प्रदेश में 17407 बेसहारा गौवंश को किया जाएगा आश्रय प्रदान : वीरेन्द्र कंवर

मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना : कढ़ाई, धातु, चित्रकारी, टोकरी व मिट्टी के बर्तन बनाने वाले प्रशिक्षिणार्थियों को प्रशिक्षण के दौरान मिलेगा 3 हजार रुपये मानदेय

  • मिशन मोड पर चलाएं मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना: वीरेंद्र कवंर

रीना ठाकुर/ शिमला : ग्रामीण विकास एंव पंचायती राज मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने विभाग को निर्देश दिए हैं कि मुख्य मंत्री ग्राम कौशल योजना को मिशन मोड पर चलाया जाए ताकि प्रदेश के लगभग एक लाख निर्धन परिवारों को गरीबी रेखा से ऊपर लाने की विभाग की कार्य योजना को बल मिल सके। मंत्री के निर्देशानुसर, विशेष सचिव एंव निदेशक ग्रामीण विकास एंव पंचायती राज ललित जैन ने आज 17 विकास खण्डों के खण्ड विकास अधिकारियों को मुख्य मंत्री ग्राम कौशल योजना के बारे में वीडियो कान्फे्रन्सिंग के माध्यम से विस्तृत चर्चा की। इन विकास खंडों में अम्ब, बंगाणा, पांवटा साहिब, नालागढ, नग्गर, देहरा, सुलह, ऊना, भटियात, गोपालपुर, चम्बा, नदौन, गोहर, रैत, कल्पा, शिलाई व कण्डाघाट शामिल हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने बजट प्रस्तुत करते हुए इस योजना की घोषणा की थी जिसके अन्तर्गत जो परम्परागत शिल्पी तथा कारीगर किसी भी योजना के अन्तर्गत नही आते हैं, उनको इससे लाभान्वित किया जाएगा। इससे उन्हें जहां आजीविका के अवसर प्राप्त होंगे वही ग्रामीण जनता के लिए भी आजीविका के संसाधन भी सृजित होंगे।

ललित जैन ने बताया कि इस योजना का मूल लक्ष्य पारम्परिक कला तथा शिल्प को संरक्षित करना, कारीगरों की क्षमता का निर्माण करना, युवाओं को पारम्परिक कला और शिल्प सीखने के लिए प्रोत्साहित करना, बिक्री के अवसर उपलब्ध करवाना, बाजार की मांग के आधार पर नये उत्पादों को तैयार करना, उत्पादों का प्रचार, प्रसार व प्रदर्शन करना तथा पारम्परिक शिल्पकारों और दस्तकारों को सम्मानित करना है। इस परियोजना को चरणबद्व तरीके से क्रियान्वित किया जाएगा, जिसके दृष्टिगत पायलट आधार पर प्रथम चरण में 17 विकास खण्डों में इसे आरम्भ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसर प्रदान करके गरीबी रेखा से नीचे रह रहे बीपीएल परिवारों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाना है। ग्रामीण क्षेत्रों मे परम्परागत कला एंव शिल्पों की पहचान के लिए बीपीएल परिवारों के साथ ग्राम पंचायत में कार्यरत पंचायत सचिव, ग्राम रोजगार सेवक, मुख्य सेविका व सिलाई अध्यापिकाओं द्वारा बैठकें की जाएंगी ताकि उनके सुझाव व मांग के अनुरूप परम्परागत शिल्प को शुरू किया जा सके। इस योजना के अन्तर्गत कढ़ाई, धातु, चित्रकारी, टोकरी व मिट्टी के बर्तन बनाने वाले प्रशिक्षिणार्थियों को प्रशिक्षण के दौरान तीन माह तक तीन हजार रुपये का मानदेय भी दिया जाएगा।

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