विधानसभा मॉनसून सत्र : धर्म का स्वतंत्रता विधेयक पारित, धर्म परिवर्तन पर पांच वर्ष की कैद

शिमला: आज विधानसभा में हिमाचल प्रदेश का धर्म स्वतंत्रता विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया। विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इस विधेयक का समर्थन किया। विधेयक पर हुई चर्चा के जवाब में सीएम जयराम ठाकुर  ने कहा कि यह कानून बनाना इसलिए जरूरी हो गया था, क्योंकि प्रदेश में धर्म परिवर्तन के खिलाफ 2006 में बने कानून के बावजूद बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन हो रहा है। उन्होंने कहा कि धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून होने के बावजूद वर्ष 2006 से आज दिन तक प्रदेश में एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ। सीएम ने कहा कि सरकार ने इस कानून पर गहनता से विचार किया और पाया कि इसे ज्यादा सख्त बनाने के लिए 10 संशोधन की जरूरत है, जबकि 2006 के कानून में 8 ही धाराएं थी। ऐसे में सरकार ने नया कानून लाने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि नए कानून में न गलत किया जा रहा है, न गलत तरीके से किया जा रहा है और न ही इसमें कुछ गलत है।

 जयराम ठाकुर  ने कहा कि रामपुर, किन्नौर और कुछ सीमांत इलाकों में एनजीए के नाम पर करोड़ों रुपए आ रहे हैं और इससे धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नए कानून में यह प्रावधान किया गया है कि जो संस्थाएं लालच देकर या जबरन धर्म परिवर्तन में संलिप्त पाई जाती है, उनका अनुदान समाप्त किया जाएगा। कांग्रेस के सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधेयक का समर्थन किया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि जबरन धर्म परिवर्तन पर पांच साल की सजा का प्रावधान बहुत अधिक है, जिसे कम किया जाना चाहिए। उन्होंने इसे संज्ञेय अपराध बनाने पर भी आपत्ति जताई। विधायक जगत सिंह नेगी ने यह विधेयक लाने की सरकार की मंशा पर सवाल उठाया और कहा कि प्रदेश में अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के साथ भेदभाव हो रहा है। विधायक राकेश पठानिया ने आरोप लगाया कि प्रदेश के सीमांत इलाकों में पैसे का लालच देकर धर्म परिवर्तन किया जा रहा है, जिसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

 कांग्रेस विधायिका आशा कुमारी कहा कि वह बिल का विरोध नही कर रहे है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 2006 में इसको लेकर बिल लाया था उसी बिल को लाया जाना चाहिए था। अगर उस बिल में कुछ कमी थी तो उसमें संशोधन किए जा सकते थे। उन्होंने कहा कि सरकार बिलों को बिना तैयारी के सदन में रख रही है। हम बिल के विरोध में नही हैं लेकिन ये नया बिल गलत है।

सम्बंधित समाचार

अपने सुझाव दें

Your email address will not be published. Required fields are marked *