विधानसभा मानसून सत्र: ट्रिब्यूनल मामले को लेकर विपक्ष का वॉकआउट (वीडियो)



शिमला: विधानसभा मॉनसून सत्र के 9वें दिन सदन में 3 महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा की गई और चर्चा के बाद विधेयकों को पास भी किया गया। प्रदेश सरकार ने ट्रिब्यूनल कोर्ट को बंद करने के निर्णय के पक्ष में सदन में विधेयक लाया जिसमें विपक्ष ने विरोध किया। मुख्यमंत्री ने सदन में हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक अधिकरण (विनिश्चित मामलों और लंबित आवेदनों का अंतरण) विधेयक 2019 को सदन में प्रस्तावित किया। जिस पर कांग्रेस विधायक हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि ट्रिब्यूनल बंद होने से कर्मचारियों के पैसे के साथ समय की बर्बादी होगी। क्योंकि 39 हजार 285 मामले हाईकोर्ट में मामले विचाराधीन है और 21 हजार केस ट्रिब्यूनल से हाई कोर्ट में ट्रांसफर हो जाएगें जिससे हाई कोर्ट पर बोझ बढ़ जाएगा। सरकार कर्मचारियों की ट्रांसफर करके उनको प्रताड़ित करना चाह रही है लेकिन ट्रिब्यूनल कोर्ट इसमें आड़े आ रहा है तभी सरकार ने ट्रिब्यूनल को बंद कर रही है।

सुखविंदर सिंह सुखू ने कहा कि भाजपा सरकार कर्मचारी विरोधी है। कांग्रेस सरकार के समय में 2012 में हाई कोर्ट में कर्मचारियों के 4 हजार केस थे जिसमें 500 का ही फैसला हो सका है जबकि कांग्रेस ने ट्रिब्यूनल को बहाल किया और 16 में 14 हजार कर्मचारियों को ट्रिब्यूनल से न्याय मिला।

विधायक राकेश सिंघा ने भी विधेयक में चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि सरकार लोकतंत्र के बजाय ऑर्डिनेंस पर विश्वास कर रही है। सरकार पैसे की बर्बादी का हवाला देकर ट्रिब्यूनल को बंद करना चाह रही अगर ऐसा है तो सरकार के मंत्रियों को बड़ी बड़ी गाड़िया छोड़ कर छोटी गाड़ियां इस्तेमाल करनी चाहिए जिससे खर्चा बचेगा। ट्रिब्यूनल के बंद होने से कर्मचारियों को न्याय मिलने में देरी होगी।

वहीं पूर्व मूख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने ट्रिब्यूनल के फैंसले को गलत ठहराते हुए कहा कि यह कोई खिलौना नहीं है जो आज खोला कल बन्द कर दिया। उन्होंने कहा कि ट्रिब्यूनल शुरू करना कर्मचारियों को जल्द व सस्ता न्याय दिलवाना था।

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार कर्मचारी विरोधी फैसले ले रही है। सरकर ने आनन फानन मे ट्रिब्यूनल भंग कर दिया है। उन्होंने कहा भाजपा की सरकार सत्ता में आई तो इसे भंग किया जबकि कांग्रेस ने इसे दो बार स्थापित किया। सरकार  जो यह आज विधेयक ले कर आई है वो ट्रिब्यूनल लंबित पड़े मामलों को  हाई कोर्ट में शिफ्ट करने के लिए लायी है।

 मुख्यमंत्री ने  कहा कि उन्होंने विधायकों व कर्मचारियों  से चर्चा के बाद यह फैसला लिया है यह कोई जल्दबाज़ी का फैंसला नही है। उन्होंने कहा कि कर्मचारोयों से बात कर व प्रदेश की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है तथा जिससे लाभ न हो उसे बन्द करना उचित है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय बहुत सोच समझ कर लिया गया है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में ट्रिब्यूनल केवल छः प्रदेशों में है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों ने कहा कि ट्रिब्यूनल से कर्मचारियों को कोई राहत नहीं मिली है जबकि 21000 से अधिक मामले लंबित पड़े है।

 

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