पुदीने को गर्मी और बरसात की संजीवनी बूटी

पुदीना… गर्मी और बरसात की संजीवनी बूटी

 स्वदेशी चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में पुदीने के ढेरों गुणों का बखान

स्वदेशी चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में पुदीने के ढेरों गुणों का बखान

पुदीने के विषय में प्रकाशित एक ताजे शोध से यह पता चला है कि पुदीने में कुछ ऐसे एंजाइम होते हैं, जो कैंसर से बचा सकते हैं। इसकी विभिन्न प्रजातियाँ यूरोप, अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया मे पाई जाती हैं। भारत, इंडोनेशिया और पश्चिमी अफ्रीका में बड़े पैमाने पर पुदीने का उत्पादन किया जाता है। पिपरमिंट और पुदीना एक ही जाति के होने पर भी अलग अलग प्रजातियों के पौधे हैं। पुदीने को स्पियर मिंट के वानस्पतिक नाम से जाना जाता है। पुदीने को गर्मी और बरसात की संजीवनी बूटी कहा गया है, स्वाद, सौन्दर्य और सुगंध का ऐसा संगम बहुत कम पौधों में दखने को मिलता है। पुदीना मेंथा वंश से संबंधित एक बारहमासी, खुशबूदार जड़ी है। इसकी विभिन्न प्रजातियाँ यूरोप, अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया मे पाई जाती हैं, साथ ही इसकी कई संकर किस्में भी उपलब्ध हैं।

 

घरेलू नुस्खे:

  • पुदीने की पत्तियों का ताजा रस नीबू और शहद के साथ समान मात्रा में लेने से पेट की हर बीमारियों में आराम दिलाता है।
  • पुदीने का रस कालीमिर्च और काले नमक के साथ चाय की तरह उबालकर पीने से जुकाम, खाँसी और बुखार में राहत मिलती है।
  • इसकी पत्तियाँ चबाने या उनका रस निचोड़कर पीने से हिचकियाँ बंद हो जाती हैं।
  • सिरदर्द में ताजी पत्तियों का लेप माथे पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है।
  • मासिक धर्म समय पर न आने पर पुदीने की सूखी पत्तियों के चूर्ण को शहद के साथ समान मात्रा में मिलाकर दिन में दो-तीन बार नियमित रूप से सेवन करने पर लाभ मिलता है।
  • पेट संबंधी किसी भी प्रकार का विकार होने पर एकचम्मच पुदीने के रस को एक प्याला पानी में मिलाकर पिएँ।
  • अधिक गर्मी या उमस के मौसम में जी मिचलाए तो एक चम्मच सूखे पुदीने की पत्तियों का चूर्ण और आधी छोटी इलायची के चूर्ण को एक गिलास पानी में उबालकर पीने से लाभ होता है।
  • पुदीने की पत्तियों को सुखाकर बनाए गए चूर्ण को मंजन की तरह प्रयोग करने से मुख की दुर्गंध दूर होती है और मसूड़े मजबूत होते हैं।
  • एक चम्मच पुदीने का रस, दो चम्मच सिरका और एक चम्मच गाजर का रस एकसाथ मिलाकर पीने से श्वास संबंधी विकार दूर होते हैं।
  • पुदीने के रस को नमक के पानी के साथ मिलाकर कुल्ला करने से गले का भारीपन दूर होता है और आवाज साफ होती है।
  • पुदीने का रस रोज रात को सोते हुए चेहरे पर लगाने से कील, मुहाँसे और त्वचा का रूखापन दूर होता है।
  • पुदीना हाजमे के लिए भी अच्छा है। इसके सेवन से पाचन क्रिया दुरूस्त रहती है। पुदीना की चटनी बहुत स्वादिष्ट होती है। पुदीना शानदार एंटीबॉयटिक की तरह काम करता है। आइए हम आपको पुदीने के गुणों के बारे में बताते हैं।
  • मुंह में बदबू आने पर पुदीने का सेवन करना चाहिए। पुदीने के रस को पानी में मिलाकर कुल्ला करने से मुंह की बदबू दूर होती है। इससे मुंह में ठंडक का भी एहसास होता है।
  • पुदीना का रस किसी घाव पर लगाने से जख्म जल्दी भर जाते हैं। यदि किसी घाव से बदबू आ रही है तो इसके पत्ते का लेप लगाने से बदबू आना बंद हो जाती है।
  • पुदीना कई प्रकार के चर्म रोगों को समाप्त करता है। चर्म रोग होने पर पुदीना के पत्तों का लेप लगाने से आराम मिलता है।
  • गर्मी में लू लगने के के बाद पुदीने का सेवन करना चाहिए। लू लगने पर रोगी को पुदीने का रस और प्याज का रस देने से फायदा होता है।
  • हैजा होने पर पुदीना बहुत फायदा करता है। हैजा होने पर पुदीना, प्याज का रस, नींबू का रस बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।
  • उल्टी होने पर आधा कप पुदीना का रस हर दो घंटे पर रोगी को पिलाइए, इससे उल्टी आना बंद हो जाएगा।
  • अजीर्ण होने पर पुदीने का रस पानी में मिलाकर पीने से फायदा होता है।
  • पेटदर्द होने पर पुदीने को जीरा, हींग, काली मिर्च में नमक मिलाकर पीने से पेट का दर्द समाप्त हो जाता है।
  • महिला को प्रसव के समय पुदीने का रस पीना चाहिए, इससे आसानी से प्रसव हो जाता है।
  • बुखार होने पर पुदीना पीना चाहिए, इससे बुखार में फायदा होता है। बुखार में पुदीने को पानी में उबालकर थोड़ी चीनी मिलाकर
    पुदीने को स्पियर मिंट के वानस्पतिक नाम से जाता है जाना

    पुदीने को स्पियर मिंट के वानस्पतिक नाम से जाता है जाना

    उसे गर्म-गर्म चाय की तरह पीना चाहिए।

  • हिचकी आने पर पुदीना का प्रयोग करना चाहिए, इससे हिचकी आना बंद हो जाता है।
  • ताजा-हरा पुदीना पीसकर चेहरे पर बीस मिनट तक लगा लें। फिर ठंडे पानी से चेहरा धो लें। इससे त्वचा की गर्मी समाप्त होती है।
  • हैजे में पुदीना, प्याज का रस, नींबू का रस बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है। उल्टी-दस्त, हैजा हो तो आधा कप पुदीना का रस हर दो घंटे से रोगी को पिलाएँ।
  • आंत्रकृमि में पुदीने का रस दें।
  • अजीर्ण होने पर पुदीने का रस पानी में मिलाकर पीने से लाभ होता है।
  • पेटदर्द और अरुचि में 3 ग्राम पुदीने के रस में जीरा, हींग, कालीमिर्च, कुछ नमक डालकर गर्म करके पीने से लाभ होता है।
  • प्रसव के समय पुदीने का रस पिलाने से प्रसव आसानी से हो जाता है।
  • गर्मी के मौसम में पुदीने की चटनी व शरबत के सेवन से गैस समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
  • पुदीने की पत्तियां चबाने से दांतों का पीलापन खत्म होता है।
  • पुदीने की चाय पेट की अनेक बीमारियों में लाभदायक होती है।
  • पुदीने के रस से चेहरे पर मसाज करने से मृत त्वचा निकल जाती है।
  • पुदीने के रस में गुलाब जल मिला कर चेहरे पर लगाने से एक्ने की समस्या से छुटकारा मिलता है।
  • हिचकी आने पर पुदीने का सेवन करने से हिचकी से राहत मिलती है।
  • बुखार या उल्टी होने पर पुदीने के रस का सेवन करने से बुखार ठीक हो जाता है और उल्टी आना बंद हो जाता है।
  • पुदीने के रस का सेवन करने से मुंह की दुर्गंध से छुटकारा मिलता है।
  • पुदीने में मौजूद फाइबर कोलैस्ट्राल कम करने में मदद करता है।
  • शरीर पर घाव होने पर पुदीने की पत्तियों को पीसकर लेप तैयार करके उस पर लगाने से घाव जल्दी भर जाते है।
  • बिच्छू या बर्रे के दंश स्थान पर पुदीने का अर्क लगाने से यह विष को खींच लेता है और दर्द को भी शांत करता है।
  • दस ग्राम पुदीना व बीस ग्राम गुड़ दो सौ ग्राम पानी में उबालकर पिलाने से बार-बार उछलने वाली पित्ती ठीक हो जाती है।
  • पुदीने को पानी में उबालकर थोड़ी चीनी मिलाकर उसे गर्म-गर्म चाय की तरह पीने से बुखार दूर होकर बुखार के कारण आई निर्बलता भी दूर होती है।
  • धनिया, सौंफ व जीरा समभाग में लेकर उसे भिगोकर पीस लें। फिर 100 ग्राम पानी मिलाकर छान लें। इसमें पुदीने का अर्क मिलाकर पीने से उल्टी का शमन होता है।
  • पुदीने के पत्तों को पीसकर शहद के साथ मिलाकर दिन में तीन बार चाटने से अतिसार सें राहत मिलती है।
  • तलवे में गर्मी के कारण आग पड़ने पर पुदीने का रस लगाना लाभकारी होता है।
  • हरा पुदीना पीसकर उसमें नींबू के रस की दो-तीन बूँद डालकर चेहरे पर लेप करें। कुछ देर लगा रहने दें। बाद में चेहरा ठंडे पानी से धो डालें। कुछ दिनों के प्रयोग से मुँहासे दूर हो जाएँगे तथा चेहरे की कांति खिल उठेगी।
  • पुदीने का सत निकालकर साबुन के पानी में घोलकर सिर पर डालें। 15-20 मिनट तक सिर में लगा रहने दें। बाद में सिर को जल से धो लें। दो-तीन बार इस प्रयोग को करने से बालों में पड़ गई जुएँ मर जाएँगी।
  • पुदीने के ताजे पत्तों को मसलकर मूर्छित व्यक्ति को सुंघाने से मूर्छा दूर होती है।
  • पुदीने और सौंठ का क्वाथ बनाकर पीने से सर्दी के कारण होने वाले बुखार में राहत मिलती है।

उत्पत्ति: गहरे हरे रंग की पत्तियों वाले पुदीने की उत्पत्ति कुछ लोग यूरोप से मानते हैं तो कुछ का विश्वास है कि मेंथा का उद्भव भूमध्यसागरीय बेसिन में हुआ तथा वहाँ से यह प्राकृतिक तथा अन्य तरीकों से संसार के अन्य हिस्सों में फैला। लगभग तीस जातियों और पाँच सौ प्रजातियों वाला पुदीने का पौधा आज पुदीना, ब्राजील, पैरागुए, चीन, अर्जेन्टिना, जापान, थाईलैंड, अंगोला, तथा भारतवर्ष में उगाया जा रहा है। लेकिन इसकी विभिन्न जातियों में- पिपमिंट और स्पियरमिंट का प्रयोग ही अधिक होता है। भारतवर्ष में मुख्यतया तराई के क्षेत्रों (नैनीताल, बदायूँ, बिलासपुर, रामपुर, मुरादाबाद तथा बरेली) तथा गंगा यमुना दोआन (बाराबंकी, तथा लखनऊ तथा पंजाब के कुछ क्षेत्रों (लुधियाना तथा जलंधर) में उत्तरी-पश्चिमी भारत के क्षेत्रों में इसकी खेती की जा रही है। पूरे विश्व का सत्तर प्रतिशत स्पियर मिंट अकेले संयुक्त राज्य में उगाया जाता है। पुदीने के विषय में प्रकाशित एक ताजे शोध से यह पता चला है कि पुदीने में कुछ ऐसे एंजाइम होते हैं, जो कैंसर से बचा सकते हैं।

उपयोग: मेन्थोल का उपयोग बड़ी मात्रा में दवाईयों, सौदर्य प्रसाधनों, कालफेक्शनरी, पेय पदार्थो, सिगरेट, पान मसाला आदि में सुगंध के लिये किया जाता है। इसके अलावा इसका उड़नशील तेल पेट की शिकायतों में प्रयोग की जाने वाली दवाइयों, सिरदर्द, गठिया इत्यादि के मल्हमों तथा खाँसी की गोलियों, इनहेलरों, तथा मुखशोधकों में काम आता है। यूकेलिप्टस के तेल के साथ मिलाकर भी यह कई रोगों में काम आता है। अमृतधारा नामक बहुउपयोगी आयुर्वेदिक औषधि में भी सतपुदीने का प्रयोग किया जाता है। विशेष रूप से गर्मियों में फैलने वाली पुदीने की पत्तियाँ औषधीय और सौंदर्योपयोगी गुणों से भरपूर है। इसे भोजन में रायता, चटनी तथा अन्य विविध रूपों में उपयोग में लाया जाता है। संस्कृत में पुदीने को पूतिहा कहा गया है, अर्थात् दुर्गंध का नाश करनेवाला। इस गुण के कारण पुदीना चूइंगम, टूथपेस्ट आदि वस्तुओं में तो प्रयोग किया ही जाता है, चाट के जलजीरे का प्रमुख तत्त्व भी वही होता है। गन्ने के रस के साथ पुदीने का रस मिलाकर पीने को स्वास्थ्यवर्धक माना गया है। सलाद में इसकी पत्तियाँ डालकर खाने में भी यह स्वादिष्ट और पाचक होता है। कुछ नहाने के साबुनों, शरीर पर लगाने वाली सुगंधों और हवाशोधकों (एअर फ्रेशनर) में भी इसका प्रयोग किया जाता है।

औषधीय गुण: स्वदेशी चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में पुदीने के ढेरों गुणों का बखान किया गया है। यूनानी चिकित्सा पद्धति हिकमत में पुदीने का विशिष्ट प्रयोग अर्क पुदीना काफ़ी लोकप्रिय है। हकीमों का मानना है कि पुदीना सूचन को नष्ट करता है तथा आमाशय को शक्ति देता है। यह पसीना लाता है तथा हिचकी को बंद करता है। जलोदर व पीलिया में भी इसका प्रयोग लाभदायक होता है। आयुर्वेद के अनुसार पुदीने की पत्तियाँ कच्ची खाने से शरीर की सफाई होती है व ठंडक मिलती है। यह पाचन में सहायता करता है। अनियमित मासिकघर्म की शिकार महिला के शारीरिक चक्र में प्रभावकारी ढंग से संतुलन कायम करता है। यह भूख खोलने का काम करता है। पुदीने की चाय या पुदीने का अर्क यकृत के लिए अच्छा होता है और शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में बहुत ही उपयोगी है। मेंथॉल ऑइल पुदीने का ही अर्क है और दांतो से संबंधित समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है। जहरीले जंतुओं के काटने पर देश के स्थान पर पुदीने का रस लगा देने से विष का शमन होता है तथा पुदीने की सुगंध से बेहोशी दूर हो जाती है। अंजीर के साथ पुदीना खाने से फेफड़ों में जमा बलगम निकल जाता है।

 

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