लॉकडाउन खत्म होने के बाद से कोरोना मामलों में पूरे देश में लगातार इजाफा, हालात बद से बदतर…

  • भारत में कोरोना संक्रमण के हर दिन नए रिकॉर्ड तोड़ आंकड़े

  • कोरोना से आम आदमी की हालत बहुत खराब

  • भले ही ठीक होने वालों की तादाद बढ़ रही हो, लेकिन बढ़ रहे आंकड़े व मरने वालों की संख्या में इजाफा चिंता का सबब

  • अनलॉक के बाद पूरे देश में महामारी का ग्राफ़ बढ़ता ही चला गया

देश और प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामले वाकये ही परेशान कर देने वाले हैं कोरोना के बढ़ते मामले अब चिंता का सबब बनते जा रहे हैं। कोरोना का जब डर था तब कोरोना उतना खतरनाक नहीं था अब कोरोना खतरनाक हो गया है लेकिन लोग ख़ौफ़ नहीं खा रहे। इस वक्त मेरे ख्याल से कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए छूट की बजाए पूरी तरह लॉकडाउन पर सख्ती होनी चाहिए। लेकिन अब यह होना नामुमकिन है, हालात बद से बदतर हो रहे हैं। भले ही ठीक होने वालों की तादाद बढ़ रही हो, लेकिन मामले भी बढ़ रहे हैं और मरने वालों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। यह भारी चिंता का विषय है। घर से काम के लिए निकलने वाला हर शख्स अपने घर-परिवार, आस-पड़ोस के जीवन को खतरे में डाल रहा है। काम के बिना घर नहीं चल सकता  और अब काम के लिए लोगों का घर पर रहना मुश्किल है। कोरोना से आम आदमी की हालत बहुत खराब हो गई है। पहले ही देश में क्या कम भूखमरी थी जो अब कोरोना के कारण हालात बहुत ही दयनीय हो गए हैं।

देश के अन्य राज्यों में कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता जताई जा रही है, लेकिन स्वस्थ लोगों के आंकड़ों की बढ़ोतरी पर उम्मीद जताई जा रही है कि हमारा देश दूसरों के मुकाबले स्वस्थ होने वालों में आगे है। अफ़सोस! इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा कि इन बढ़ते मामलों को कम कैसे किया जाए। हर देश के लिए सबसे बड़ा और अहम मसला देश सुरक्षा का होता है। हम कहां-कहां घिर रहे हैं समझ से परेकोरोना वायरस है। देश की सुरक्षा के लिए हमारे जवान 24 घण्टे सरहदों पर तैनात हैं। लेकिन कोरोना की जंग के लिए देश और प्रदेश के हर नागिरक को अपनी जिम्मेदारी खुद उठानी होगी। क्योंकि मीडिया और नेताओं के पास इस पर भी गंभीर मुद्दे हैं बहस के लिए और टीआरपी बढ़ाने के लिए। लेकिन आम आदमी की समस्याओं, भूखमरी, नशाखोरी, बेरोजगारी और बढ़ती आपराधिक घटनाओं   पर चर्चा करने और उन पर काम करने के लिए किसी के पास वक्त नहीं है। अब तो कोरोना ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है। वहीं कोरोना काल में ही देश में आत्महत्या से जुड़े मामलों में भी बढोत्तरी हुई है एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के कोरोना काल 65 फीसदी से अधिक लोगों में आत्महत्या से जुड़े विचार आए जो कि आने वाले समय में बहुत डरावने परिदृथ्य की ओर इशारा कर रहे है।

कोरोना जब शुरुआती दौर में था तो लोगों में खौफ था इधर इतने मामले उधर उतने मामले अब तो घर पर ही कोरोना के मामले हैं तो लोग और सरकार दोनों ही गंभीर नजर नहीं आ रही। कायदे और नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। सामाजिक दूरी और मास्क लगाने पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। शुरू में कोरोना से मरने वालों की रफ्तार बहुत ज्यादा नहीं थी, जबकि देश की पहली मौत 12 मार्च को दर्ज की गयी थी और उसके बाद 9 मई तक कोरोना संक्रमण से दस हज़ार मौतें हो चुकी थीं। इसके बाद महामारी का ग्राफ़ बढ़ता ही चला गया। इसके एक महीने बाद देश में कोरोना संक्रमण से मरने वालों की तादाद पचास हज़ार पार कर गई थी।

अब बड़े-बड़े शहरों में ही नहीं छोटे शहरों, कस्बों और गांवों में भी कोरोना ने पाँव पसारना शुरू कर दिया है। दूसरी तरफ़ लॉकडाउन लगभग ख़त्म किया जा चुका है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद कोरोना मामलों में पूरे देश में इजाफा हुआ है। भारत में कोरोना संक्रमण के हर दिन नए रिकॉर्ड तोड़ आंकड़े सामने आ रहे हैं। जब तक वैक्सीन नहीं बनती, तब तक संक्रमण के मामले आएंगे ही, यह तो तय है। लेकिन यह भी बहुत जरूरी है कि हम सावधानी बरतें और हमारी छोटी सी लापरवाही से किसी को नुकसान न पहुंचे हम इसके लिए एहतियात बरतें। सिर्फ घर और ऑफिस तक ही सतर्क न रहे अपितु बसों, दुकानों, अस्पतालों और रास्ते में मिलने-जुलने वाले लोगों से एक सामान्य दूरी बनाएं रखें। घर परिवार की सुरक्षा के साथ-साथ अपने आस-पास के लोगों के लिए भी एतियात बरतें ये बहुत आवश्यक है काम से बाहर निकले लोग सभी अपने घर-परिवार से जुड़े हैं इसके लिए जरूरी है कि सभी सुरक्षा के दायित्व को समझें और अपनी जिम्मेवारी निभाएं।

 

सम्बंधित समाचार

अपने सुझाव दें

Your email address will not be published. Required fields are marked *