गर्भावस्था की पहली अवस्था से गर्भवती महिला बताएं गाईनिकॉलोजिस्ट डॉक्टर के पास जाकर अपनी पूरी स्थिति : डॉ. सुभाष

गर्भावस्था की पहली अवस्था से गर्भवती महिला बताएं गाईनिकॉलोजिस्ट डॉक्टर के पास जाकर अपनी पूरी स्थिति : डॉ. सुभाष

गर्भावस्था की पहली अवस्था से गर्भवती महिला गाईनिकॉलोजिस्ट डॉक्टर के पास जाकर अपनी पूरी स्थिति से अवगत कराएं

गर्भावस्था की पहली अवस्था से गर्भवती महिला गाईनिकॉलोजिस्ट डॉक्टर के पास जाकर अपनी पूरी स्थिति से अवगत कराएं

ये बात सच है एक औरत अपने को तभी पूर्ण मानती है जब वह अपनी कोख से बच्चे को जन्म देकर मां बनती है। शिशु को जन्म देने के लिए उसे नौ महीने का लम्बा सफर तय करना पड़ता है। गर्भावस्था का समय न सिर्फ एक मां के लिए बल्कि होने वाले बच्चे के पिता के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। पति-पत्नी दोनों ही अपने होने वाले बच्चे के लिए खूब सपने, इच्छाएं और उम्मीदें रखते हैं जिसके लिए वह हर संभव देखभाल करते हैं। जैसे ही यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो जाती है कि महिला गर्भवती है तो उसके बाद से प्रसव होने तक आवश्यक हो जाता है कि वो गाईनिकॉलोजिस्ट रोग विशेषज्ञ की निगरानी में रहे तथा नियमित रूप से अपना चैकअप कराती रहें । गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी है कि वो गाईनिकॉलोजिस्ट विशेषज्ञ से पहले महीने से ही संपर्क में रहे ताकि उन्हें किसी प्रकार की समस्या का बाद में सामना न करना पड़े। इस बार हम गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए इसी विषय को लेकर जानकारी देने जा रहे हैं। प्रस्तुत है इस विषय पर कमला नेहरू अस्पताल के गाईनिकॉलोजिस्ट डॉक्टर सुभाष चौहान से राज्य ब्यूरो मीना कौंडल की बातचीत :

प्रश्र: गर्भावस्था के लक्षण क्या हैं?

उत्तर: गर्भधारण करते ही माहवारी आनी बंद हो जाती है। गर्भधारण के प्रारंभिक लक्षणों में जी मिचलाना, उल्टी होना, भूख कम लगना, कमजोरी महसूस होना, बार-बार पेशाब जाना इत्यादि शामिल हैं। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का मूड़ लगातार बदलता रहता है। कई बार अधिक थकान महसूस करना, कब्ज होना भी गर्भावस्था के संकेत है। गर्भावस्था के संकेतों में सिर दर्द भी शामिल है। सिर दर्द तो कभी भी हो सकता है लेकिन हार्मोंस के निरंतर बदलाव के कारण तनाव होने लगता है जिससे कुछ महिलाओं को सिर दर्द की शिकायत होने लगती है। गर्भावस्था में महिलाएं अपना चेहरा और शरीर थोड़ा फूला हुआ महसूस करने लगती हंै। इसके लिए प्रेगनेंसी टेस्ट होते हैं जो करवाने के बाद पता चल जाता है कि महिला गर्भवती है। सरकारी स्वास्थ्य केंद्रो पर ये टेस्ट मुफ्त में किया जाता है। वहीं दवाई की दुकान से होम टेस्ट किट खरीद कर भी घर पर ही प्रेगनेंसी टेस्ट किया जा सकता है।

प्रश्र: गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याएं क्या हैं? ऐसी अवस्था में डॉक्टर से कब-कब संपर्क करना आवश्यक है?

उत्तर: सबसे पहले तो आवश्यक है कि गर्भावस्था की पहली अवस्था से गर्भवती महिला को गाईनिकॉलोजिस्ट डॉक्टर के पास जाकर अपनी पूरी स्थिति से अवगत कराएं। गर्भावस्था के प्रारंभिक कुछ दिनों तक यूं तो जी घबराना, उल्टियां होना या थोड़ा रक्त चाप बढ़ जाना स्वाभाविक है, लेकिन यह समस्याएं उग्र रुप धारण करें तो डॉक्टर से सम्पर्क करें। गर्भावस्था के दौरान पेट में तीव्र दर्द और योनी से रक्त स्राव होने लगे तो इसे गंभीरता से लें तथा डाक्टर को तत्काल बताएं। गर्भावस्था में कोई भी दवाई बिना डॉक्टर के परामर्श से न लें और न ही पेट में मालिश कराएं। बीमारी कितनी भी साधारण क्यों न हो, डाक्टर की सलाह के बगैर न लें। यदि किसी नए डाक्टर के पास जाएं तो उसे इस बात से अवगत कराएं कि आप गर्भवती हैं क्योंकि कुछ दवाएं गर्भस्थ शिशु पर बुरा प्रभाव छोड़ती हैं। गर्भधारण के समय गर्भवती महिला को ब्लड ग्रुप, विशेषकर आर. एच. फैक्टर की जांच करानी चाहिए। इसके अलावा हीमोग्लोबिन की भी जांच करानी चाहिए। यदि वो मधुमेह, उच्च रक्तचाप, थाइराइड आदि किसी रोग से पीडि़त हैं तो गर्भावस्था के दौरान नियमित रुप से दवाईयां लेकर इन रोगों को नियंत्रण में रखें। ऐसे में जरूरी है कि गर्भावस्था के दौरान आप अपने डॉक्टर से अपनी बीमारी के बारे में कोई भी बात न छुपाएं बल्कि इस विषय पर उन्हें अपनी हर समस्या से अवगत कराएं।

प्रश्र: डॉक्टर से ऐसी अवस्था में कब जरूरी है संपर्क करना? और क्या-क्या सावधानी बरतनी आवश्यक है?

उत्तर : गर्भावस्था के दौरान अपनी हर छोटी-छोटी बीमारी को गंभीरता से लें और डॉक्टर के संपर्क में रहें। गंभीरता से चेहरे या हाथ-पैर में असामान्य सूजन, तीव्र सर दर्द, आंखों मे धुंधला दिखना और मूत्र त्याग में कठिनाई की अनदेखी न करें, ये खतरे के लक्षण हो सकते हैं । गर्भावस्था में मलेरिया को गंभीरता से लें तथा डाक्टर को तत्काल बताएं। गर्भ की अवधि के अनुसार गर्भस्थ शिशु की मुवमैन्ट होनी चाहिए। यदि बहुत कम हो या नहीं हो तो सतर्क हो जाएं और डाक्टर से संपर्क करें। आपकी कोख से एक स्वस्थ शिशु जन्म ले, इसके लिए अवश्यक है कि गर्भधारण और प्रसव के बीच आपके वजन में 10 कि. ग्रा. की वृद्धि अवश्य हो। गर्भावस्था में न अत्यंत तंग कपड़े पहने और न ही अत्याधिक ढीले। इस अवस्था में ऊंची एड़ी के सैंडल न पहनें। डाक्टर की सलाह पर गर्भावस्था के आवश्यक टीके लगवाएं व आयरन की गोलियों का सेवन करें। इस नाजुक दौर में भारी काम नहीं करने चाहिए, न ही अधिक वजन उठाना चाहिए। सामान्य घरेलू कार्य करने में कोई हर्ज नहीं है। आठवें और नौंवे महीने में सफर न ही करें तो अच्छा है। गर्भावस्था में सहवास में कोई हर्ज नहीं है लेकिन वह सुरक्षित हो। गर्भावस्था में सुबह-शाम थोड़ा पैदल टहलें। चौबीस घंटे में आठ घंटे नींद अवश्य लें। प्रसव घर पर कराने की बजाए अस्पताल या नर्सिंग होम में किसी विशेषज्ञ से कराना सुरक्षित रहता है। नियमित रूप से डॉक्टर से चेकअप कराती रहें। इसमें स्कैन और बाकी टेस्ट शामिल हैं। इनसे पता चलेगा कि आपके गर्भ में पल रहा बच्चा स्वस्थ है या नहीं। ये जानने के लिए भी टेस्ट कराएं कि बच्चे का शरीर काम कर रहा है या नहीं, वो हिल डुल रहा है या नहीं। खाने में प्रोटीन, फल, सब्जिय़ां, अनाज और कैल्शियम से भरपूर चीज़ें खाएं। बच्चे को आपके ज़रिए ही खाना पहुंचता है इसलिए सेहतमंद खाने की कोशिश करें। हर दिन तीन बार खाना खाने की कोशिश करें। अगर आपको सीने में जलन की शिकायत (हार्टबर्न) हो तो थोड़ा-थोड़ा करके छह बार खाने की कोशिश करें। एनिमिया से बचने के लिए डॉक्टर आपको आयरन के साथ पेरेन्टल विटामिन्स और फॉलिक एसिड लेने की सलाह देगा। ये बच्चे को दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड की गंभीर बीमारियों से भी बचाता है। आराम करें और तनावमुक्त रहे। प्रेगनेंसी के दौरान हार्मोन्स में बदलाव होते हैं, जिससे आपका मिजाज बदलता रहता है, इसलिए अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

प्रश्र: गर्भावास्था के दौरान डॉक्टरी जांच कितनी आवश्यक है और प्रेगनेंसी टेस्ट क्या होता है? यह करवाना कितना आवश्यक है? क्योंकि हमारे प्रदेश की दूर-दराज की महिलाएं आज भी ऐसी अवस्था में प्रेगनेंसी के दौरान टेस्ट करवाना और जांच करवाने जैसी बातों को जरूरी नहीं समझती तो क्या इसे न करने से कोई घातक समस्या हो सकती है?

उत्तर: एक बात जो मैं कहना जरूरी समझता हूं वो है हमारे प्रदेश में आज भी दूर-दराज की महिलाएं संकोचवश अपनी समस्याएं पूरी तरह डॉक्टर के सम्मुख बताने से हिचकती हैं। जिसके कई बार घातक परिणाम भी हो सकते हैं इसलिए सबसे पहली बात जो जरूरी है वो है कि कभी कोई मरीज या गर्भवती महिला अपने डॉक्टर से किसी भी बीमारी को संकोचवश न छुपाएं क्योंकि ऐसा करने से मरीज के लिए खतरनाक सिद्ध हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि डॉक्टर को अपनी बीमारी के बारे में सही और पूरी जानकारी से अवगत कराएं। वहीं जहां तक बात है गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी टेस्ट की तो टेस्ट ही नहीं बल्कि गर्भवती महिला को अपनी नियमित जांच करवाना बहुत आवश्यक है। ये सही है कि आज भी प्रदेश की दूर-दराज की महिलाएं प्रेगनेंसी टेस्ट को ज्यादा महत्व नहीं देती लेकिन ये टेस्ट आवश्यक हंै। हर गर्भवती नारी के गर्भावस्था के दौरान लक्षण भी अलग-अलग होते हैं। वहीं गर्भावस्था की नॉर्मल डिलीवरी और हृष्ट-पुष्ट बच्चे के लिए समय-समय पर डॉक्टर की सलाह लेना और नियमित जांच बहुत जरूरी है। कई बार सही समय पर डॉक्टरी जांच और परीक्षण कराने से आने वाले खतरों को टाला जा सकता है। देरी से होने वाली प्रेगनेंसी में नियमित जांच और भी जरूरी हो जाती है क्योंकि ये हाईरिस्क प्रेगनेंसी होती है नियमित जांच से स्त्रियों की नॉर्मल डिलीवरी संभव है। प्रेगनेंसी टेस्ट के दौरान पेशाब या खून में ‘ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन’ हार्मोन की जांच की जाती है। इसे प्रेगनेंसी हार्मोन भी कहते हैं और ये शरीर में तभी रहता है जब महिला प्रेगनेंट हो। प्रेगनेंसी टेस्ट दो तरह का होता है- पहला – यूरिन प्रेगनेंसी टेस्ट और दूसरा ब्लड प्रेगनेंसी टेस्ट।

प्रश्र: यूरिन प्रेगनेंसी टेस्ट क्या है?

उत्तर- बहुत सी महिलाएं प्रेगनेंसी का पता लगाने के लिए यूरिन या होम प्रेगनेंसी टेस्ट (एचपीटी) का इस्तेमाल करती हैं, क्योंकि ये सस्ता होता है। होम प्रेगनेंसी टेस्ट कई तरह के होते हैं। कुछ होम प्रेगनेंसी टेस्ट में पेशाब को एक कप में डालकर उसमें एक स्टिक डुबाई जाती है। जबकि दूसरे तरह के टेस्ट के दौरान पेशाब की धारा के बीच स्टिक रखी जाती है। सबसे बेहतर टेस्ट वो होता है जो ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) हार्मोन यानी प्रेगनेंसी हार्मोन की छोटी से छोटी मात्रा की भी पहचान कर ले। इसलिए 15 से 30 एचसीजी स्तर वाले होम प्रेगनेंसी टेस्ट किट का इस्तेमाल करें।

प्रश्र: ब्लड प्रेगनेंसी टेस्ट क्या है?

उत्तर: आप यूरिन के बजाय ब्लड टेस्ट से भी पता लगा सकती हैं कि आप प्रेगनेंट हैं या नहीं। इसके लिए आप डॉक्टर से मिलें। इस टेस्ट के दौरान खून में ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन हार्मोन की मात्रा जांची जाती है।

प्रश्र: गर्भवती महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान त्वचा की समस्याओं को लेकर काफी चिंता दिखाई देती है कि उनकी त्वचा पर दाग, छाईयां और उनके निशान हमेशा रहेंगे? क्या यह वास्तव में सही है?

उत्तर: नहीं ऐसा नहीं है कि गर्भावस्था के दौरान पडऩे वाली छाईयां और दाग के निशान हमेशा के लिए त्वचा पर बने रहते हैं ये अपने आप ही धीरे-धीरे ठीक हो जाते हैं।

प्रश्र: प्रेगनेंसी के दौरान घर में बुजुर्ग महिलाओंं द्वारा कई प्रकार की हिदायतें दी जाती हैं जैसे कि कई घरों में यह मान्यता होती है कि गर्भावस्था के सातवें-आठवें महीने तक डॉक्टरी जांच की कोई आवश्यकता नहीं होती है?

उत्तर: नहीं ऐसा नहीं है मासिक धर्म रुकने के तुरंत बाद ही डॉक्टरी जांच करवाकर सुनिश्चित करवाएं कि आप गर्भवती हैं। डॉक्टर की सलाह के अनुसार परीक्षण और आवश्यकतानुसार सोनोग्राफी होना चाहिए। पहली सोनोग्राफी जांच डेढ़-दो महीने की गर्भावस्था में ही की जाती है। इससे भू्रण की स्थिति के सही निदान के साथ ही प्रसव की सही तारीख भी तय की जा सकती है। इसके बाद चौथे महीने में यानी कि सोलह से अठारह हफ्ते में सोनोग्राफी करवाकर गर्भस्थ भ्रूण के अंदर कोई जन्मजात गड़बड़ी जैसे कि हृदय, सिर में, रीढ़ में या पेट में गड़बड़ी हो तो उन्हें देख लिया जाता है। सातवें-आठवें महीने में सोनोग्राफी से गर्भनाल की स्थिति, शिशु का वजन, बच्चेदानी के अंदर का पानी सभी की जांच होती है। जरूरत पडऩे पर सातवें महीने के बाद एक से अधिक सोनोग्राफी की जरूरत हो सकती है।

प्रश्र: गर्भावस्था के दौरान कौन से इंजेक्शन लगाने जरूरी होते हैं?

उत्तर: गर्भावस्था में महिला को टिटेनस टॉक्साइड के दो इंजेक्शन चार से छह हफ्ते के अंतराल से लगते हैं, जिनसे मां और नवजात शिशु दोनों में टिटेनस की रोकथाम होती है। जिन महिलाओं की गर्भावस्था सामान्य रहती है, उनको ज्यादा चिंता की जरूरत नहीं, लेकिन कई बार गर्भावस्था हाई-रिस्क या असामान्य श्रेणी में आती है।

प्रश्र: गर्भवती महिलाओं के लिए व्यायाम कितना जरूरी है?

उत्तर: गर्भवती महिलाओं के लिए भी व्यायाम जरुरी होता है और ऐसा करना उनकी सेहत के लिए बेहतर होता है। लेकिन इसके लिए बहुत जरूरी है की व्यायाम डॉक्टर की सलाह और निगरानी में किया जाए। गर्भावस्था में नियमित व्यायाम से थकान और अनिंद्रा की शिकायत दूर होती है। वहीं थोड़ा सा व्यायाम आपको तरोताजा महसूस करवाता है जिससे प्रसव भी आसानी से होता है। व्यायाम से ऊर्जा का संचार होता है जिससे शरीर में जमा अतिरिक्त चर्बी भी दूर हो जाती है। लेकिन गर्भावस्था में व्यायाम करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना बहुत जरूरी है साथ ही शुरूआत में हल्के-फुल्के व्यायाम करना ही बेहतर रहता है। गर्भावस्था के दौरान होने वाले छोटे-मोटे दर्द से भी इससे निजात पाया जा सकता है।

प्रश्र: गर्भावस्था के दौरान शिशु विकास होना कब आरंभ होता है?

उत्तर: गर्भावस्था के दौरान शिशु विकास नौ महीने तक विभिन्न चरणों में होता है। बच्चे का विकास हफ्ता दर हफ्ता होते-होते महीनों और फिर ट्राईमेस्टर में बदल जाता है। गर्भावस्था कैलेंडर के माध्यम से गर्भवती महिलाएं ये जान सकती हैं कि उनका भ्रूण कितना विकसित हो गया है। होने वाले बच्चे को अभी कितना समय लगेगा। आमतौर पर प्रेगनेंसी कैलेंडर में नौ माह ही तय किए गए हैं, लेकिन आपातकालीन स्थितियों में ये कैलेंडर आठ महीने या दस महीने का भी हो सकता है। प्रेगनेंसी कैलेंडर के माध्यम से गर्भवती ये जानने में सक्षम होती है कि क्या उनका होने वाला बेबी नॉर्मल है या नहीं। गर्भावस्था कैलेंडर के माध्यम से ही भू्रण के विकास और आने वाली स्थितियों का अंदाजा रहता है। कई बार इस कैलेंडर की बदौलत गर्भवती अपनी डिलीवरी तिथि के बारे में भी जान सकती है।

प्रश्र: गर्भपात क्या होता है? इसका पता कैसे चल सकता है कि गर्भवती महिला को ये समस्या हो सकती है?

उत्तर: कभी-कभी किसी महिला को गर्भपात जैसी समस्या से गुजरना पड़ सकता है। कई बार लापरवाही या अनजाने में ही गर्भपात हो जाता है तो कई बार किन्हीं कारणों से गर्भावस्था क्षति होती है। गर्भावस्था क्षति यानी भू्रण की धडक़न पूरी तरह से पनपने से पहले ही गर्भ में रूक जाती है। सामान्यत: महत्वपूर्ण संकेतों में योनि से रक्तस्राव होने लगता है या फिर पेट के निचले हिस्से में अचानक बहुत दर्द होने लगता हैं। हालांकि आरंभ में रक्तस्राव बहुत ज्यादा नहीं होता लेकिन धीरे-धीरे बहुत ज्यादा हो जाता है। अधूरा गर्भपात तब होता है जब भू्रण का कोई भाग गर्भ में रह जाता है। गर्भ धारण के तीसरे से चौथे माह के बीच में होने वाला गर्भपात अकसर अपूर्ण रह जाता है। अपूर्ण गर्भपात में रक्तस्राव जारी रहता है और गर्भ में बच गये ऊतकों में संक्रमण की आशंका बनी रहती है, जिससे बुखार और पेट दर्द भी होता है। कई बार गर्भवती महिला को मलेरिया जैसी कोई बीमारी होने से होने वाले बच्चे को खतरा रहता है। लेकिन बीमारी की हालत में यदि महिला पेट के बल गिर पड़ी है, तो ऐसे में गर्भपात की संभावना ज्यादा होती है। उन महिलाओं को गर्भावस्था क्षति हो सकती है, जो अक्सर बीमार रहती है या फिर पहले उनका गर्भपात हो चुका हो। गर्भपात के संकेतों में कई सामान्य लक्षण भी दिखाई देते हैं जैसे कि योनी से रक्त के थक्कों का आना, गर्भवती स्त्री के कमर में दर्द होना, बच्चे का पेट के नीचे खिसक जाना, योनी से भूरे रंग का खून बहना, पेल्विक क्षेत्र में ऐंठन, पीठ के निचले हिस्से और पेट में ऐंठन, स्तन की कोमलता, गर्भावस्था के लक्षणों का ना होना या अचानक से बंद हो जाना इत्यादि लक्षण है।

प्रश्र: गर्भावस्था के दौरान मेडिकल चेकअप का कितना महत्व है? क्या यह आवश्यक है?

उत्तर: गर्भावस्था या प्रेगनेंसी के पता चलने के बाद पहले चेकअप में डॉक्टर महिला के स्वास्थ्य, पारिवारिक मेडिकल हिस्ट्री, खून और पेशाब की जांच के बारे में जानकारी लेते हैं। अगर उसे कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या है, जैसे- हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर, हार्ट या ब्लड वेसल प्रॉब्लम, तो डॉक्टर को जरूरी है कि वो बताएं। इसमें डॉक्टर पूरा चेकअप करता है। इस दौरान वो आपके कद, वजन, ब्लड प्रेशर और पेल्विक ऑर्गन की जांच करेगा। इस चेकअप के बाद उसे अनुमान हो जाएगा कि कितने दिनों बाद बच्चे का जन्म होगा। ऐसी अवस्था में जरूरी है कि वो डॉक्टर से नियमित रूप से दिशा निर्देश ले। डॉक्टर नियमित रूप से गर्भवती महिला के ब्लड प्रेशर, पेशाब और वजन की जांच करेगा। जरूरत पडऩे पर जेनेटिक या मेडिकल डिफेक्ट से संबंधित कुछ खास टेस्ट की भी सलाह दी जा सकती है। बच्चा सही तरीके से विकसित हो रहा है या नहीं, ये जानने के लिए अल्ट्रासाउंड किया जाता है। अगर उसे किसी भी तरह की कोई परेशानी होती है, तो जरूरी है कि आप अपने विशेषज्ञ को जरूर इस बात से अवगत कराएं।

प्रश्र: गर्भपात के बाद महिलाओं में फिर से मां बनने की गुंजाईश कम हो जाती है क्या ये सत्य है?

उत्तर: नहीं ऐसा नहीं है। गर्भपात के कई कारण हो सकते हैं ऐसी समस्या हर महिला में पाई जाए ये जरूरी नहीं है। जांच के बाद ही आपको इसके बारे में सही जानकारी दी जा सकती है। लेकिन ऐसा हो जरूरी नहीं कि गर्भपात के बाद महिला मां फिर से ना बन सके। एक बात इस बारे में मैं और बताना चाहूंगा कि एक बार गर्भपात होने के बाद फिर से गर्भपात की संभावना बनी रहती है। इसलिए जरूरी है कि इसमें विशेषज्ञ की निगरानी में गर्भवती महिला पूरी तरह से रहे और डॉक्टर की सलाह अनुसार ही चले क्योंकि इस दौरान काफी एहतियात बरतने की आवश्यकता होती है।

प्रश्र: सर्जरी द्वारा शिशु होने के बाद फिर से गर्भधारण किया जा सकता है?

उत्तर: लोगों में इस बात को लेकर काफी भ्रम होता है कि सर्जरी के बाद महिला मां नहीं बन सकती लेकिन ऐसा नहीं है। सर्जरी से बच्चा होने के बाद भी महिला फिर से मां बन सकती है।

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31 Responses

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  1. vasudha
    Jan 18, 2016 - 12:47 PM

    Garbh me kis kis manth me baby ke kon kon se ang viksit hote h point to point samjhaiye……

    Reply
    • मीना कौंडल
      Jan 18, 2016 - 10:36 PM

      वसुधा जी
      नमस्कार,
      शीघ्र ही हम आपके दिए विषय पर गाईनिकॉलोजिस्ट विशेषज्ञ से विस्तार पूर्वक चर्चा करके अपने “हेल्थ” कालम में इसी सप्ताह जानकारी देंगे!
      धन्यवाद,
      संपादक
      him shimla live

      Reply
  2. गजेंदर सिंह
    Feb 26, 2016 - 05:06 PM

    बच्चा अगर आठवें महीने मैं ऑपरेशन द्वारा ले लिया गया हो और वो हष्ट पुष्ट हैं । तो कोई प्रॉब्लम तो नहीं होगी ना डॉक्टर सहाब ? और कोई समस्या तो नही ना ? कृपया मुझे बताएं

    Reply
    • मीना कौंडल
      Feb 26, 2016 - 08:47 PM

      जी नहीं, किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं। बस आवश्यकता है बच्चे की उचित देखभाल की। लेकिन कुछ बातों का अवश्य ध्यान रखें। बच्चे को संक्रमण से दूर रखें। बच्चे को सिर्फ माँ का दूध ही पिलाएं। बच्चे को गर्म रखें। साफ-सुथरा रखें। बच्चे को ज्यादा लोगों के सम्पर्क से दूर रखें। समय-समय पर बच्चे की डॉक्टर से जाँच करवाते रहें और उचित परमर्श लें।

      गाईनिकॉलोजिस्ट विशेषज्ञ: डॉ. सुभाष
      कमला नेहरु अस्पताल शिमला (हि.प्र.)

      Reply
  3. ramchandra sharma
    Mar 17, 2016 - 11:28 PM

    Dr. Ji… sonography me c.r.l 10 mm 7 week ka kya matlab hai

    Reply
  4. Princi singh
    Jul 08, 2016 - 10:15 AM

    रिलेशन बनाने के तीसरे दिन पीरियड हुवा तब ओर नार्मल हुवा था फिर हमें पीरियड हुवा ही नहीं मुझे लगा की प्रेग्नेंट हु मै लेकिन प्रेग्नेंट भी नहीं हु अभी तक । 3 महीने हो चुके हैं अभी भी पीरियड नहीं हुवा है क्या करे ।

    Reply
  5. usha
    Jul 10, 2016 - 12:41 PM

    Mera 9 month chal raha h…. lekin bachha niche nahi aaya h,,,,,mai Kya karu

    Reply
    • मीना कौंडल
      Jul 10, 2016 - 12:46 PM

      आप अपने किसी निजी अस्पताल की बेहतर महिला गाईनिकॉलोजिस्ट डॉक्टर से इस बारे में उन्हें विस्तार से जानकारी देकर परामर्श लें।

      Reply
      • रीता
        Jul 12, 2016 - 10:55 PM

        मैडम क्या गर्भवती होने पर योनी से सफेद पानी आता है कृपया जल्दी बतायें?

        Reply
        • मीना कौंडल
          Jul 16, 2016 - 02:25 PM

          जी ये ठीक नहीं है आप अपनी महिला गाईनिकॉलोजिस्ट डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।

          Reply
      • teena
        Apr 11, 2017 - 04:19 PM

        Me pragnent hu ya nhi kese PTA lagaoo
        Mene prega news se check kiya to usme ek hi rekha aayi
        Thi jiska matlb negative h but mere aaj kuch safed gadha Pani aaya Tha iska kya matlb h mujhe jaroor bataye

        Reply
  6. sankar chauhan
    Jul 15, 2016 - 07:21 AM

    नमस्कार .आप से एक सलाह लेनी थी अगर महिला गर्भवती है । और गर्भवती को 2 महीने है तो उसे खाने किया दे वो कुछ खा नहीं पाती क्या किया जाए.

    Reply
    • मीना कौंडल
      Jul 16, 2016 - 02:23 PM

      आप अपनी महिला गाईनिकॉलोजिस्ट डॉक्टर से अपनी स्थिति के बारे में विस्तार से उन्हें जानकारी देकर सलाह लें।

      Reply
  7. विवेक नायक
    Sep 01, 2016 - 03:30 AM

    एक महिला जिसे बालपन में हल्का पोलियो का झटका लगा था तो क्या विवाह उपरांत उनके होने वाले बच्चों पर भी ये पोलियो का खतरा होगा

    ये आनुवंशिक रोग है क्या माता या पिता में से किसी को हो तो बच्चों को भी हो सकती है क्या ?

    कृपया मेरे प्रश्नो का समाधान करे

    Reply
    • मीना कौंडल
      Sep 01, 2016 - 09:30 PM

      जी नहीं ये आनुवंशिक रोग नहीं है। नियमित रूप से माँ गर्भावस्था के दौरान लगने वाले टीके और दवाईयों को नियमित लें। और बच्चा होने के बाद बच्चे को नियमित टीकाकरण के दौरान सभी टीके और दवाई पिलाएं।

      Reply
  8. suresh
    Sep 09, 2016 - 11:34 PM

    Ager woman pagernt h or time date sye10 th days upr ho jaye or bcha nhe cheye tho kya kre plz tel me

    Reply
  9. शेखर सेठ
    Sep 14, 2016 - 08:50 PM

    आठवें महीने में पानी का रिसना कितना खतरनाक हो सकता है।

    Reply
  10. Rajni
    Oct 09, 2016 - 07:37 PM

    मुझे गर्भावस्था का तीसरा महीना चल रहा हैं इस समय मुझे कुछ दिनों से हल्का ब्लड हो रहा हैं पर दर्द नहीं हैं मेने डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने बच्चा ठीक बताया ओर कूछ दवाई बताई।
    मुझे ये समझ नहि आ रहा कि मुझे बिल्डिंग क्यूँ हो रही हैं ओर ये किनते दिन हो सकती हैं मेरे बच्चे पर इसका कोई बुरा प्रभाव तो नहीं होगा न plz बताए डॉक्टर मैं बहुत चिन्तित रहती हूँ

    Reply
  11. lavisha
    Oct 23, 2016 - 07:20 PM

    2month ho gye par mera prioud time monthy aa RHA hai muje samj me nhi aa RHA ki me payegnet hu ya nhi me payegnet nhi hona chahti par me canfused ki kese pta chal sakta ki me payegnet hu ya nhi urine test bhi negative hai par muje daut hai ki khi me payegnet tho nhi hu

    Reply
    • मीना कौंडल
      Oct 23, 2016 - 07:56 PM

      आप अपने किसी नजदीकी महिला गाईनिकॉलोजिस्ट डॉक्टर के पास जाकर उन्हें अपनी पूरी स्थिति बताएं। और उनके द्वारा बताएं टेस्ट करवाएं।

      Reply
  12. amrik singh
    Nov 14, 2016 - 06:50 AM

    मैं अमरिक सिंह मेरी वाईफ़ को सात्वे महिने मे खून ओर खून के धब्बे से ाआ रहे तो हमने किया करना चहिये plz मुझे बेताइये

    Reply
    • मीना कौंडल
      Nov 14, 2016 - 04:37 PM

      आप गाईनिकॉलोजिस्ट डॉक्टर के पास अपनी पत्नी को लें जाएँ और डॉक्टर को पूरी और सही जानकारी से अवगत कराएं।

      Reply
  13. Mahtab khan
    Dec 31, 2016 - 04:41 AM

    Namaskar mam meri patni 18 week pregnent hai usse 2 deen ae pet ke nechle hisse mein bahut dard kya ye koi tension wali baat hai ya normal plz mujhe jaldi batayen mam

    Reply
    • Sawitri
      Jan 03, 2017 - 10:35 AM

      Madam mera third month chal raha hai shaadi se phele mujhe white discharge ki problem thi aur pregnent hone ke baad private part par white rang ka liquid jama ho jata hai aur usme se smell bhi bhout aati hai roz acche se saaf karne par bhi roz dikkat ho jati hai isse mere baby ko koi dikkat to nahi hogi

      Reply
  14. priti
    Jan 10, 2017 - 03:58 PM

    Muje 6 week ki pregnancy h or ultrasound m baby dikhai nhi dy rha h 10 din baad fir sy ultrasound bola h krwane ko kya pregnancy m aisa hota h kya

    Reply
  15. अशोक लोहानी
    Jan 23, 2017 - 08:15 AM

    नमस्कार जी
    1 महीना 20 दिन के बाद जब मासिक धर्म चक्र नही आया तो मेंने 3 बार यूरिन टेस्ट किया है उसमे पॉजिटिव आया है
    लेकिंन योनि से रक्त निकलता है ओर पेट के निचले हिसे ओर कमर मे दर्द होता
    इसका क्या मतलब हो सकता है
    प्लीज़ मेरी मदद कीजिए

    Reply
  16. अशोक लोहानी
    Jan 23, 2017 - 08:17 AM

    नमस्कार जी
    1 महीना 20 दिन के बाद जब मासिक धर्म चक्र नही आया तो मेंने 3 बार यूरिन टेस्ट किया है उसमे पॉजिटिव आया है
    लेकिंन योनि से रक्त निकलता है ओर पेट के निचले हिसे ओर कमर मे दर्द होता
    इसका क्या मतलब हो सकता है
    प्लीज़ मेरी मदद कीजिए

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  17. Anil kumar
    Jan 31, 2017 - 05:52 PM

    Meri patni ne 11 month pahale opration se ek bacchi ko janam diya he or meri patni dubara ek mah se pregnant he to koi dikkat to nahi he….

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  18. सुनील
    Feb 11, 2017 - 01:58 PM

    सोनोग्राफी में लिखी गयी डेट क्या पूर्णतया सही हो सकती है? क्या यह पता लगाया जा सकता है की महिला कब या कोनसे दिन गर्भवती हुई थी? Pls reply

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  19. sachin
    Mar 01, 2017 - 10:57 PM

    Mem ji meri patni ko rat me 5mint ke bad pisab aane lgta he rat me 25se30bar pisab ko jati he wo presan he me kya kru

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  20. Tanu
    Jun 24, 2017 - 02:57 PM

    Mam mere pregnancy ka dusra mhina hain main glti de 1week cetrazine ke medicine kha le isse mere bche ko kuch hoga to nhi

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