आपदा प्रबन्धन पर राज्य स्तरीय जागरूकता कार्यशाला आयोजित

शिमला: हिमाचल प्रदेश आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण और राजस्व विभाग के आपदा प्रबन्धन सैल द्वारा समर्थ-2015 के अन्तर्गत आज यहां ‘आपदा प्रबन्धन में मीडिया की भूमिका’ पर राज्य स्तरीय जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला का शुभारम्भ करते हुए प्रधान सचिव उद्योग, श्रम एवं रोजगार, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले आर.डी. धीमान ने कहा कि यह कार्यशाला निश्चित तौर पर किसी भी प्रकार की आपदा के दौरान मीडिया की भूमिका पर संवाद, सरकार के राहत एवं बचाव कार्यों और आपदा प्रबन्धन से जुड़े विभागों तथा प्रभावित समुदायों के मध्य प्रभावी तालमेल स्थापित करने जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श करने में मददगार सिद्ध होगी। इसके अतिरिक्त, आपदा के दौरान जनजीवन और सम्पत्ति के नुकसान को कम करने के बारे में लोगों को शिक्षित करने में मीडिया के सहयोग पर भी चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य आपदा के दौरान विभिन्न हितधारकों तथा मीडिया की भूमिका से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श की शुरूआत करना है। उन्होंने कहा कि आपदा पूर्व एवं पश्चात उजागर होने वाले अनेक महत्वपूर्ण मामलों के बारे में मीडिया को सूचित करने एवं स्पष्टीकरण देने के लिए सरकारी एजेंसियों, सिविल सोसायटी तथा अन्य संगठनों की भूमिका पर भी कार्यशाला में विस्तारपूर्वक चर्चा होगी और महत्वपूर्ण विचार सामने आएंगे।

राजस्व एवं आपदा प्रबन्धन के विशेष सचिव देवदत्त शर्मा ने हि.प्र. राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा प्रदेश में कार्यान्वित की जा रही विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबन्धन के बारे लोगों को जागरूक करने के लिए पहली अक्तूबर से 13 अक्तूबर, 2015 तक प्रदेश भर में विशेष कार्यक्रम एवं गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। आज आयोजित मीडिया की कार्यशाला इसी कड़ी का हिस्सा है।

सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के निदेशक डा. एम.पी. सूद ने कहा कि आपदा प्रबन्धन के लिए अपने आप को तैयार करना प्रत्येक व्यक्ति का सामाजिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि छोटी-छोटी तैयारियां बड़ी आपदा के खतरों को कम कर सकती है, चाहे यह आपदायें मानव निर्मित हों अथवा प्राकृतिक। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश भूकम्प जोन-5 में आता है और इस तरह तैयारियां करना अनिवार्य हो जाता है।

डा. सूद ने कहा कि मीडिया को प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की आवश्यकताओं के अनुरूप संवेदनशील होना चाहिए तथा अष्पष्ट एवं गलत सूचनाएं जो लोगों में भय एवं निराशा का माहौल उत्पन्न करती हैं, के प्रसार से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि मीडिया के माध्यम से प्रसारित सटीक और विश्वसनीय सूचनाएं अन्य किसी भी प्रकार की आधारहीन एवं गुमराह करने वाले समाचारो के मध्य संतुलन स्थापित करती हैं। उन्होंने कहा कि आधुनिक ज्ञान एवं तकनीकी जानकारी को पारम्परिक तौर-तरीकों के साथ सामजस्य बिठाकर सूचना का संप्रेषण सुनिश्चित बनाया जाना चाहिए ताकि जनजातीय एवं दूर दराज के क्षेत्रों तक लोग आसानी से आपदा से बचाव के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकें।

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