15 दिनों में नालियों, चैनलों व नालों की सफाई करने के निर्देश

  • अतिरिक्त मुख्य सचिव ने की मानसून से सम्बन्धित तैयारियों की समीक्षा बैठक
  • डी. सी. राणा ने मानसून के दौरान किसी भी घटना से निपटने के बावत करवाया अवगत

शिमला: वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी ने आज यहां से सभी जिला उपायुक्तों और अन्य विभागों के साथ मानसून से सम्बन्धित तैयारियों की समीक्षा बैठक की। वहीं विशेष सचिव (राजस्व और आपदा प्रबंधन) डी. सी. राणा ने मानसून के दौरान किसी भी घटना से निपटने के लिए उठाए गए कदमों से अवगत करवाया।

अतिरिक्त मुख्य सचिव लोक निर्माण विभाग, नगर निगमों और पंचायती राज संस्थाओं को 15 दिनों में नालियों, चैनलों, नालों की सफाई का काम करने के निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश एक आपदा संभावित राज्य है, इसलिए मौसम संबंधी सलाह को प्रसारित करने और राज्य में चेतावनी प्रणाली स्थापित करने के लिए विशेष ध्यान देना आवश्यक है। इन प्रणालियों को स्थापित करने के लिए कुल्लू और डलहौजी में स्थानों की पहले ही पहचान कर ली गई है, जबकि रामपुर और मंडी में एनडीआरएफ के राहत एवं बचाव बेस स्थापित किये जाएंगे। उन्होंने कहा कि बिजली अधिकारियों को अचानक पानी के प्रवाह से होने वाले नुकसान से बचने के लिए एवं जनता को सतर्क करने के लिए उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए ताकि जान-माल की हानि से बचा जा सके। यह चेतावनी प्रणाली असुरक्षित क्षेत्रों के लोगों को स्थानांतरित करने और खाली करने में मदद करेगी और इस बैठक में केंद्रीय जल आयोग को नियमित रूप से इसकी निगरानी करने के भी निर्देश दिए गए।

उन्होंने कहा कि राहत और बचाव के बारे में जानकारी नियमित रूप से एफएम केन्द्रों, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से जनता को उपलब्ध कराई जाएगी और उपग्रह की उपलब्धता के बारे में जानकारी भी सभी संवेदनशील क्षेत्रों में उपलब्ध करवाई जाएगी। सभी जिला मुख्यालयों को पहले से ही सैटेलाइट फोन उपलब्ध करवा दिए गए हैं और आवश्यकता के अनुसार और अधिक प्रदान किए जाएंगे।

डॉ. बाल्दी ने कहा कि क्षेत्रीय प्रतिक्रिया केंद्रों (आईटीबीपी की स्थानीय इकाइयों), भारतीय सेना और स्थानीय स्वयंसेवकों के सहयोग से राज्य के विभिन्न हिस्सों में तैनात एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की राहत और बचाव टीमों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि खराब मौसम की स्थिति में ट्रेकिंग और अन्य यात्राओं को प्रतिबंधित किया जाए तथा ट्रैकर्स की सुरक्षा के लिए एक जीपीएस उपकरण होना अनिवार्य किया जाए ताकि किसी भी आपात स्थिति में उन्हें हर संभव सहायता प्रदान की जा सके।

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