बुनकरों व शिल्पकारों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में रंग ला रहे हैं हथकरघा एवं हस्तशिल्प निगम के प्रयासः कटवाल

बुनकरों व शिल्पकारों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में रंग ला रहे हैं हथकरघा एवं हस्तशिल्प निगम के प्रयासः कटवाल

शिमला: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में हिमाचल प्रदेश हथकरघा एवं हस्तशिल्प निगम लिमिटेड भी तेजी से आगे कदम बढ़ा रहा रहा है। निगम प्रदेश में कई परियोजनाएं कार्यान्वित कर रहा है, जिनके माध्यम से हजारों बुनकरों और शिल्पियों को प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का कार्य किया जा रहा है।

 राज्य हथकरघा एवं हस्तशिल्प निगम लिमिटेड के उपाध्यक्ष संजीव कटवाल ने आज यहां बताया कि निगम प्रदेश में लगभग 26 योजनाओं पर कार्य कर रहा है जिनमें दो हजार से अधिक लोग विभिन्न ट्रेंड्स में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। राज्य में करीब 900 प्रशिक्षण केंद्र संचालित किए जा रहे हैं जिनमें 100 प्रशिक्षण केंद्र जनजातीय क्षेत्रों में ही कार्यशील हैं। उन्होंने कहा कि निगम बुनकरों और शिल्पियों को चीड़ की पत्तियों, बांस, लकड़ी की काष्ठकला, चम्बा रूमाल, मफलर, दस्तानों, टोपियों और कांगड़ा पेंटिंग आदि पर प्रशिक्षण देने के लिए विशेषरूप से प्रयास कर रहा है।

संजीव कटवाल ने बताया कि हाल में शिमला के टुटू में हस्त बुनाई पर प्रशिक्षण शिविर लगाया गया। दो महीनों तक चले इस प्रशिक्षण शिविर में 20 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें प्रति दिन 300 रुपये के हिसाब से दैनिक भुगतान किया गया। इस प्रकार प्रत्येक महिला ने इस अवधि के दौरान प्रशिक्षण के साथ-साथ 14,400 रुपये की आमदनी भी प्राप्त की।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के गतिशील नेतृत्व में राज्य हथकरघा एवं हस्तशिल्प निगम नित नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री स्वयं इस क्षेत्र को बढ़ावा देने में विशेष दिलचस्पी ले रहे हैं क्योंकि निगम के ये प्रयास आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ठोस कदम है। यही वजह है कि राज्य सरकार ने इस क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से अनेक कदम उठाने के साथ-साथ प्रशिक्षण प्राप्त करने के इच्छुक लोगों के लिए कई प्रोत्साहन भी दिए हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार शिल्पकारों और बुनकरों के हितों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर है। इसके लिए उन्हें प्रशिक्षण के अलावा, अभिकल्पना सहयोग, समाप्त हो रही शिल्पकला को पुनः प्रचलित करने और विपणन सुविधाएं प्रदान करने पर विशेषतौर पर कार्य किया जा रहा है।

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