नौणी विश्वविद्यालय ने छात्र इंटर्नशिप और प्लेसमेंट के लिए सफल कृषि-उद्यमियों के साथ किया समझौता

नौणी : अपने स्नातक छात्रों के लिए इंटर्नशिप और प्लेसमेंट के अवसरों को बढ़ाने के लिए, डॉ. वाईएस परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी ने कृषि-बागवानी क्षेत्र में अग्रणी उद्यमियों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। यह सभी उद्यमी विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र हैं।

विश्वविद्यालय ने खान मशरूम फार्म सह प्रशिक्षण केंद्र, ऊना; धौलाधार मशरूम, जवाली; और एग्री क्लिनिक डायग्नोस्टिक एंड सॉल्यूशन सेंटर, सोलन के साथ करार किया है। कुलपति डॉ. परविंदर कौशल ने आईसीएआर एनएएचईपी की संस्थागत विकास योजना के तहत आयोजित कौशल विकास कार्यशाला में विश्वविद्यालय की ओर से इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

इस अवसर पर क्रमशः खान मशरूम फार्म और धौलाधार मशरूम गांव के मालिक यूसुफ खान और सुनील दत्त उपस्थित रहे। एग्री क्लिनिक डायग्नोस्टिक एंड सॉल्यूशन सेंटर से डॉ. बृजेश कमल इस अवसर पर मौजूद रहे।

सभा को संबोधित करते हुए डॉ. कौशल ने सभी उद्यमियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि छात्रों को उद्यमी बनने के लिए पूर्व छात्रों से सीखने का एक शानदार अवसर मिला है। युवा छात्रों को प्रशिक्षित करने के लिए सहमत होने के लिए उद्यमियों का धन्यवाद देते हुए डॉ कौशल ने अधिक से अधिक छात्रों से आगे आने और नौकरी ढूंढने वाले बनने के बजाय नौकरी प्रदाता बनने का आग्रह किया। उन्होंने छात्रों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय कृषि-बागवानी क्षेत्र में उनके उद्यम स्थापित करने के लिए तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का यह मानना है कि सफल उद्यमियों और पूर्व छात्रों का समर्थन और प्रेरणा महत्वपूर्ण होती है इसलिए उद्यमियों को इस पहल के तहत जोड़ा गया है। इससे पूर्व, कार्यशाला के संयोजक डॉ. अजय शर्मा ने प्रतिभागियों और अतिथि वक्ताओं का स्वागत किया। ईएलपी कार्यक्रम के गतिविधि प्रभारी डॉ. हरीश शर्मा ने बताया कि समझौते के तहत तीनों उद्यम, छात्रों को उद्यमशीलता गतिविधियों को समझने और शुरू करने में मदद करेंगे। विश्वविद्यालय के छात्रों की इंटर्नशिप के साथ-साथ कैंपस प्लेसमेंट के माध्यम से बेहतर प्लेसमेंट के अवसर भी प्रदान होंगे।

कार्यशाला के तकनीकी सत्र में उद्यमियों ने छात्रों के साथ अपनी सफलता की कहानियां साझा कीं। डॉ. बृजेश कमल ने कृषि क्लीनिक स्थापित करने की आवश्यकताओं के साथ-साथ विभिन्न सेवाओं के बारे में बात की। उन्होंने किसानों द्वारा लाए गए पौधे की समस्या का निदान की विधि और नमूने के विश्लेषण के आधार पर उपचार की सिफारिश की।

युसूफ खान ने अपने भाषण में हाइड्रोपोनिक्स खेती और इस क्षेत्र में एक सफल उद्यमी बनने पर बात की। उन्होंने कृषि उद्यमिता के भविष्य और एक सफल उद्यमी बनने के गुणों पर भी अपने विचार साझा किए। खान ने हाइड्रोपोनिक खेती में शामिल इकोनॉमिक्स पर भी बात की। सुनील दत्त ने एक कृषि उद्यम के रूप में मशरूम की खेती की क्षमता और सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों से संसाधन उपलब्धता के बारे में बात की। उन्होंने लंबी और छोटी विधियों द्वारा कम्पोस्ट तैयार करने और नियंत्रित और प्राकृतिक परिस्थितियों में उत्पादन इकाइयों को स्थापित करने के तरीके के बारे में भी बताया। विपणन और उपज के बाद के प्रबंधन जैसे विषयों को भी उन्होंने अपने लेक्चर में शामिल किया।

निदेशक अनुसंधान डॉ. रविंदर शर्मा, डॉ. दिवेंद्र गुप्ता, निदेशक विस्तार शिक्षा, डॉ. केके रैना पीआई आईडीपी, डॉ. हरीश शर्मा, ईएलपी के गतिविधि प्रभारी, डॉ. अजय शर्मा, कार्यशाला के संयोजक, डॉ. प्रेम प्रकाश सहित वैधानिक अधिकारी, वैज्ञानिक और स्नातक छात्र कार्यक्रम में शामिल हुए।

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