नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री सहित पांच कांग्रेसी विधायक बजट सत्र से निलंबित

हिमाचल: विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल के अभिभाषण के बीच सदन के भीतर और राज्यपाल की गाड़ी का घेराव करते हुए हंगामा करने के लिए नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री सहित कांग्रेस के पांच विधायकों हर्षवर्धन चौहान, सतपाल रायज़ादा, सुंदर सिंह व विनय सिंह को पूरे बजट सत्र के लिए निलंबित किया गया है।

विपक्षी सदस्यों द्वारा इससे पहले सदन के बाहर राज्यपाल की गाड़ी का घेराव करने और धक्का-मुक्की करने के बाद सीएम जयराम ठाकुर ने सुरक्षा कर्मियों सहित मंत्रियों के साथ बैठक आयोजित की व दोबारा से सदन बुलाया। हिमाचल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि सदन के स्थागित होने के बाद सदन बुलाया गया हो। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज द्वारा विपक्ष के नेता सहित ,सुंदर सिंह ठाकुर ,सतपाल रायजादा ,विनय कुमार ,व हर्षवर्धन चौहान को 20मार्च तक सदन की कार्यवाही से निलंबित करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया। वन मंत्री राकेश पठानिया, मुख्य सचेतक नरेंद्र बरागटा ,खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेन्द्र गर्ग,सहित सीएम जयराम ठाकुर ने भी विपक्षी विधायकों के निलंबन के प्रस्ताव का समर्थन किया।

विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही शुरू करते हुए बताया कि स्थगित होने के बाद 346 नियम के तहत दोबारा से सदन बुलाया गया है। विपक्ष की तरफ से कोई भी सदन में नहीं पहुंचा। इस घटना के विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार सहित संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज व सीएम ने आज के दिन को शर्मनाक करार दिया व इसकी निंदा की मांग उठी की ऐसे हंगामा करने वाले सदस्यों के ख़िलाफ़ कार्यवाही की जाए। विपक्ष ने राज्यपाल पर हमला किया है। नियम 319 के तहत विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री, हर्षवर्धन चौहान, सतपाल रायज़ादा सुंदर सिंह व विनय सिंह को पूरे सत्र के लिए निलंबित किया गया।

विधानसभा स्पीकर ने कहा कि  जिस तरह से विपक्षी विधायकों ने गुंडागर्दी का प्रदर्शन किया  और राज्यपाल का अपमान किया  उसे लेकर बहुत ज्यादा आहत हूं। ये दिन हिमाचल प्रदेश विधानसभा के इतिहास में काले दिन के रूप में याद रखा जाएगा।  विपक्ष के नेता और उनके साथियों ने जिस तरह से असभ्य और अशिष्ठ मर्यादाहीन व्यवहार किया वो किसी भी स्थिति में मान्य नहीं है।

सदन में मुख्यमंत्री जयराम ठाकर ने कहा कि आज की घटना न केवल संसदीय मर्यादाओं के खिलाफ है बल्कि देशभर में कांग्रेसी विधायकों ने हिमाचल का नाम शर्मसार किया ही। कांग्रेस में नेतृत्व की कमी है। ये सब केवल उनकी हताशा का परिणाम है। उन्होंने कहा कि  विपक्षी नेता केवल सुर्खियां बटोरने के लिये ऐसी नौटंकी करने से बाज़ नहीं आते। राज्यपाल के विभाषण के दिन नियम 67 के तहत चर्चा करना बिल्कुल नई कोशिश है। विपक्ष को अगर राज्यपाल के अविभाषण में कमी लगती है तो इस पर  चर्चा के लिए  उसके लिए विपक्ष के पास चार दिन का समय था। बावजूद इसके विपक्ष का व्यवहार और हताशा लगातार चुनावों की हार है। पंचायत चुनावों में हाल की हार ने कांग्रेस को इतना घृणित कार्य करने को मजबूर किया है। राज्यपाल जैसे उच्च पद की भी गरिमा का ख्याल नहीं करना कांग्रेस की संस्कृति  को दर्शाता है। सीएम ने कहा कि विपक्ष को अब उन्ही की भाषा मे जवाब दिया जाएगा।

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