- हर जैव विविधता प्रबंधन समिति में होंगे 7 सदस्य
- जैव विविधता प्रबंधन समिति का मुख्य कार्य उनके क्षेत्राधिकार में जैव विविधता का संरक्षण और सतत उपयोग
शिमला: जैव विविधता अधिनियम-2002 के अंतर्गत जैव विविधता प्रबंधन समितियों के गठन को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी सख्त हो गया है। 31 जनवरी, 2020 तक हर स्थानीय निकायों में इन समितियों के गठन का आदेश दिया है। इस आदेश का पालन न करने वाले स्थानीय निकायों से 10 लाख रुपए प्रति माह का दंड वसूल किया जाएगा। बता दें कि सभी ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों, जिला परिषदों तथा सभी शहरी निकायों के स्तर पर जैव विविधता प्रबंधन समितियों के गठन किया जाएगा। हर जैव विविधता प्रबंधन समिति में 7 सदस्य होंगे। इसमें एक चेयरमैन के अलावा एक सचिव तथा दो महिला सदस्य, एक अनुसूचित जाति एवं जनजाति, दो अन्य किसी भी वर्ग के सदस्य होंगे। जैव विविधता प्रबंधन समिति का मुख्य कार्य उनके क्षेत्राधिकार में जैव विविधता का संरक्षण और सतत उपयोग करना है। यह समिति अपने अधिकार क्षेत्र के अतंर्गत जैविक प्रजातियां जो संकटग्रस्त हो रही हैं, उनके संरक्षण हेतु कार्य करेंगी।
इस बारे में 27 नवंबर को अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान ने प्रदेश के सभी जिलाधीशों और स्थानीय निकायों तथा हितधारक विभागों के प्रतिनिधियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा की।
राज्य जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव डीसी राणा ने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने देश भर में जैव विविधता प्रबंधन समितियों के गठन की सुस्त गति को देखते हुए 31 जनवरी, 2020 तक हर स्थानीय निकायों में इन समितियों के गठन का आदेश दिया है। इस आदेश का पालन न करने वाले स्थानीय निकायों से 10 लाख रुपए प्रति माह का दंड वसूल किया जाएगा। राणा ने यह भी बताया कि एनजीटी ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि जिन स्थानीय निकायों में जैव विविधता प्रबंधन समिति का गठन नहीं होगा। उन स्थानीय निकायों के सचिवों के सेवा रिकॉर्ड में प्रतिकूल टिप्पणी अभिलेखित की जाएगी।