स्वास्थ्य अधिकारियों व कर्मचारियों को मिलें सेवा विस्तार: रोहित ठाकुर

सेब सीज़न की तैयारी के प्रति सरकार गम्भीर नहीं : रोहित ठाकुर

  • कार्टन व ट्रे के दाम में कोई बढ़ोतरी न होने का बागवानी मंत्री का बयान जनता को गुमराह करने वाला

  • सरकार उद्यान विभाग में रिक्त पड़े पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जाए

शिमला: कोरोना काल में गत्त वर्ष के कटु अनुभवों के बावजूद भी प्रदेश सरकार सेब सीज़न की तैयारियों को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है । यह बात पूर्व मुख्य संसदीय सचिव व जुब्बल नावर कोटखाई के पूर्व विधायक रोहित ठाकुर ने प्रेस विज्ञप्ति ज़ारी करते हुए कही। उन्होंने कहा कि सरकार के हस्तक्षेप के अभाव व कोरोना की आड़ में कार्टन फैक्ट्रियों ने पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष पैकेजिंग सामग्री के दामों में 25% तक बढ़ोतरी कर ली है जिससे अब बागवानों को प्रति पेटी कार्टन और ट्रे पर 25 से 30 रुपये अतिरिक्त देने पड़ेंगे। रोहित ठाकुर ने कहा कि कार्टन व ट्रे के दाम में कोई बढ़ोतरी न होने का बागवानी मंत्री का बयान जनता को गुमराह करने वाला है या मंत्री इस सच्चाई से परिचित नहीं है। रोहित ठाकुर ने कहा कि सरकार ने अपने स्तर पर कार्टन और ट्रे के टेंडर तो आमंत्रित कर दिए लेक़िन अभी तक इन्हें अंतिम रूप नहीं दिया गया जबकि कुछ दिनों में ही कम ऊंचाई वाले स्थानों में अर्ली वैरायटी के सेब का तुड़ान शुरू हो जाएगा और स्टोन फ्रूट का सीज़न जोरों से चला हुआ है। रोहित ठाकुर ने कहा कि उपरी शिमला में ओलावृष्टि और तूफ़ान का क्रम रुकने का नाम नहीं ले रहा। तूफ़ान से सेब सहित अन्य फ़सलों के साथ-2 घरों व गौशालाओं को भारी नुक़सान पहुँचा है। उन्होंने सरकार से ओलावृष्टि और तूफ़ान से प्रभावित किसानों को अविलम्ब राहत देने की मांग की है । इसके पहले अप्रैल माह में भी बेमौसमी बर्फबारी और ओलावृष्टि से सरकारी आंकलन के अनुसार सेब की बागवानी को  254 करोड़ रूपये का नुक़सान हुआ है, जिसकी भरपाई के लिए सरकार ने कोई भी कार्यवाही नहीं की हैं। रोहित ठाकुर ने कहा कि पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बागवानी क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित रूपये 1134 करोड़ रुपए का बागवानी विकास प्रोजेक्ट जनता को समर्पित किया गया था लेकिन भाजपा सरकार के उदासीन रवैए के चलते पिछले 3 वर्षों में प्रोजेक्ट के तहत मात्र रूपये 296 करोड़ रुपए ही खर्च हुए हैं जो कि स्वीकृत प्रोजेक्ट राशि का मात्र 26% है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने प्रदेश की आर्थिकी में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले कृषि क्षेत्र को प्रभावित किया हैं। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष कोरोना काल में जहां हर क्षेत्र ने पूरी तरह से घुटने टेक दिए थे वही किसानों की कड़ी मेहनत और इच्छाशक्ति से कृषि और बाग़वानी क्षेत्र मजबूती से खड़ा रहा । कृषि क्षेत्र का प्रदेश की विकास दर में 13% प्रतिशत का योगदान हैं जबकि प्रदेश की 70% जनता को भी इस क्षेत्र में रोजगार मिलता हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कृषि क्षेत्र में सर्वाधिक रूपये 5000 करोड़ रुपए की आर्थिकी पैदा करने वाली नक़दी फ़सल सेब की मुख्य भूमिका हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं से जूझने के बाद अब सेब पर स्कैब, मार्सेलोना, स्केल, माईट जैसी बीमारियों ने दस्तक दे दी हैं और ये पहली सरकार हैं जिसने किसानों को दवाइयों पर मिलने वाले अनुदान को ही बंद कर दिया। रोहित ठाकुर ने कहा कि जिला शिमला में सड़कों की दुर्दशा बनी हुई है। उन्होंने कहा कि पिछले 3 वर्षों में जिला शिमला में सड़क का एक भी नया प्रोजेक्ट केंद्रीय सड़क निधि (Central Road Fund) के तहत स्वीकृत नहीं हुआ और ना ही कोई सड़क वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट में डाली गई। रोहित ठाकुर ने कहा कि भाजपा सरकार जिला शिमला के साथ सौतेला व्यवहार कर रही हैं। कृषि उत्पादों को मंडियों तक पहुँचाने की दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण छैला नैरीपुल औच्छघाट हॉर्टिकल्चर सड़क को भी वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट से निकाल दिया हैं जो कि जिला शिमला के प्रति भाजपा सरकार की संकीर्ण मानसिकता को दिखाता है। रोहित ठाकुर ने कहा कि सेब बाहुल्य क्षेत्रों के ग्रामीण इलाकों में सड़कों की हालत दयनीय बनी हुई है और वहीं ठियोग हाटकोटी सड़क योजना में पिछले 4 वर्षो से मात्र 8% शेष निर्माण कार्य भी पूरा नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि सरकार सेब सीज़न से पहले ग्रामीण इलाकों की सड़कों को युद्ध स्तर पर सुधारें व ठियोग हाटकोटी सड़क योजना के लंबित पड़े निर्माण कार्य में भी तेजी लाएं। रोहित ठाकुर ने कहा कि पेट्रोल और डीज़ल के दाम रूपये100 का आंकड़ा पार कर चुके हैं जिसके चलते कृषि क्षेत्र में लागत बढ़ती जा रही है। उन्होंने प्रदेश सरकार से MIS के तहत किसानों और बाग़वानों की पिछले तीन वर्षों से लम्बित पड़ी 28 रूपये करोड़ की बकाया राशि को अविलम्ब जारी करने का आग्रह किया हैं। रोहित ठाकुर कि कहा कि सेब पर लागत बढ़ने से मंडी मध्यस्थता योजना के तहत सेब पर इस वर्ष समुचित समर्थन मूल्य भी बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में लागत बढ़ने व लॉकडाउन से सब्जी और फूल उत्पादकों को भारी नुक़सान उठाना पड़ रहा हैं। रोहित ठाकुर ने कहा कि किसानों को राहत देने के लिए केरल मॉडल की तरह सब्जियों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने पर सरकार को गम्भीरतापूर्वक विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के हित में न होने के चलते कारगर सिद्ध नहीं हो पाई और हर वर्ष किसानों का इस योजना के प्रति मोह भंग होता जा रहा है । उन्होंने कहा कि उद्यान विभाग में स्वीकृत उद्यान विकास अधिकारी के 264 पदों में से 160 पद रिक्त पड़े हैं इसी तरह उद्यान विस्तार अधिकारी के कुल 512 स्वीकृत पदों में 126 पद खाली चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार उद्यान विभाग में रिक्त पड़े पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जाएं।

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