"आडू" के गुण....

“आडू” के गुण….

  • आड़ू गर्मियों का फल है। इसके वृक्ष की पत्तियां चमकदार हरे रंग की, संकरे आकार वाली और नुकीली होती हैं। आड़ू के फूल प्राय: दो-तीन के समूह में खिलते हैं। वहीं से आड़ू का विकास होता है। फल के पकने पर बाहर का भाग गूदेदार, लालिमायुक्त और रसीला होता है, जबकि उसके अंदर कठोर गुठली होती है। उस गुठली में से गिरी निकलती है। हर समय शरीर में थकान सी अनुभव हो, तो आडू़ का सेवन करना हितकर रहता है। आड़ू एक प्रकार की हल्की खटास लिए होता है। इसमें विटामिन-सी की भी कुछ मात्रा होती है। इसको खाने से शरीर में ठंडक पहुंचती है, चित्त प्रफुल्लित हो उठता है और मस्तिष्क को शांति प्राप्त होती है। इसके सेवन से भी अनेक प्रकार के रोगों का शमन हो जाता है।
  • यदि गर्मी के कारण भूख कम लगती हो, अपानवायु बार-बार आने पर भी पेट में भारीपन रहता हो और हर समय शरीर में थकान सी अनुभव हो, तो आडू़ का सेवन करना बहुत हितकर होता है।
  • कफ और पित्त की विकृति होने पर आड़ू का सेवन करें। इससे अन्य बहुत से रोगों का शमन हो जाता है।
  • नियमित रूप से आड़ू खाने से ज्वर के कारण आई शारीरिक दुर्बलता दूर होकर व्यक्ति में नवीन स्फूर्ति का संचार होता है और जठरागिन तीव्र होती है।

कफ विकार की समस्या का यूँ  करें उपचार:-

  • कच्ची लहसुन एवं अदरक का अल्प मात्रा में नियमित रूप से सेवन करने पर कफ विकार नष्ट हो जाता है।

    कफ विकार की समस्या का यूँ  करें उपचार:-

    कफ विकार की समस्या का यूँ करें उपचार:-

  • बहेड़ा की छाल का टुकड़ा मुंह में रखकर चूसते रहने से खांसी मिटती है और कफ सरलतापूर्वक बाहर निकल जाता है।
  • अदरक को छीलकर मटर के दाने बराबर उसका टुकड़ा मुंह में रखकर निरंतर चूसते रहने से कफ सुगमतापूर्वक निकल जाता है।
  • मुलहठी और आंवले का एक चम्मच चूर्ण दिन में दो बार गर्म पानी के साथ लेने से फेफड़ों में जमा कफ भी साफ हो जाता है।
  • पच्चीस ग्राम अलसी को चार सौ ग्राम पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए, तो उसमें थोड़ी सी मिश्री मिलाएं। एक-एक चम्मच काढ़ा रोगी को एक-एक घंटे के अंतराल से दिन में कई बार पिलाएं। इससे कफ निकलनकर छाती बिल्कुल साफ हो जाती है।

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