‘सरकार स्वच्छ गंगा मिशन में प्रादेशिक सेना का उपयोग करने पर कर रही है’ विचार: मनोहर पर्रिकर

नई दिल्ली: रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा है कि सरकार ‘स्वच्छ गंगा पर राष्ट्रीय मिशन’ में प्रादेशिक सेना (टीए) का इस्तेमाल करने को लेकर तत्पर है। आज यहां प्रादेशिक सेना की 66वीं वर्षगांठ परेड को संबोधित करते हुए उन्होंने विश्वास जताया कि प्रादेशिक सेना के समर्पित एवं अनुशासित सैन्यकर्मी इस कार्य में उसी तरह से अपनी अमिट छाप छोड़ने में कामयाब साबित होंगे, जैसा कि पर्यावरण दृष्टि से बेकार हो रही भूमि को बेहतर बनाने और पारिस्थितिकी संतुलन की बहाली में सैन्यकर्मियों ने कर दिखाया था।

महोदय ने कहा कि प्रादेशिक सेना का एक विशिष्ट इतिहास रहा है और यह युद्ध, उग्रवाद से निपटने के अभियानों और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान पैदा होने वाली अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में राष्ट्र के लिए एक मजबूत दीवार के रूप में उभर कर सामने आती रही है। हाल के वर्षों के दौरान प्रादेशिक सेना के स्वरूप में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। पहले यह ‘रिजर्व’ के रूप में हुआ करती थी, लेकिन अब यह एक प्रेरित एवं प्रशिक्षित बल में तब्दील हो गई है। उन्होंने कहा कि प्रादेशिक सेना ने अब देश भर में अपनी मौजूदगी दर्ज करा ली है और इस तरह से यह देश की ‘एकता में विविधता’ में बहुमूल्य योगदान दे रही है। उन्होंने कहा कि हमारा देश प्रादेशिक सेना के योगदान एवं बलिदान को कभी भी भूल नहीं सकता। यही नहीं, जब भी देश की सुरक्षा अथवा हमारे नागरिकों की सेवा की जरूरत सामने आई है, प्रादेशिक सेना सदा ही इन चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह से तत्पर रही है।

इससे पहले पर्रिकर ने परेड का निरीक्षण किया और प्रादेशिक सेना के विभिन्न दलों से सलामी ली, जिनमें तीन झांकिया भी शामिल थीं। इन झांकियों में पारिस्थितिकी तंत्र एवं राष्ट्र की समृद्ध जैव-विविधता के संरक्षण, रेलगाड़ियों की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करने और सहज एवं प्रभावकारी ढंग से तेल एवं प्राकृतिक गैस का परिशोधन तथा आपूर्ति जारी रखने में प्रादेशिक सेना की अहम भूमिका को दर्शाया गया था। स्टॉफ कमेटी के प्रमुखों के चेयरमैन एवं वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अरूप राहा, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर.के. धोवन, थल सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह एवं प्रादेशिक सेना के अतिरिक्त महानिदेशक मेजर जनरल सुरिंदर सिंह ने रक्षा मंत्री की अगवानी की। इस समारोह में तीनों रक्षा सेवाओं और रक्षा मंत्रालय के अनेक अधिकारियों और मित्र देशों के अधिकारियों और प्रादेशिक सेना की सभी रैंक के अधिकारियों ने भाग लिया।

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