शिमला : विधानसभा मॉनसून सत्र में बुधवार को मुख्य सचेतक नरेंद्र बरागटा द्वारा सदन में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाया गया। जिसमें बागवानों के साथ हो रही लूट को प्रमुखता से उन्होंने उठाया। जवाब में बागवानी मंत्री महेंद्र ठाकुर ने कहा कि हमने खुली नीलामी की व्यवस्था की है। हिमाचल में 23 मिनी प्रोसेसिंग यूनिट है। जिनको सरकार ने 25 प्रतिशत सब्सिडी के साथ लोन दिया है। इन्हें सब्सिडी इसलिए दी थी कि हिमाचल के सेब उठाये। कलेक्शन सेंटर से सेब उठाये।
अगले साल सेब सीजन में हिमाचल प्रदेश में टेलिस्कोपिक कार्टन नहीं चलेंगे। सरकार यूनिवर्सल कार्टन को लागू करवाने की दिशा में काम कर रही है। इसकी वजह से आढ़ती व लदानी बागवानों को नहीं लूट पाएंगे। वर्तमान में 20 किलो सेब की पेटी में 28 से 34 किलो सेब भरा जा रहा है। जिससे बागवानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। जिसको देखते सरकार अगले विधानसभा सत्र में बिल ला सकती है। यह बात बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने नियम 62 के तहत नरेंद्र बरागटा द्वारा लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में कही। 2005 में एक अध्यादेश लाया गया था, जिसमें 2014 में संशोधन किया था। लेकिन बिल विधानसभा में प्रस्तुत नहीं किया जा सका। अब बागवानों से राय के मुताबिक अगले विधानसभा सत्र में बिल लाया जाएगा।
बागवानी मंत्री महेंद्र ठाकुर ने कहा कि निजी क्षेत्र में यदि कोई प्रोसेसिंग यूनिट लगाना चाहता है तो उनका स्वागत है। जिन बागवानों की 15 हजार से अधिक पेटियां निकलती है वह अपना कोल्ड स्टोर बना सकते हैं। जिसके लिए सरकार आर्थिक सहायता करेगी। 15 लाख के कोल्ड स्टोर के प्रोजेक्ट में 7 लाख सब्सिडी देगी। टेलिस्कोपिक कार्टन इतना ऊपर उठा देते है कि 20 किलो पेटी में 34 किलो सेब डाल देते हैं। औसतन 11 किलो सेब एक पेटी में अतिरिक्त जाता है। लदानी और आढ़ती की मिलीभगत से बोली लगती है। सारा माल बिकने के बाद स्टोर में एक्स्ट्रा लेयर निकाल ली जाती है।