बड़ी-बड़ी हस्तियों ने डाला था "डलहौज़ी" में डेरा, रविन्द्रनाथ टैगोर ने यहां ठहर कर लिखे थे कई लेख

बड़ी-बड़ी हस्तियों ने डाला था “डलहौज़ी” में डेरा, रविन्द्रनाथ टैगोर ने यहां ठहर कर लिखे थे कई लेख

  • महापुरूषों का आगमन
    डलहौज़ी हिलस्टेशन का नाम लेते ही उन सभी बड़ी-बड़ी हस्तियों के नाम बरबस सामने आ जाते हैं जिन्हें यहां आने व ठहरने का अवसर मिला। उनके यहां आने से 155 वर्ष पुराने डलहौज़ी का महत्व बढ़ता रहा।
  • डलहौज़ी में तैयार किया आजाद हिन्द फौज बनाने का प्रारूप

गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर कुछ समय के लिए यहां ठहरे। उन्होंने यहां लेखन कार्य किया और पुरस्कार प्राप्त हुए। स्वास्थ्य बिगड़ जाने पर नेता जी सुभाष चन्द्र बोस यहां ठहरे। स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया। आजाद हिन्द फौज को बनाने का प्रारूप भी यहीं रहते हुए तैयार किया। सरदार अजीत सिंह, जिन्होंने अपने भतीजे भगतसिंह को स्वतंत्रता संग्राम के लिए कभी तैयार किया था, डलहौजी को बहुत पसंद करते। उन्हीं के कारण यह नगर भारत का हिस्सा घोषित किया गया। स्वतंत्रता के दिन 15 अगस्त 1947 को उन्होंने इसी स्थान को भारत में मिलवाया। यह उनके नेहरू जी के साथ अच्छे सम्बन्धों का नतीजा ही था। उनकी समाधि भी डलहौजी के पंजपुला में बनी है।

  • पवित्र पापी तथा एक चादर मैली सी नामक पिक्चरें डलहौज़ी में बनाई
    नानक सिंह, प्रसिद्ध पंजाबी लेखक ने डलहौजी में रहते हुए अनेक कहानियां व उपन्यास लिखे। उनके उपन्यासों पर ही तो पवित्र पापी तथा एक चादर मैली सी पिक्चरें बनाई गईं। स्वामी सत्यानंद जी, राम शणाम् के संस्थापक को डलहौजी में ही राम नाम की सिद्धि प्राप्त हुई थी तथा उन्होंने भी यहां की बकरोटा पहाड़ी पर अंतिम सांस ली, जहां पर उनका आश्रम है, जिसका संचालन भक्त हंस राज कर रहे हैं। महाराज सावन सिंह जी ब्यास के संस्थापक ने यहां एलिस मेयर कोठी खरीदी तथा इसमें बहुत बार रहे भी।

    अंग्रेजों ने अपने उपयोग के लिए निर्मित किया था डलहौज़ी हिलस्टेशन

    अंग्रेजों ने अपने उपयोग के लिए निर्मित किया था डलहौज़ी हिलस्टेशन

  • अंग्रेजों ने अपने उपयोग के लिए निर्मित किया था डलहौज़ी हिलस्टेशन
    स्मरण रहे कि अंग्रेजों ने ही पांच पहाडिय़ों को मिलाकर 155 वर्ष पूर्व इस स्वास्थ्य वर्धक नगर की स्थापना की थी। ये पांच पहाडिय़ां हैं-बकरोटा, टीहरा, पतरैन, पंजपुला तथा कथलग। इस हिलस्टेशन को अंग्रेजों ने अपने उपयोग के लिए निर्मित किया तथा जब तक वे भारत में रहे, इसका भरपूर लाभ उठाया।

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