किसानों की खादों व कीटनाशकों पर निर्भरता को समाप्त कर उन्हें दूसरे बेहतर विकल्प दिए जाएं : राज्यपाल

अंबिका/शिमला: प्राकृतिक खेती के लिए, देश में अनुकूल माहौल तैयार

  • उत्तराखण्ड के बाद उत्तर प्रदेश, पंजाब में होगी शुरूआत : राज्यपाल
  • प्राकृतिक खेती के उत्पादों की बिक्री के लिए कृषि विभाग करवाएगा दुकानों की व्यवस्थाः कृषि मंत्री

शिमला: कृषि मन्त्री डॉ. रामलाल मारकण्डा ने आज यहां राजभवन में राज्यपाल आचार्य देवव्रत से मुलाकात की और राज्य में प्राकृतिक खेती के प्रसार के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि किसान की आय के साधनों को बढ़ाने के लिए तथा खेती पर खर्चों को कम करने के लिए आवश्यक है कि किसानों की खादों और कीटनाशकों पर निर्भरता को समाप्त कर उन्हें दूसरे बेहतर विकल्प दिए जाएं। उन्होंने कहा कि हिमाचल में सार्थक पहल के पश्चात अब उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश और पंजाब में इस दिशा में कार्य आरम्भ हो रहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकास का बड़ी मात्रा में धन यूरिया पर खर्च किया जाता है, जिसे केवल प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग तथा प्राकृतिक कृषि से ही बचाया जा सकता है।

कृषि मंत्री डॉ. रामलाल मारकण्डा ने बताया कि प्राकृतिक खेती से प्राप्त कृषि उत्पादों को शीघ्र अच्छा बाजार उपलब्ध करवाया जाएगा। राज्य में प्रमुख स्थानों पर तथा जिला स्तर पर स्थानीय निकायों के सहयोग से इन उत्पादों के लिए दुकानों की व्यवस्था की जाएगी ताकि प्राकृतिक उत्पादों का किसानों को सही दाम मिल सके।

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को अपनाने से किसानों में समृद्धि आएगी तथा उनकी ऋणों पर निर्भरता कम की जा सकेगी।

पदमश्री सुभाष पालेकर ने कहा कि पूरे विश्व में प्राकृतिक खेती के उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध है। किसान बिना किसी खर्चे के अपने उत्पाद राष्ट्रीय स्तर पर तथा विदेशों में भेज सकते हैं। प्राकृतिक तौर पर तैयार इन उत्पादों को आसानी से निर्यात भी किया जा सकेगा। 

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