प्रसार सुधार (आत्मा) योजना के अन्तर्गत 3133.47 लाख रूपये की योजना अनुमोदित

प्रसार सुधार (आत्मा) योजना के अन्तर्गत 3133.47 लाख रूपये की योजना अनुमोदित

शिमला: प्रसार सुधार (आत्मा) योजना प्रदेश के सभी जिलों में चल रही है। यह केन्द्रीय प्रायोजित योजना है जिसमें 90 प्रतिशत खर्चा केन्द्रीय सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है तथा शेष 10 प्रतिशत प्रदेश सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है।

प्रधान सचिव कृषि ओंकार चन्द शर्मा की अध्यक्षता में अन्तर विभागीय कार्य समूह की एक बैठक आज शिमला में आयोजित की गई। वहीं इस बैठक में वर्ष 2019-20 की राज्य प्रसार – अनुसंधान योजना पर विस्तृत चर्चा की गई तथा चर्चा के बाद 3133.47 लाख रूपये की योजना का अनुमोदन किया गया। बैठक में विभिन्न विभागों से आये हुए अधिकारियों ने भाग लिया। यह जानकारी प्रदेश कृषि निदेशक डॉ. देस राज शर्मा ने देते हुए बताया कि बैठक में इस वर्ष की राज्य कृषि कार्य योजना पर भी चर्चा की गई तथा अब तक की गई प्रगति पर भी संतोष व्यक्त किया।

डॉ. देस राज शर्मा ने आगे बताया कि योजना के अन्तर्गत किसानों को विभिन्न प्रकार की सुविधायें दी जा रही हैं। किसानों को राष्ट्र स्तरीय प्रशिक्षण हेतु 1,250 रूपये, राज्य स्तरीय प्रशिक्षण हेतु 1,000 रूपये व जिला स्तरीय प्रशिक्षण हेतु 400/ 250 रूपये प्रति दिन प्रति किसान की सहायता दी जा रही है। कृषि व कृषि सम्बद्ध क्षेत्रों में प्रदर्शन हेतु 4,000 रूपये प्रति प्रदर्शन की सहायता उपलब्ध है। किसान समूहों जैसे कि किसान रुचि समूहों, महिला समूहों, किसान संगठनों आदि को प्रोत्साहित करने हेतु भी सहायता उपलब्ध है। किसानों में क्षमता/दक्षता विकास आदि हेतु 5,000 रूपये प्रति समूह प्रति वर्ष की सहायता दी जा रही है। कृषि व सम्बद्व क्षेत्रों से जुड़े श्रेष्ठ किसानों को विभिन्न स्तरों पर सम्मानित किये जा रहे हैं। जिला स्तरीय प्रदर्शन, किसान मेलों, फल व सब्जी प्रदर्शनियों का आयोजन किया जा रहा है। किसानों वैज्ञानिकों की 2 दिनों की जिला स्तरीय चर्चा के आयोजन हेतु 20,000 रूपये प्रति चर्चा तथा अनुसंधान – प्रसार – किसान कड़ी को मजबूत करने हेतु किसान गोष्ठियों के आयोजन हेतु 15,000 रूपये प्रति कार्यक्रम का प्रावधान है। कृषि पाठशाला के आयोजन हेतु 29,000 रूपये प्रति पाठशाला का प्रावधान है।

डॉ. शर्मा ने आगे बताया कि इस योजना का उदेश्य नई संस्थाओं का गठन व नई कार्य संचालन प्रक्रियाओं को बढ़ावा देना है न कि मात्र मौजूदा प्रसार पद्धति को सशक्त करना है।

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