गांवों में सौर बिजली सुविधा की जानी चाहिए प्रदान : मुख्यमंत्री

  • मुख्यमंत्री ने की पर्वतीय क्षेत्रों में अलग से ऊर्जा ट्रांसमिशन नीति की वकालत
  • राज्य ने किया अभी तक 10500 मेगावाट विद्युत क्षमता का दोहन: डॉ. बाल्दी
  • पहाड़ी राज्य होने के नाते यहां ऊर्जा ट्रांसमिशन लाइनों के निर्माण के लिए विशेष डिज़ाईन की आवश्यकता : नन्द लाल शर्मा

शिमला: मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर आज यहां केन्द्रीय सिंचाई एवं ऊर्जा बोर्ड तथा सीआईजीआरई-इण्डिया द्वारा हिमाचल प्रदेश ऊर्जा संचरण निगम सीमित के संयुक्त तत्वाधान में ‘पर्वतीय क्षेत्र में ट्रांसमिशन लाईनों के निर्माण में चुनौतियां’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता की।

मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों के लिए अलग से लागत प्रभावी तथा विश्वसनीय ऊर्जा संचरण एवं वितरण प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है, जो उपभोक्ताओं को निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में ऊर्जा क्षेत्र तेजी के साथ विकसित हो रहा है तथा सम्मेलन नवीनतम तकनीकों पर खुली परिचर्चा तथा सूचना के आदान-प्रदान के लिए मंच प्रदान करेगा, जो ऊर्जा क्षेत्र में हो रही उन्नति के अनुरूप नवाचारों तथा नवीनतम ज्ञान हासिल करने के लिए पेशेवरों के लिए अति-आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ढ़लानों का ठहराव, भूःस्खलन, ग्लेशियर जैसे मुददों का प्रभावी समाधान आवश्यक है।

जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य ऊर्जा संचरण निगम सीमित राज्य में जल विद्युत परियोजनाओं के लिए ट्रांसमिशन प्रणाली को विकसित कर रहा है। उन्होंने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में ट्रांसमिशन लाइनें बिछाना मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा काफी कठिन है, इसलिए उपभोक्ताओं को विश्वसनीय, निर्बाध तथा लागत प्रभावी विद्युत आपूर्ति प्रदान करने के लिए विशेष कार्यनीति तैयार करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि लगभग 10 हजार मेगावाट क्षमता की जल विद्युत परियोजना क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में है और यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे है कि यह सभी परियोजनाएं शीघ्र आरम्भ की जा सकें। हिमाचल प्रदेश का 1988 में शत-प्रतिशत विद्युतीरकण हो चुका था। उन्होंने कहा कि पूरी हो चुकी जल विद्युत परियोजनाओं से प्रभावी विद्युत प्राप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने वन वैली वन लाइन पर बल दिया। उन्होंने कहा कि राज्य में सौर ऊर्जा को प्रोत्साहित करने के भी प्रयास किए जा रहे हैं और उनका मानना है कि गांवों में सौर बिजली सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सम्मेलन की कार्यवाही को भी जारी किया।

बहुद्देशीय परियोजनाएं एवं ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के दूरदर्शी नेतृत्व में हिमाचल को देश का ‘ऊर्जा राज्य’ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार ने राज्य में ऊर्जा उत्पादकों को अनेक प्रोत्साहन सुनिश्चित करने के लिए नई ऊर्जा नीति तैयार की है। राज्य सरकार उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति प्रदान करने के लिए भी कृतसंकल्प है।

अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं हि.प्र. राज्य विद्युत बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. श्रीकान्त बाल्दी ने कहा कि राज्य ने अभी तक 10500 मेगावाट विद्युत क्षमता का दोहन कर लिया है। उन्होंने कहा कि राज्य ने नई ऊर्जा नीति भी तैयार की है।

एसजेवीएनएल के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक नन्द लाल शर्मा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 27000 मेगावाट की विद्युत क्षमता मौजूद है, जो देश की कुल क्षमता का एक चौथाई है। उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्य होने के नाते यहां ऊर्जा ट्रांसमिशन लाइनों के निर्माण के लिए विशेष डिज़ाईन की आवश्यकता है।

निदेशक केन्द्रीय सिंचाई एवं ऊर्जा बोर्ड पी.पी. वाही ने कहा कि हमारे देश में भिन्न-भिन्न भौगोलिक परिस्थितियां हैं जिनके चलते विभिन्न भागों में अलग-अलग मौसम रहता है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों में ट्रांसमिशन लाइनों के निर्माण में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए एक उपयुक्त नीति तैयार की जाए।

हि.प्र. ऊर्जा संचरण निगम के प्रबन्ध निदेशक आर.के. शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

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