डाॅ. वाई.एस परमार की 115वीं जयंती पर राज्य स्तरीय समारोह आयोजित

  • डॉ. यशवंत सिंह परमार की 115 वीं जयंती पर प्रदेश ने किया हिमाचल निर्माता को याद

  • मुख्यमंत्री ने डाॅ. यशवंत सिंह परमार को पुष्पांजलि अर्पित की

शिमला: मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने हिमाचल निर्माता और प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डाॅ. वाई एस परमार की 115वीं जयंती पर आज यहां रिज पर स्थित उनकी प्रतिमा पर पुष्पाजंलि अर्पित की।इसके उपरान्त मुख्यमंत्री ने विधानसभा परिसर शिमला में आयोजित एक समारोह में भाग लेते हुए डाॅ. परमार के चित्र पर भी पुष्पांजलि अर्पित की। विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार, विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री, जल शक्ति मंत्री महेन्द्र सिंह, संसदीय मामले मंत्री सुरेश भारद्वाज, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री सरवीण चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. राजीव सैजल, ऊर्जा मंत्री सुखराम चैधरी, विधानसभा के उपाध्यक्ष हंसराज, मुख्य सचेतक बिक्रम जरयाल, उप मुख्य सचेतक कमलेश कुमारी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डाॅ. राधारमण शास्त्री और डाॅ. राजीव बिंदल, विधायक, विधानसभा सचिव और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी इस अवसर पर डाॅ. परमार को पुष्पांजलि अर्पित की।

  • डाॅ. परमार के प्रयासों से हिमाचल को मिली अलग पहचान

मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज शिमला के पीटरहाॅफ में हिमाचल प्रदेश के निर्माता एवं प्रथम मुख्यमंत्री डाॅ. यशवंत सिंह परमार की 115वीं जयंती के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि डाॅ. परमार एक निःस्वार्थ, प्रेरणादायक और बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। डाॅ. परमार को प्रदेश के निर्माण, इसे उचित आकार व स्थान दिलाने के लिए सदैव याद रखा जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि डाॅ. वाई.एस. परमार का सपना था कि पहाड़ी लोगों की एक अलग पहचान हो। उन्होंने कहा कि डाॅ. परमार ने अपने कार्यों से स्वयं को अमर किया है। डाॅ. परमार की प्रतिबद्धता और समर्पण के फलस्वरूप ही हिमाचल को अनेक कठिनाइयों के बावजूद एक अलग पहचान मिली। उन्होंने कहा कि डाॅ. परमार की स्पष्टता, दूरदर्शिता और सशक्त प्रयासों के कारण ही वर्ष 1971 में हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्यत्व का दर्जा प्राप्त हुआ।

जय राम ठाकुर ने कहा कि डाॅ. परमार पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें स्वयं को पहाड़ी कहलाने में गर्व महसूस होता था और इसके पश्चात ही हिमाचली लोगों ने हर प्रकार की हिचकिचाहट को त्याग कर स्वयं का इस मिटटी से सम्बन्ध होने में गर्व महसूस करना आरम्भ किया। उन्होंने कहा कि डाॅ. परमार पहाड़ी संस्कृति के प्रशंसक थे। वह पहाड़ी वेश-भूषा धारण करते थे और पहाड़ी वास्तुकला का प्रचार करते थे। डाॅ. परमार सही मायने में राज्य की समृद्ध संस्कृति के सच्चे प्रचारक थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि डाॅ. वाई.एस. परमार का राज्य के विकास, विशेषकर सड़कों के निर्माण, बागवानी तथा कृषि क्षेत्र में अहम योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि डाॅ. परमार की दूरदर्शिता और सशक्त नेतृत्व के कारण ही हिमाचल प्रदेश आज पहाड़ी क्षेत्रों के विकास के लिए देश में आदर्श राज्य बनकर उभरा है। डाॅ. परमार ने विकास के मुद्दों और योजना के सम्बन्ध में पहाड़ी क्षेत्रों को भारत के अन्य क्षेत्रों के अनुरूप आंकने के विरुद्ध आवाज उठाई और केन्द्र सरकार को केवल मैदानी क्षेत्रों के विकास के दृष्टिगत योजनाएं न बनाकर पहाड़ी राज्यों को भी प्राथमिकता देने के लिए राजी किया।

जय राम ठाकुर ने कहा कि आज हिमाचल प्रदेश शिक्षा, जलविद्युत, स्वास्थ्य, सामाजिक कल्याण आदि क्षेत्रों में अन्य राज्यों के लिए आदर्श बन चुका है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के पूर्ण राज्यत्व की स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष्य पर प्रदेश के 50 वर्षों की शानदार यात्रा की झलक प्रदर्शित करने के उद्देश्य से सरकार ने प्रदेश भर में 51 कार्यक्रम आयोजित करने की योजना तैयार की थी। लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण यह सम्भव नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि हम सभी को डाॅ. परमार के जीवन और कार्यों से प्रेरणा लेनी चाहिए, जो इस महान धरतीपुत्र के लिए सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी।

मुख्यमंत्री ने डाॅ. परमार के जीवन पर आधारित छायाचित्र प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया और इसमें गहरी रूचि दिखाई। इस अवसर पर उन्होंने डाॅ. परमार के परिवार के सदस्यों को भी सम्मानित किया।

हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने कहा कि आज प्रदेश का हर नागरिक डाॅ. वाई.एस परमार के प्रयासों के लिए कृतज्ञ है, जिनके कारण हमारी अलग पहचान है और विभिन्न क्षेत्रों मंे विकास के अवसर प्राप्त हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में पूर्व में रहेे प्रत्येक मुख्यमंत्री ने प्रदेश के विकास के लिए अत्यधिक योगदान दिया है। इन सभी मुख्यमंत्रियों का योगदान, हर व्यक्ति के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा निर्धारित लक्ष्यों और मील पत्थरों को हासिल करने के लिए दृढ़ प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा परिसर में डाॅ. परमार संग्रहालय का विस्तार करने के लिए प्रयास किए जाएंगे।

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि डाॅ. वाई.एस. परमार के प्रयासों के कारण हिमाचल प्रदेश, भारत का 18वां राज्य बना। उन्होंने कहा कि डाॅ. परमार के दृढ़ प्रयासों और मेहनत के कारण ही राज्य के लोगों को अपने भाग्य का निर्णय लेने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि डाॅ. परमार ने न केवल हिमाचल की अलग राज्य के रूप में कल्पना की, बल्कि यह सुनिश्चित किया कि प्रदेश के हित संरक्षित और बरकरार रहें। उन्होंने यह समारोह शानदार तरीके से आयोजित करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।

संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि डाॅ. वाई.एस. परमार का प्रदेश को विशेष पहचान दिलाने और राज्य के विकास का रोड मैप तैयार करने में महत्त्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि डाॅ. परमार आम आदमी के नेता थे और हमेशा उनके कल्याण और विकास के लिए संघर्षरत रहे। उन्होंने राज्य में सेब की बागवानी को प्रोत्साहित करने के लिए डाॅ. परमार के योगदान को भी याद किया, जिससे लोगों की आर्थिकी में बदलाव आया है।

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