दोषी अधिकारियों को बचाने में कुलपति का साथ न दें ईसी सदस्य : NSUI

शिमला: विश्वविद्यालय प्रशासन ने पीजी कोर्सों में बिना प्रवेश परीक्षा दाखिला दिए जाने के मामले में उच्च न्यायाल के बाद सर्वोच्च न्यायालय से फटकार लगने के बाद बीते शुक्रवार इस मामले को लेकर आपात ईसी बैठक बुलाई। एनएसयूआई प्रदेशाध्यक्ष छत्तर ठाकुर ने कहा कि समाचार पत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कुलपति अभी भी इन एडमिशनों के पीछे यूजीसी नियमों व कोरोना से छात्रों के बचाव का तर्क दे रहे हैं। छत्तर ठाकुर ने कहा कि जब उच्च न्यायालय द्वारा अपने फैसले में पहले ही इस प्रक्रिया को गैरकानूनी व नियमों के बिल्कुल खिलाफ कहा जा चुका है तो ऐसे में कुलपति इसे नियमों के तहत कहकर कोर्ट के फैसले की अवमानना करने की बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं । वीसी के द्वारा कोरोना से छात्रों के बचाव वाले बयान पर जवाब देते हुए छत्तर ठाकुर ने कहा कि एमबीए और एलएलबी की प्रवेश परीक्षा में बैठे छात्रों को परीक्षा से पहले कौन सी वैक्सीनेशन की गई थी। क्या कोरोना का खतरा इन दो विभागों के आवेदक छात्रों को छोड़ बाकी सभी को था जो सिर्फ इनके लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित की गई और अन्य विषयों के लिये नहीं।

छत्तर ठाकुर ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या यूजीसी द्वारा स्पेशल एचपीयू में प्रवेश के लिए सभी विषयों के लिए अलग अलग नियम तैयार किये गए थे। छत्तर ठाकुर ने विवि के कुलपति और एग्जीक्यूटिव कमेटी के सदस्यों पर आरोप लगाते हुए कहा कि न्यायाल के आदेशों की अवमानना करते हुए दोषियों पर कार्यवाही करने के बजाए अभी भी ये लोग इनके संरक्षण व बचाव में लगे है। छत्तर ठाकुर ने ईसी सदस्यों से भ्रष्ट वीसी के दबाव में न आकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की अपील की।

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