शिमला: ढली सुरंग के समानांतर हाईवे सुरंग का होगा निर्माण

  • शिमला स्मार्ट सिटी मिशन के तहत होगा ढली सुरंग के समानांतर हाईवे सुरंग निर्माण के कार्य के लिए लोग करें सहयोग

  • 1852 में निर्मित ढली सुरंग बहुत पुरानी है तथा भविष्य में संभावित घटना न हो इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था आवश्यक

  • क्षेत्र में बढ़ती हुई आबादी, यातायात और पर्यटकों की आमद तथा क्षेत्र विस्तार के कारण एक अन्य सुरंग की अत्यंत आवश्यकता

शिमला: जन समुदाय एवं पर्यावरण सुरक्षा के तहत शिमला स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत  ढली सुरंग के समानांतर हाईवे सुरंग निर्माण के कार्य के लिए लोगों के सहयोग की अत्यंत आवश्यकता है। यह विचार आज उप-महापौर शिमला नगर निगम शैलेन्द्र चौहान ने ढली स्थित जनजातीय भवन में अधीक्षण अभियंता हिमाचल प्रदेश सड़क एवं अवसंरचना विकास निगम (HPRIDCL) निर्माण भवन शिमला द्वारा हितधारकों के साथ आयोजित सार्वजनिक परामर्श के उपरांत व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि 1852 में निर्मित ढली सुरंग बहुत पुरानी है तथा भविष्य में संभावित घटना न हो इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था आवश्यक है। उल्लेखनीय है कि सीमेंट निर्मित ढांचे की औसत अवस्था सौ वर्ष आंकी जाती है जबकि ढली सुरंग के निर्माण की अवधि 150 वर्ष से अधिक हो चुकी है। क्षेत्र में बढ़ती हुई आबादी, यातायात और पर्यटकों की आमद तथा क्षेत्र विस्तार के कारण एक अन्य सुरंग की अत्यंत आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि ढली सुरंग के लिए टेंडर प्रक्रिया चल रही है, जिसे 2022 तक निर्मित कर तैयार कर लिया जाएगा।
अधीक्षण अभियंता आर.के. श्रीधर ने समानांतर बनने वाली सुरंग की विशेषताओं के संबंध में जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि उच्च गुणवत्तायुक्त तकनीक से निर्मित होने वाली चौड़ाई लगभग 150 मीटर होगी। डबल लेन के माध्यम से सुरंग में गाड़ियों के आने-जाने की व्यवस्था होगी, जिससे जाम से निजात मिलेगी और लोगों के समय की बचत होगी। इसके अतिरिक्त सुरंग के दोनों तरफ पैदल चलने वालों के लिए पर्याप्त पैदल मार्ग की सुविधा सुनिश्चित की जाएगी, जिसके नीचे उपयोगी सेवाओं के लिए केबल बिछाने अथवा पानी या बिजली की पाईप निकालने या संचार केबल निकालने का प्रावधान भी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि नई ऑस्ट्रियन सुरंग तकनीक से इस टनल का निर्माण किया जाएगा। जियो डाटा गु्रप को इस टनल के निर्माण का प्रबंधन सलाहकार नियुक्त किया गया है, इनके द्वारा दिल्ली, बैंगलुरू ऋषिकेश आदि अनेक शहरों में मैट्रो एवं सड़क सुविधा के तहत निर्मित सुरंगों के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाई है। उन्होेंने बताया कि चूंकि टनल के ऊपर भवन आदि निर्मित किए गए है, इसलिए इस सुरंग का निर्माण विशेष तकनीक से किया जाएगा ताकि भवनों को कोई नुकसान न पहुंचे।

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