हिमाचल में सेब बागवानों को लूट रहे आढ़ती, सरकार बनाए कानून

सेब के गिरते दामों को लेकर संगठन के कार्यकर्ताओं ने रिज मैदान पर दिया धरना

लूट को रोकने और समस्या का स्थायी समाधान करने के लिए आढ़तियों को लाइसेंस देने के बाद ही व्यापार की अनुमति दी जानी चाहिए : दीपक राठौर

 शिमला: प्रदेश के सेब बागवान मंडी में आढ़तियों की मनमानी से परेशान हैं तो वहीं सेब के दामों में गिरावट लगातार जारी है।  कांग्रेस के राजीव गांधी पंचायती राज संगठन का दावा है कि कई सेब बागवानों का करीब 100 करोड़ रुपये बकाया है।  कुछ आढ़ती बागवानों को लूट कर फरार हो गए हैं और कुछ पैसा देने में आनाकानी कर रहे हैं।  इस मुद्दे को लेकर और सेब के गिरते दामों को लेकर संगठन के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को राजधानी शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे धरना दिया। कार्यकर्ताओं ने मुंह पर काले मास्क पहन कर विरोध दर्ज किया, गिरते दामों को को लेकर सरकार से हस्तक्षेप की मांग की। विभिन्न मांगों को लेकर पंचायती राज संगठन ने राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा।

हिमाचल कांग्रेस के पंचायती राज संगठन के संयोजक दीपक राठौर ने का कहना है कि बीते 4-5 वर्षों में कई सेब बागवानों का पैसा डूब गया है। ये राशि 80 से 100 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि इस लूट को रोकने और समस्या का स्थायी समाधान करने के लिए आढ़तियों को लाइसेंस देने के बाद ही व्यापार की अनुमति दी जानी चाहिए।

आढ़तियों की लूट से बागवानों को बचाने के लिए आर्थिक अपराध शाखा यानी Economic Offence Wing का गठन किया जाए। इसी के तहत आढ़ती काम करे और एपीएमसी का सारा बजट बागवानी क्षेत्र के ढांचागत विकास, कोल्ड स्टोर, सीए स्टोर और प्रोसेसिंग प्लांट पर ही खर्च हो। संगठन का कहना है कि 5 हजार करोड़ रुपये की आर्थिकी को बचाने के लिए सरकार एक विशेष कानून बनाए। पंचायतों में बीडीसी स्तर एक सीए स्टोर खोला जाए ताकि मार्किट में दाम कम होने पर किसान-बागवान अपनी फसल को स्थानीय स्तर पर स्टोर कर सके और जिला परिषद स्तर पर फूड प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किया जाए। अन्य खर्चों से बचाने के लिए सरकार जल्द यूनिवर्सल कार्टन को लाए, जिससे बाजार में एक सिद्धांत स्थापित किया जा सकेयूनिवर्सल कार्टन आने से खरीद-फरोख्त का सिद्धांत, भार, आकार और गुणवत्ता का सिद्धांत स्थापित हो सके। मांग पत्र में इसके अलावा कई और सुझाव सरकार को दिए गए हैं।

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