शिमला: पर्यटन, आतिथ्य, रिसोर्ट, फार्मास्यिटिकल, एमएसएमई, इंजीनियरिंग उपकरण, सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य तथा वैलनेस केन्द्र, हर्बल एवं आयुर्वेद आधारित परियोजनाएं, बागवानी, ऊर्जा क्षेत्र, खाद्यान प्रसंस्करण, रियल एस्टेट, शिक्षा इत्यादि क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित करने में राज्य की अपार क्षमता का दोहन करने के लिए मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर की अध्यक्षता में आज यहां राज्य मंत्रिमण्डल ने कांगड़ा जिला के अन्तरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल धर्मशाला में 11 व 12 जून, 2019 को वैश्विक इन्वेस्टर मीट आयोजित करने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश को लगभग सभी क्षेत्रों में अपार क्षमता का वरदान है, लेकिन योजनाबद्ध ढंग से इसके उपयोग की आवश्यकता है ताकि पर्यावरण तथा इसकी नाजुक पारिस्थितिकी के साथ किसी प्रकार का भेदभाव व छेड़-छाड़ न हो। उन्होंने कहा कि अभी तक सम्बन्धित विभागों द्वारा 85000 करोड़ रुपये की निवेश क्षमता चिहिन्त तथा प्रस्तावित की जा चुकी है, जिसमें ऊर्जा क्षेत्र में 20000 करोड़, निर्माण क्षेत्र में 15000 करोड़, पर्यटन क्षेत्र में 10000 करोड़, कृषि क्षेत्र में 5000 करोड़, सूचना-प्रौद्योगिकी, इलैक्ट्रॉनिकस तथा कौशल विकास क्षेत्र में 5000 करोड़, आवास तथा रियरल एस्टेट क्षेत्र में 5000 करोड़, स्वास्थ्य तथा आयुर्वेद क्षेत्र में 5000 करोड़ तथा अधोसंरचना लॉजिस्टिक तथा लोक निर्माण विभाग में 2000 करोड़ की निवेश क्षमता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में निवेश करने वाले सम्भावित उद्यमियों को हर सम्भव सहायता करेगी। उन्होंने कहा कि बोर्ड ऑफ गवर्नर्ज के साथ एकल खिड़की एजेंसी बनाकर हिमाचल प्रदेश निवेश संवर्धन नीति बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह राज्य में निवेश में तेजी लाने में सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि इन्वेस्टर मीट के लिए कॉमन वैबसाईट नए ढंग से तैयार की जानी चाहिए ताकि निवेशकों को बटन क्लिक करने पर राज्य की क्षमता का पता लगाने में कठिनाई न हो।
मुख्यमंत्री ने उपायुक्तों को उनके सम्बन्धित जिलों में विशिष्ट जलवायु, स्थान तथा क्षमता के साथ ‘लैण्ड बैंक’ की पहचान करने को कहा ताकि निवेशक जलवायु के अनुरूप अपनी इकाइयां स्थापित कर सकें।
सभी निवेश प्रस्तावों को आठ व्यापक क्षेत्रों क्रमशः कृषि व्यवसाय, निर्माण, पर्यटन एवं अतिथ्य, ऊर्जा, स्वास्थ्य देखभाल एवं वैलनेस, बुनियादी ढांचे एवं लॉजिस्टिक तथा सूचना प्रौद्योगिकी, इलैक्ट्रॉनिक्स व आवास एवं रियल एस्टेट में शामिल करने का निर्णय लिया गया है। सभी विभागों को वैश्विक मीट को सफल बनाने के लिए कार्य की समयबद्ध योजनाएं तैयार करने तथा एजेण्डा में सुधार के निर्देश दिए गए है। इन कदमों में नए निवेश के लिए क्षेत्रों की पहचान, निवेश योग्य परियोजनाओं की सूची तैयार करना और सम्भावित उद्यमियों को प्रदान की जाने वाली नई परियोजनाओं के लिए लैंड बैंक तैयार करना तथा नियामक अनुमोदन प्राप्त करने के लिए प्रक्रिया के सरलीकरण तथा और अधिक आकर्षित बनाने के उद्देश्य से नीतियों तथा योजनाओं की समीक्षा शामिल हैं। सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यमियों के लिए एक नई नीति तैयार करने का भी निर्णय लिया गया है, क्योंकि इसमें प्रदेश में बहुत बड़ा निवेश होता है। निवेशकों की बैठक आयोजित करने के लिए भारतीय उद्योग संघ राज्य का राष्ट्रीय भागीदार होगा।
उपरोक्त कार्य योजना समस्त हितधारकों तथा सम्भावित उद्यमियों के बीच घनिष्ठ परामर्श तथा तालमेल से हासिल की जाएगी। इस उद्देश्य के लिए राज्य में पांच छोटे सम्मेलन आयोजित करना प्रस्तावित है। पर्यटन एवं आतिथ्य सत्कार के लिए मिनी कॉन्क्लेव धर्मशाला में आयोजित की जाएगी, ऊर्जा तथा खाद्य प्रसंस्करण के लिए शिमला में, निर्माण तथा फार्मा बद्दी में तथा स्वास्थ्य देखभाल, आयुष, सूचना प्रौद्योगिकी तथा इलैक्ट्रॉनिक्स के लिए मण्डी में जबकि साहसिक पर्यटन और लघु उद्योगों के लिए मनाली में आयोजित की जाएगी। देश के प्रमुख व्यापारिक केन्द्रों में छः राष्ट्रीय सड़क-शो आयोजित किए जाएंगे जहां राज्य की सर्वोत्तम सुविधाओं तथा इसकी निवेश क्षमता का प्रदर्शन किया जाएगा। विदेशों में दो या तीन रोड़ शो आयोजित किए जाएंगे तथा दिल्ली आधारित 40 से 50 विदेशी मिशनों को शामिल कर नई दिल्ली में राजदूतों का सम्मेलन किया जाएगा। धर्मशाला में आयोजित किया जाने वाला दो दिवसीय मुख्य सम्मेलन में भारतीय उद्योग तथा व्यापारिक घरानों के शीर्ष व्यवसायियों के अलावा विदेशी प्रतिनिधि, केन्द्र तथा राज्य मंत्री और सरकार के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।
सभी मंत्रियों ने हिमाचल प्रदेश को इसकी पूर्ण क्षमता तथा प्राकृतिक भव्यता को टैप करके इसे देश का एक व्यवहार्य, आत्मनिर्भर तथा प्रगतिशील राज्य बनाने के सत्र में अपने बहुमूल्य सुझाव दिए।