“महिला दिवस” पर प्रदेश के 81 जिलों में पोषणयुक्त खाद्यान्न की लगाई कार्यशाला

  • नेशनल हेल्थ सर्वे के अनुसार प्रदेश में 53.4 फीसदी युवतियां  महिलाएं एनीमिक 

  • आंगनबाड़ी कार्यकताओं को भी प्राकृतिक खेती विधि के बारे में किया गया जागरूक

  • किसानों का कहना : प्राकृतिक खेती विधि में फसलें विपरीत परिस्थितियों में देती हैं  सही  उपज 

  • प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत अभी तक 1 लाख 7 हजार किसान परिवारों ने सुभाष   पालेकर प्राकृतिक खेती विधि को अपनाया

  • इस वर्ष प्राकृतिक खेती विधि के तहज 50 हजार अतिरिक्त किसानों को,जाएगा जोड़ा  और 1 लाख किसानों जागरूक किया  जाएगा

    शिमलामहिला दिवस के मौके पर सोमवार को प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत  पोषणयुक्त खाद्यान्न और प्राकृतिक खेती को लेकर प्रदेश के 81 विकास खंडों में एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, इस मौके पर प्रदेश के हर ब्लॉक में 12 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और 30 किसानों को सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती विधि के  तहत उगाए जाने वाले पोषणयुक्त खाद्यान्न के बारे में कृषि विभाग के अधिकारियों की ओर से जानकारी दी गई। प्रदेश के सभी जिलों में जिला  परियोजना निदेशक और ब्लॉक में खंड तकनीकी प्रबंधक और सहायक तकनीकी प्रबंधक की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यशाला में किसानों और आंगनबाड़ी कार्यकताओं को   प्राकृतिक खेती विधि के बारे में  जानकारी दी गई और प्रदर्शनी के माध्यम से किसानों को जागरूक किया गया। प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के कार्यकारी निदेशक प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने कहा कि     हिमाचल प्रदेश में पोषणयुक्त खाद्यान्न की अनुपलब्धता की वजह से महिलाओं और बच्चों में कई   बीमारियां देखी गई हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही में आए नेशनल हेल्थसर्वे के अनुसार हिमाचल प्रदेश में 53.4 फीसदी युवतियां  महिलाएं एनीमिक हैं। प्रदेश की 50 फीसदी गर्भवती महिलाएं और 5 साल तक की उम्र के 53.7 फीसदी बच्चे खून की कमी से जूझ रहे हैंवहीं 13.7 फीसदी बच्चे ऐसे हैं जो कुपोषण का शिकार हैं। 

    प्रो. चंदेल ने बताया कि प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत महिला किसानों के लिए  ‘मेरी बगिया’ के नाम से एक मॉडल तैयार किया गया है। इस मॉडल में घर के बाहर की क्यारी के लिए पोषणयुक्त सब्जियों और फलों को प्राकृतिक खेती      विधि से किस तरह उगाया जा सकता है इसके बारे में विस्तार से बताया गया। प्रदेशभर की 500 से अधिक पंचायतों में 4 हजार से ज्यादा किसान-बागवानों,  आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और कृषि अधिकारियों ने इस एकदिवसीय कार्यशाला में हिस्सा लिया।  

    कार्यशाला के मौके पर सभी ब्लॉकों में 3 प्रगतिशील किसानों ने प्राकृतिक खेती विधि के बारे में अपने    अनुभव साझा किए

     किसानों ने बताया कि इस खेती विधि को अपनाने से उनकी खेती लागत में बहुत कमी आई है और उनके उत्पादन में किसी  प्रकार का विपरीत असर नहीं पड़ा है। किसानों का कहना है कि प्राकृतिक खेती विधि में फसलें विपरीत परिस्थितियों में सही  उपज देती हैं। साथ ही इसे अपनाने से सब्जियोंफलों और खाद्यान्न के स्वाद में बेहद सुधार देखा गया है।

     गौर रहे कि ढाई साल पहले शुरू की गई प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत अभी तक 1    लाख 7 हजार किसान   परिवारों ने सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती विधि को अपना लिया है। वहीं इस साल इस खेती विधि के तहज 50 हजार अतिरिक्त किसानों को जोड़ा जाएगा और 1 लाख   किसानों को इस खेती विधि के बारे में जागरूक किया जाएगा।

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