- लोकसभा चुनावी परीक्षा नजदीक, नेताओं की धुकधुकी बढ़ी
देश में जहां लोकसभा चुनावी दौर अपने पूरे यौवन पर है वहीं राज नेताओं का लोकसभा चुनावी परीक्षा को लेकर माहौल उनकी धुकधुकी बढ़ाये हुए है। क्या गांव, क्या शहर, आजकल हर तरफ चुनावी चर्चाओं से लोगों में नेताओं को लेकर अपने-अपने विचार रखे जा रहे हैं कई कयास लगाए जा रहे हैं। कुल मिलाकर आजकल हर तरफ चुनावी माहौल गर्माया हुआ है।
इन चुनावों में सबसे अहम बात जो है वो है हमारे युवाओं की इन चुनावों के दौरान अहम भूमिका की। आज के दौर में राजनेताओं की युवाओं को लेकर क्या प्लानिंग है, शिक्षा, रोजगार और उनके बेहतर भविष्य को लेकर क्या-क्या अहम योजनाएं हैं यह आवश्यक है। आज इंटरनेट के माध्यम से सोशल मीडिया पर एक-एक पल की लोगों को अपडेट्स मिलती है। शहर तथा गांव के लोग हर पल की खबर से जुड़े होते हैं। सालों पहले जब इंटरनेट जैसी सुविधाएं बिल्कुल भी नहीं थीं और लोग ज्यादा पढ़े-लिखे भी नहीं होते थे। साथ ही वे अपने अधिकारों के प्रति भी ज्यादा जागरूक नहीं थे और गांव से वोट देने के लिए जाने वाले ये भोले-भाले लोग सिर्फ ये सोचकर नेताओं को वोट दे देते थे कि ये हमारी तरफ का नेता है हमें इसे जिताना है या फिर फूल, हाथ, मशीन, हाथी आदि (निशान पर) जिस पर मन होता मोहर लगा देते थे, बस वोट देना है चाहे जिस मर्जी को दो। नेताओं को जिताना क्यों है? इससे उनका कोई सरोकार नहीं होता था क्योंकि उस वक्त नेता गांव, शहर, प्रदेश और देश के लिए हमारे लिए सड़क, अस्पताल, स्कूल, कानून व्यवस्था, बेरोजगारी आदि जैसे मुद्दो को लकेर सही ढंग से काम करने वालों के लिए चुना जाना है उस वक्त कोई ज्यादा सोचता नहीं था। नेता जी मीठे बोल आम लोगों से क्या बोल गए, बस आम लोगों की बाछें खिल जाती थीं। थोड़ा सा अपने गांव शहर के लिए काम किसी नेता ने कर दिया तो उसके चर्चे लोग सालों नहीं भूलते। लेकिन अब वो समय नहीं रहा बदलाव का दौर है।
आजकल के सोशल मीडिया के युग में राजनेताओं को चुनावी रण में जीत हासिल करने के लिए खाली वायदों से नहीं बल्कि धरातल पर किये काम से वोट मिलेंगे यह तय है। आज के युवा वर्ग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं। अपने घर परिवार में वो इस बात को समझने और समझाने में बहुत सक्षम हैं। जो काम करेगा और अपने घोषणा पत्रों में किये वायदों को निभाएगा वही जीत पाएगा। अब साफ है कि खोखले वायदों व लुभावनी बातों से आम आदमी का वोट हासिल करना अब आसान नहीं। जरूरी है नेता अपनी जिम्मेदारियों को अपने वायदों को बखूबी निभाएं। अपने घर, अपने लोगों व अपनी पार्टी के लोगों की तिजोरियों को भरने के बजाए देश हित में अपने काम को ईमानदारी से करें। यह बदलाव का युग है हर आम आदमी बखूबी सब जानता है। चुनावी दौर में वायदे और उसके बाद के इन नेताओं के इरादों से अब भली-भाँति परिचित होने लगा है। चुनावी समय में आम जनता की खामोशी इन नेताओं के किये गए कामों से ही इनकी हार-जीत तय करेगी। लोकसभा चुनावों को लेकर देश भर में राजनीतिक पार्टियों दवारा अपनी-अपनी जीत को लेकर भारी दावे किए जा रहे हैं लेकिन वास्तविकता से हर कोई वाकिफ है। देश की जनता ही फैसला करेगी कि देश की कमान किसे सौंपी जाए। वास्तविकता में यह देखना बहुत दिलचस्प होगा कि जनता का क्या निर्णय होगा। ये पब्लिक है ये सब जानती है….।
जय हिंद जय भारत ।।