हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र की पुनर्स्थापना के लिए एक महीने का प्रशिक्षण कार्यक्रम

  • प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए कुल 9 छात्रों का चयन

शिमला: हिमाचल प्रदेश काउंसिल फ़ॉर साइंस, टेक्नोलॉजी एंड एनवायरनमेंट (हिमकोस्ट) में एनविस हब, शिमला ने आज GoI-UNDP-GEF  प्रोजेक्ट ” SECURE Himalaya ” के तहत “आजीविका, संरक्षण, सतत उपयोग और उच्च श्रेणी के हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र की पुनर्स्थापना के लिए एक महीने की अवधि का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जोकि पैरा-टैक्सोनॉमी (पीपल्स बायोडायवर्सिटी रजिस्टर (PBR) पर केन्द्रित हैं। यह कार्यक्रम राज्य के लाहौल, पांगी और किन्नौर परिदृश्य के लिए हिमाचल प्रदेश वन विभाग और राज्य जैव विविधता बोर्ड के सहयोग से चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत, चयनित युवाओं को स्थानीय जैव विविधता के प्रलेखन के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा| उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ० सविता, प्रधान मुख्य संरक्षक वन (वन्यजीव) थे। इस अवसर पर अनिल ठाकुर, सीसीएफ (वन्यजीव) और डॉ० एसपी भारद्वाज, सेवानिवृत्त एसोसिएट डायरेक्टर, रीजनल फ्रूट रिसर्च स्टेशन, यूएचएफ, नौणी विशेष अतिथि थे। प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए कुल 9 छात्रों का चयन किया गया है: पांगी से 6, लाहौल से 2 और शिमला से 1 सबसे अच्छे छात्रों का चयन HP स्टेट बायोडायवर्सिटी बोर्ड द्वारा चयनित परिदृश्यों में PBR बनाने के लिए किया जायेगा।

आज उद्घाटन समारोह में बोलते हुए, डॉ० सविता, प्रधान मुख्य संरक्षक वन (वन्यजीव) ने कहा कि हिम तेंदुआ उच्च हिमालयी क्षेत्रो का शीर्ष परभक्षी है।  इन शीर्ष शिकारियों की अच्छी संख्या एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र को दर्शाती है। इन सुंदर जानवरों के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए  वन संसाधनों का सतत उपयोग और वैकल्पिक आजीविका के अवसरों का सृजन महत्वपूर्ण है। स्थानीय जैव विविधता के संरक्षण के लिए पहला कदम पीपल्स बायोडाइवर्सिटी रजिस्टरों (PBRs) के रूप में इसका प्रलेखन है। उन्होंने पिछले साल ग्रीन स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम (जीएसडीपी) के कार्यान्वयन में एनवीस हब के प्रयासों की सराहना की और अब यह SECURE प्रोजेक्ट में छात्रों को प्रशिक्षण दे रहा है।|

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