- लड़कियां करें माइक्रोबायोलॉजी (बीएससी)
लड़कियां माइक्रोबायोलॉजी कोर्स कर मेडिकल क्षेत्र में अपना कैरियर बना सकती हैं। इस क्षेत्र में बैक्टीरिया, वाइरस, एल्गी, प्रोटोजोआ, यीस्ट जैसे अत्यंत सूक्ष्म जीवाणुओं, उनकी उपयोगिता एवं औद्योगिक उत्पादन में इनके योगदान से जुड़े अध्ययन किए जाते हैं। माइक्रोबायोलॉजी जैसे विषयों को आप शोध का विषय ले सकती हैं। इस विषय की प्रमुख उपशाखाओं में मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट, एग्रीकल्चर माइक्रोबायोलॉजिस्ट तथा इंडट्रियल माइक्रोबायोलॉजिस्ट का नाम प्रमुख है।
- एमबीबीएस और बीडीएस
एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त करने के बाद स्पेशलाइजेशन के कई रास्ते मास्टर्स डिग्री के स्तर पर खुलते हैं। मेडिकल प्रोफेशन में आगे निकलने के लिए मेडिकल साइंस की किसी प्रमुख शाखा में स्पेशलाइजेशन के लिए आप एमडी या एसएस डिग्री प्राप्त कर सकती हैं।
बारहवीं के बाद एमबीबीएस और बीडीएस में दाखिला देश भर में फैले मेडिकल कॉलेजों में पीएमटी, प्रदेश चयन परीक्षाओं के आधार पर होता है। इनमें खास तौर से सीबीएसई मेडिकल एंट्रेंस, एएफएमसी, पुणे, ऑल इंडिया इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल साइंस, मेडिकल कॉमन एंट्रेस एगजाम, महाराष्ट्र, उड़ीसा ज्वॉइंट एंट्रेस एगजाम इत्यादि का उल्लेख किया जा सकता है। इनके अलावा मणीपाल एकेडेमी, बीएचयू, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जिपमर पांडिचेरी, इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी आदि संस्थान भी प्रमुख हैं।
- पैरामेडिकल कोर्स
इसके तहत मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी, रेडियोलॉजी, ऑडियोलॉजी, ऑप्टोमेट्री, न्यूप्रक्लयर मेडिसिन टेक्रोलॉजी, ऑपरेशन थियेटर असिस्टेंट, फिजियोथैरेपी, नप्रर्संग अटेंडेंट सरीखे विशिष्ट ट्रेनिंग पाठयक्रमों का उल्लेख किया जा सकता है। इनकी जरूरत बड़े अस्पतालों से लेकर छोटे नर्सिंग होम तक में होती है।
अस्पताल में प्रयोग किए जाने वाले सभी उपकरणों के प्रयोग एवं इनके रख-रखाव तक का कार्यभार इसी के द्वारा उठाया जाता है। अधिक जानकारी के लिए पीजीआई, चंडीगढ़ एम्स, नई दिल्ली सीएमसी, वेल्लोर जीटीबी हॉस्पिटल, दिलशाद गार्डन, दिल्ली मेडिकल कॉलेज, रोहतक, हरियाणा जवाहरलाल नेहरू इंस्टीटयूट ऑफ पीजी मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, पांडिचेरी, सफदरजंग अस्पताल नई दिल्ली, पटना मेडिकल कॉलेज बिहार, आगरा आदि से संपर्क कर सकते हैं।
- फार्मेसी (बी फार्मा)
दवा निर्माता कंपनियों के रिसर्च एंड डेवलपमेंट विंग में काम करने के अलावा बतौर मेडिकल रिप्रजेन्टेटिव कार्य करने के मौके बी फार्मा के बाद ढूंढ सकते हैं। इतना ही नहीं अपनी फार्माक्यूटिकल उत्पादन इकाई भी इस डिग्री के आधार पर शुरू की जा सकती है। यह पाठ्यक्रम चार वर्ष का होता है। मुख्य संस्थानों में कॉलेज ऑफ फार्मेसी (दिल्ली विश्वविद्यालय), पुष्प विहार नई दिल्ली, इंस्टीटयूट ऑफ फार्माक्यूटिकल साइंसेज पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ व गुरू गोविन्द सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, कश्मीरी गेट, नई दिल्ली, महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक, बीआईटी, मेसरा, रांची, झारखंड, बिड़ला इंस्टीटयूट ऑफ साइंस एंड टैक्रोलॉजी पिलानी राजस्थान। बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी झांसी उत्तर प्रदेश का नाम इस क्षेत्र में क्वालिटी एजुकेशन के लिए लिया जा सकता है। विज्ञान में रूचि रखने वाले लडक़े-लड़कियां इस क्षेत्र में अपना कैरियर बना सकते हैं।