शूलिनी यूनिवर्सिटी और इंडियन आईआईटी रुड़की के आईहबदिव्यासंपर्क के बीच समझौता पत्र पर किए गए हस्ताक्षर

हिमाचल से संबंधित समस्याओं के समाधान पर ध्यान केंद्रित

शूलिनी यूनिवर्सिटी में स्मार्ट टेक्नोलॉजीज को किया जाएगा विकसित 

एमओयू पर वाइस चांसलर अतुल खोसला ने चांसलर डॉ. पी. के. खोसला व प्रो. चांसलर  विशाल आनंद और सीईओ आईहबदिव्यसंपर्क  मनीष आनंद की उपस्थिति में किए हस्ताक्षर 

सोलन: शूलिनी यूनिवर्सिटी और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) रुड़की के आईहबदिव्यासंपर्क के बीच एक अत्यंत प्रतिष्ठित और लाभकारी समझौता पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह समझौता स्मार्ट एग्रीकल्चर, स्मार्ट सिटीज, डिजिटल मेडिसिन और एडुटेक में योगदान देने की दिशा में काम करेगा ताकि दुनिया को प्रौद्योगिकी की शक्ति के माध्यम से बेहतर जगह बनाया जा सके। यह नवोदित उद्यमियों और शोधकर्ताओं को साइबर फिजिकल सिस्टम्स और आने वाले कल की स्मार्ट टेक्नोलॉजीज के निर्माण में मदद करने के लिए प्रोत्साहित करेगा और इसमें शामिल होगा। समझौते से न केवल शूलिनी यूनिवर्सिटी के शिक्षकों और छात्रों को मदद मिलेगी बल्कि हिमाचल प्रदेश से संबंधित समस्याओं के समाधान पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

आईहबदिव्यसंपर्क, एक टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और आईआईटी रुड़की की एक संयुक्त पहल है। समझौता पत्र साइबर फिजिकल सिस्टम्स में नई नई परियोजनाओं की फंडिंग और कृषि, स्वास्थ्य सेवा और अन्य कार्यक्षेत्रों में प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए कई नए दरवाजे खोलेगा। एमओयू पर वाइस चांसलर अतुल खोसला ने चांसलर डॉ. पी. के. खोसला और प्रो चांसलर  विशाल आनंद और सीईओ आईहबदिव्यसंपर्क  मनीष आनंद की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए।

यह परियोजना 135 करोड़ रुपये के सीड फंड के साथ नेशनल मिशन ऑन इंटरडिसिप्लिनरी साइबर फिजिकल सिस्टम्स (एनएम.आईसीपीएस) के तहत स्थापित की गई थी। इसका उद्देश्य साइबर फिजिकल सिस्टम्स के लिए स्मार्ट उपकरणों, सामग्रियों और टेक्नोलॉजीज के फोकस क्षेत्र में इनोवेशन को सक्षम बनाना है। ये आविष्कार इंडस्ट्री 4.0 और डिजिटल इंडिया के उद्देश्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं। इस प्रकार विकसित की गई प्रौद्योगिकियां भारतीय एमएसएमई को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी हेल्थकेयर सस्ती और हर भारतीय के लिए सुलभ बनाने और स्मार्ट सिटी बनाने में मदद करेंगी। प्रोफेसर खोसला ने कहा कि इस सीड फंड की मदद से हम इनोवेटर्स और स्टार्ट.अप्स को सपोर्ट करेंगे। मनीष आनंद ने कहा कि उन्हें भविष्य के उद्योग, स्मार्ट सिटीज, स्मार्ट एग्रीकल्चर और डिजिटल हेल्थ के लिए साइबर भौतिक प्रणालियों के व्यापक क्षेत्र में इनोवेशन करने के लिए एक युवा गतिशील और सबसे महत्वपूर्ण इनोवेशन संचालित यूनिवर्सिटी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने में प्रसन्नता हो रही है और कहा कि इस प्रक्रिया में हिमाचल प्रदेश से जुड़ी समस्याओं के समाधान पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

समझौता पत्र साइबर.फिजिकल सिस्टम्स और नए युग की प्रौद्योगिकियों से संबंधित उद्यमिता विकास और प्रशिक्षण पर जोर देगा। यह शूलिनी यूनिवर्सिटी के छात्रों और फैकेल्टी सदस्यों द्वारा विकसित अच्छी गुणवत्ता वाले सीपीएस से संबंधित पेटेंट, परियोजनाओं और प्रकाशनों की पहचान करने और उन्हें वास्तविक उत्पाद में परिवर्तित करने के अवसरों का पता लगाएगा जो सामाजिक जरूरतों को हल कर सकते हैं। यह समग्र इनोवेशन ईकोसिस्टम को सक्रिय करने पर दीर्घकालिक रणनीतिक संबंध बनाने की दिशा में काम करेगा और उद्योग की प्रासंगिक समस्याओं की पहचान करने और प्रतिक्रिया प्रदान करने जैसे विभिन्न पहलुओं पर सहयोग करने के अवसरों की पहचान करेगा।

आईहबदिव्यासंपर्क शूलिनी यूनिवर्सिटी में अपना एक्सटेंशन सेंटर स्थापित करने की संभावना तलाशेगा। दोनों पक्ष संयुक्त रूप से इस समझौता ज्ञापन के उद्देश्य का समर्थन करने के लिए वित्त पोषण के अवसरों का पता लगा सकते हैं। आईहबदिव्यासंपर्क सीपीएस डोमेन में कुछ दिलचस्प परियोजनाओं को फंड देने का भी निर्णय ले सकता है।

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