्होंने कहा कि विज्ञान का विकास तभी संभव है, जब हम बच्चों को स्वतंत्र रूप से सोचने एवं परीक्षण करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उन्होंने कहा कि सभी महान दार्शनिक, संत और शिक्षक सृजनात्मक चिंतन के कारण ही महान विचारक बनते हैं।

राज्यपाल ने कहा कि बच्चों में अच्छे मूल्य और एक सुसंस्कारित युवा पीढ़ी के निर्माण का दायित्व हम सभी का है। हमारी संस्कृति समृद्ध ज्ञान, मानवता एवं समाज कल्याण की प्रतिबद्धता के लिए जानी जाती है। उन्होंने इस बात पर चिंता जाहिर की कि मौजूदा परिवेश में मनुष्य आत्मकेन्द्रित बन गया है और ‘वासुदेव कुटुम्बकम्’ की हमारी अवधारणा को भूल रहा है। उन्होंने इस भावना को विशेषकर बच्चों एवं युवाओं में उद्वृत करने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि भावी पीढ़ी को ग़रीबों व ज़रूरतमंदों के प्रति संवेदनशील और पीड़ित मानवता के प्रति करूणामय बनाया जा सके। उन्होंने कहा बच्चों को जीवन में श्रेष्ठता हासिल करने के लिए सकारात्मक सोच एवं आत्मविश्वास को विकसित करना चाहिए तथा उन्हें अपने मार्ग में आने वाली बाधाओं से विचलित नहीं होना चाहिए, बल्कि कामयाबी हासिल करने के लिए निरंतर प्रयास करने चाहिए। उन्होंने युवा पीढ़ी को नशीले पदार्थों से दूर रहने तथा देश के विकास के लिए राष्ट्र निर्माण गतिविधियों में भागीदार बनने का आग्रह किया।

राज्यपाल ने हि.प्र. राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण और हि.प्र. उच्च न्यायालय के पर्यावरण संरक्षण के संबंध में बच्चों में जागरूकता उत्पन्न करने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने चित्रांकन, नारा एवं निबंध लेखन पर लगाई गई प्रदर्शनी का दौरा भी किया और बच्चों की कल्पना एवं विचारों की सराहना की।

हि.प्र. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मंसूर अहमद मीर ने पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर बल देते हुए कहा कि हमारी प्राचीन संस्कृति प्रकृति के प्रति हमारे उच्च सम्मान के लिए प्रेरित करती है। उन्होंने कहा कि समाज के सभी वर्गों में इस संदेश का प्रचार करने के लिए बच्चे अच्छे एम्बेसेडर हो सकते हैं। हि.प्र. राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण पर्यावरण संरक्षण जागरूकता अभियान में प्रदेश के सभी स्कूलों के बच्चों को शामिल कर रहा है। उन्होंने कहा कि विधिक समुदाय विभिन्न सामाजिक मुद्दों में अपना योगदान कर रहा है और राज्य सरकार ने स्कूलों को शामिल करके विगत वर्ष प्रदेश भर में एक लाख से अधिक पौधों का रोपण करने के अलावा इनकी जीवंतता की निगरानी भी की।

हि.प्र. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं हि.प्र. राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस संजय करोल ने राज्यपाल का स्वागत किया और प्राधिकरण की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण विभिन्न जागरूकता अभियानों विशेषकर पर्यावरण संरक्षण और वनीकरण कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित बना रहा है। प्रतियोगिता में प्रदेश के विभिन्न स्कूलों के लगभग 107 विद्यार्थियों ने भाग लिया।

हि.प्र. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा, न्यायमूर्ति धर्मचंद चौधरी, न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान, न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर, महाधिवक्ता श्रवण डोगरा, सहायक सॉलिसिटर जनरल अशोक शर्मा, पूर्व न्यायाधीश, अतिरिक्त मुख्य सचिव, अधिवक्तागण, बार एसोसिएशन के सदस्यों सहित न्यायिक अधिकारी एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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