- भारत के 27 केंद्रों में जीता प्रथम पुरस्कार
सोलन: डॉ. वाईएस परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय,नौणी के एपिकल्चर रिसर्च सेंटर को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा वर्ष 2016-18 के लिए ‘सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान केंद्र’ चुना गया है। विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान के अंतर्गत यह मधुमक्खियों और परागण पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (एआईसीआरपी-एचबी॰एंड॰पी) का सोलन केंद्र आता है। यह लगातार दूसरा वर्ष है जब इस केंद्र ने यह पुरस्कार अपने नाम किया है।
यह पुरस्कार हाल ही में आईसीएआर द्वारा नागालैंड विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान और ग्रामीण विकास स्कूल में आयोजित मधुमक्खियों और परागण पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की द्विवार्षिक समूह बैठक में दिया गया। इस बैठक में देश भर के 27 एआईसीआरपी केंद्रों के वैज्ञानिकों ने भाग लिया और अपना कार्य प्रस्तुत किया। नौणी विवि के केंद्र से वैज्ञानिक डॉ॰ हरीश कुमार शर्मा, डॉ॰ किरण राणा और डॉ॰ मीना ठाकुर बैठक में शामिल हुए।
आईसीएआर के सहायक महानिदेशक डॉ॰ पीके चक्रवर्ती ने मधुमक्खी पालन विशेषज्ञ और (एआईसीआरपी-एचबी॰एंड॰पी) के भूतपूर्व राष्ट्रीय समन्वयक डॉ॰ आर॰के ठाकुर और डॉ॰ आरसी मिश्रा की मौजूदगी में यह पुरस्कार प्रदान किया। डॉ॰ आर॰के ठाकुर,जो वर्तमान में विवि में संयुक्त निदेशक (संचार) के रूप में कार्यरत हैं, ने भी कार्यक्रम के दौरान मुख्य व्याख्यान दिया।
इस अवसर पर नौणी विवि के मधुमक्खी पालन केंद्र के प्रधान अन्वेषक डॉ॰ हरीश शर्मा ने बताया कि केंद्र एपिकल्चर के विविध पहलुओं में अनुसंधान में जुटा हुआ है, जिसमें प्रबंधित मधुमक्खी परागण,मधुमक्खी वनस्पति विज्ञान, मधुमक्खी प्रजनन, मधुमक्खी के रोगों की पहचान और उनके प्रबंधन और मधुमक्खी के छते से उत्पाद बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का मानकीकरण शामिल है। यह देश का एकमात्र केंद्र है जहां भौंरा पालन और संरक्षित खेती में इसके उपयोग को भी मानकीकृत किया गया है। विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग द्वारा किए गए कार्यों के बारे में बताते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. दिवेन्द्र गुप्ता ने बताया कि यह केंद्र हिमाचल प्रदेश में परागण प्रबंधन पर विशेष जोर देने के साथ-साथ, राज्य में कृषि का समग्र उत्थान पर भी कार्य कर रहा है। शहद उत्पादन और परागण क्षमता बढ़ाने के लिए उच्च गुणवत्ता रानियों के उत्पादन के लिए तकनीकी बैकअप के माध्यम से राज्य और क्षेत्र में मधुमक्खी पालकों की स्थापना करने में केंद्र विशेष योगदान दे रहा है। इसके अलावा, विश्वविद्यालय देश खासतौर पर उत्तर-पूर्व के मधुमक्खी पालकों को रानी प्रजनन और मधुमक्खी प्रजनन पर विशेष प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। नौणी विवि के कुलपति डॉ॰ एचसी शर्मा और औदयानिकी महाविद्यालय के डीन डॉ॰ राकेश गुप्ता ने सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी।