हिमाचल : प्रदेश में शनिवार को ब्लैक फंगस का दूसरा मामला आया है। आईजीएमसी में उपचाराधीन सोलन के अर्की की 41 वर्षीय महिला है। जिसका ऑपरेशन भी कर दिया है और अब महिला की हालत स्थिर बताई जा रही है। आईजीएमसी के डिप्टी एमएस डॉ. राहुल गुप्ता ने पुष्टि करते हुए बताया कि दो दिन पूर्व सोलन से 41 वर्षीय महिला आईजीएमसी में भर्ती की गई थी, जिसे डॉक्टर की निगरानी में रखा गया था, कल महिला में ब्लैक फंगस के लक्षण पाए गए है। जिसका आज सफलता पूर्वक ऑपरेशन किया गया है और महिला की हालत स्थिर है। डॉ. राहुल गुप्ता ने बताया कि इससे पूर्व नेरचौक मेडिकल कॉलेज से रेफर की गई महिला की हालत भी अभी स्थिर है जिसका ऑपरेशन सोमवार को किया जाएगा। फिलहाल विशेषज्ञों की टीम दोनों महिलाओं की निगरानी कर रही है।
डॉ. राहुल गुप्ता का कहना है कि ब्लैक फंगस बीमारी हाईएस्ट स्टेज पर जाकर जानलेवा होती है। शुरुआती लक्षणों के समय पर जांच करने से इस बीमारी का दवाइयों वह इंजेक्शन से इलाज संभव है। पहले से गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों को ब्लैक फंगस होने की संभावना अधिक रहती है इसलिए उन्होंने लोगों से अपील की है कि ऐसे लोग अपना विशेष ख्याल रखें। उन्होंने बताया कि यह रोग संक्रामक नहीं है। यह जिस मरीज को हो रहा है, दूसरे को उससे होने की आशंका नहीं होती।
उन्होंने कहा कि अपने शरीर व चेहरे को अच्छे तरीके से साफ करते रहें। इस प्रकार का फंगस बनाने वाले कीटाणु वातावरण में मौजूद होते हैं, लेकिन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर ही वह फंगस का रूप धारण कर शरीर में काले निशान बनाते हैं।
पहले यह नाक और आंख सहित त्वचा में फैलता है। इस स्थिति में दवाई इंजेक्शन या फिर सर्जरी से इसका इलाज संभव है, लेकिन अगर या इन्फेक्शन दिमाग तक चला जाता है तो यह जानलेवा हो सकता है। आंखों में सूजन, पलकों का गिरना, धुंधला दिखना, आंखों में दर्द, नाक बंद होना, नाक से रक्त या काला तरल पदार्थ निकलना और नाक के आसपास काले धब्बे होने पर तुरंत डाक्टर की सलाह लें। उन्होंने बताया कि जो मरीज कोरोना को हराकर ठीक हुए हैं वे अपना शुगर चेक करते रहे। ज्यादा होने पर डाक्टर को बताएं। कोरोना होने के बाद ठीक हुए लोग 14 दिन तक आइसोलेशन में जरुर रहें।