शिमला : राजधानी शिमला में स्थित सेंट्रल जेल कंडा में बेगुनाह होने के बावजूद दुष्कर्म जैसे संगीन आरोप में सात साल की सजा पाने वाले युवक ने जेल में प्रशासनिक सेवा परीक्षा (यूपीएससी) की किताब लिख डाली। जिला शिमला के चौपाल के मंडोल निवासी विक्रम खिमटा (26) ने जेल में भी पढ़ाई-लिखाई नहीं छोड़ी। किताब लिखने के बाद खुद भी आईएएस की तैयारी कर रहा है। तीन नवंबर 2018 को सजा के दो साल बाद हिमाचल हाईकोर्ट ने विक्रम पर लगे सभी आरोपों को तथ्यहीन करार देते हुए बाईज्जत बरी कर दिया। जेल से बाहर आने के बाद मंगलवार को रिज मैदान स्थित बुक कैफे में डीजी जेल सोमेश गोयल ने विक्रम की लिखी किताब ‘कंपीटीशन कंपेनियन’ का विमोचन किया और उनकी पीठ थपथपाई। विक्रम खिमटा को सितंबर 2016 में ट्रायल कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत दोषी ठहराया था। कोर्ट ने सात साल की सजा सुनाई। सजा काटने के लिए कंडा जेल लाया गया। शुरू से ही प्रशासनिक अधिकारी बनने का सपना संजोए विक्रम ने निचली अदालत से 7 साल की सजा मिलने के बाद भी अपने सपने को नहीं छोड़ा और पढ़ाई जारी रखी।
विक्रम का कहना है कि भले ही वह जेल में रहे, लेकिन उन्होंने अपना भविष्य कालकोठरी में बर्बाद नहीं किया। वह कहते है कि जेल ने उनको बहुत कुछ दिया और जेल में ही किताब को लिख पाए। वह इसके लिए लिए जेल विभाग का भी धन्यवाद करते हैं।