मुख्य सचिव ने की लाहौल-स्पीति, कुल्लू व किन्नौर जिलों की विभिन्न परियोजनाओं की समीक्षा

  •  बोले: परियोजनाओं को लागू करने में आ रही समस्याओं को स्थानीय स्तर पर हल करने के करें प्रयास
  • मुख्य सचिव के उपायुक्तों को निर्देश : वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के तहत वन अधिकारों का करें समाधान

शिमला: लाहौल-स्पिति, कुल्लू व किन्नौर के उपायुक्तों को मुख्य सचिव डॉ. श्रीकान्त बाल्दी ने निर्देश दिए कि वे संबंधित जिलों में वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के तहत वन अधिकारों का समाधान करें, क्योंकि इन जिलों में बड़े हाईड्रो प्रोजेक्ट कार्यान्वित किए जाने प्रस्तावित हैं।

मुख्य सचिव ने इन तीन जिलों के उपायुक्तों के साथ आज वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि विभिन्न परियोजनओं को लागू करने में आ रही समस्याओं को स्थानीय स्तर पर हल करने के प्रयास किए जाने चाहिए।

उन्होंने कुल्लू जिला के उपायुक्त को निर्देश दिए कि वनाधिकारों के साथ अन्य मामलों का भी समाधान किया जाए और कहा कि नकथान परियोजना में स्थानीय पंचायत को विश्वास में लेकर आगामी कदम उठाया जाएं। इसी तरह, उन्होंने किन्नौर जिला के उपायुक्त को निर्देश दिए कि ग्राम पंचायत को विश्वास में लेकर ‘कोरम’ करके वनाधिकारों का समाधान किया जाए। इस उद्देश्य के लिए ग्राम सभा की विशेष बैठक बुलाई जाए और जनहित के दो-तीन एजेंडे किसी भी परियोजना के एफआरए मामलों सहित चर्चा करके इनका हल ढूंढा जाए।

लाहौल-स्पिति के जिस्पा डैम परियोजना की समीक्षा करते हुए, मुख्य सचिव ने कहा कि केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय द्वारा इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया है। उन्होंने उपायुक्त को निर्देश दिए कि स्थानीय लोगों से बातचीत कर इससे संबंधित समस्याओं का समाधान कर इस परियोजना का सर्वे पूरा किया जाए।

किन्नौर जिला के पोवारी से लिप्पा के लिए सेना के गोला-बारूद डिपो को स्थानांतरित करने के संबंध में बताया गया कि जिला प्रशासन और एचपीपीसीएल ने संयुक्त रूप से वन भूमि के ‘डायवर्जन’ के लिए सभी आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करके पूरा मामला आनलाइन वन विभाग को सौंप दिया है। वन विभाग के नोडल अधिकारी ने पर्यावरण संवेदनशील जोन होने के कारण अपनी टिप्पणी दी है जो अभी लंबित है। मुख्य सचिव ने निर्देश दिये कि इस मामले को अध्ययन व आगामी कार्रवाई के लिए मुख्य वन्यजीव वार्डन, शिमला को भेजा जाए। इसी प्रकार, डंपिंग साईट नम्बर 4 स्थल पर मलबे को डंप करने के संबंध में बताया कि 243 पेड़ और 93 छोटे पौधे और चार पहले से निर्मित शेडों को हटाए जाने पर ही यहां पर डंपिंग की जा सकती है। बैठक में बताया गया कि इससे पहले, प्रधान मुख्य अरण्यपाल, वन रामपुर ने इन पेड़ों की कटाई की अनुमति दी थी, लेकिन बाद में उसे रद्द कर दिया गया। मुख्य सचिव ने इस संबंध में निर्देश दिए कि मामले को बिना किसी देरी के तुरन्त मंजूरी के लिए भेजा जाए ताकि प्राथमिकता के आधार पर पेड़ों को काटने की अनुमति दी जाए। इसके अलावा लिप्पा क्षेत्र के लोगों की विभिन्न मांगों के संबंध में मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि नियमों के अनुसार लोगों की उचित मांगों को पूरा किया जाए।

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