मुख्यमंत्री का अहम बयान: प्रदेश में भांग की खेती को मान्यता दी जाएगी या नहीं…

  • नशे के विरूद्ध चलाया जाएगा प्रदेशव्यापी अभियान : मुख्यमंत्री
  • सामाजिक क्षेत्र में विद्यार्थी परिषद का योगदान अहम्

शिमला: नशा एक गंभीर सामाजिक समस्या है और इस बुराई को रोकने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को आगे आकर अपना योगदान देने की आवश्यकता है। यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज यहां ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में सुनील उपाध्याय ऐजुकेशनल ट्रस्ट द्वारा आयोजित सुनील उपाध्याय की पुण्य तिथि के उपलक्ष्य पर ‘ध्येय युक्त, नशा मुक्त-हिमाचल’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कही।

इस दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मीडिया से को बताया कि हिमाचल में भांग की खेती को वैध करने के लिए सरकार कानूनी पहलुओं पर अध्ययन कर रही है। उन्होंने कहा कि भांग की खेती को मान्यता दी जा सकती है या नहीं सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद ही कोई फैसला लिया जा सकता है। कांग्रेस, माकपा और कई संगठन भांग की खेती को कानूनी मान्यता देने की पिछले लंबे समय से मांग उठा रहे हैं। सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि इस विषय के कानूनी और व्यवहारिक पहलू को देखते हुए ही सरकार निर्णय लेगी लेगी।

बता दें कि लंबे समय से भांग की खेती को लीगल करने की मांग उठ रही है। पूर्व विधायक महेश्वर सिंह, कुल्लू के विधायक सुंदर ठाकुर भी मांग उठा चुके हैं। शिमला के गेयटी थियेटर में सुनील उपाध्याय की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य पर ‘ध्येय युक्त, नशा मुक्त-हिमाचल’ विषय पर संगोष्ठी में शिरकत करने के बाद मीडिया के सवाल का जवाब दिया।

सीएम ने कहा कि प्रदेश में नशे के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया जाएगा। नशीले पदार्थों के सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में शिक्षण संस्थानों से लेकर सभी क्षेत्रों में बच्चों, युवाओं व समाज के सभी लोगों को जागरूक किया जाएगा। जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य में नशीले पदार्थों के अवैध कारोबार के एक-तिहाई मामले पड़ोसी राज्यों के लोगों पर दर्ज होते हैं, जो चिंता का कारण है। उन्होंने कहा कि पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा और चंडीगढ़ के साथ मिलकर नशे के खात्मे के लिए रणनीति बनाई है।  भांग की खेती को वैध बनाने के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि इसका उपयोग ज्यादातर दवाई में होता है।

दूसरा जुलाई 2018 में उत्तराखंड में कुछ किसानों को लाइसेंस दिए गए हैं जो भाग के रेशो से धागे बनाएंगे। यहां भांग की खेती कामर्शियल तरीके से होगी। भांग की खेती पर प्रतिबंध से हिमाचल के ऊंचे इलाकों के किसान आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं। इससे अवैध नशे के कारोबार पर भी रोक लगेगी। कुल्लू, शिमला, मंडी, सिरमौर और सोलन के अलावा कई जिलों में अवैध तरीके से भांग की खेती की जाती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार बड़ी संख्या में युवाओं द्वारा नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर चिंतित है और लगातार इस बुराई पर अंकुश लगाने के प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा हालांकि नशीले पदार्थों की तस्करी और इनके दुरूपयोग पर अनेक कानून बनाए गए हैं, लेकिन इन्हें प्रभावी ढंग से लागू करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा यदि आवश्यकता पड़ी तो कानून को और अधिक सख्त बनाया जाएगा ताकि युवा पीढ़ी के दुश्मनों को सलाखों के पीछे पहुंचाया जा सके।

जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य में नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार के एक-तिहाई मामले पड़ौसी राज्यों के दर्ज होते हैं जो प्रदेश के लिए और भी चिंता का कारण है। उन्होंने कहा कि नशे की समस्या से निपटने के लिए एक संयुक्त रणनीति तैयार करने के उद्देश्य से उनके निजी आग्रह पर पंजाब, हरियाणा तथा उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्रियों के साथ चण्डीगढ़ में बैठक का आयोजन किया गया था। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि अन्य बड़े अभियानों की तरह देशभर में नशीले पदार्थों के विरूद्ध भी एक वृहद अभियान चलाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस बुराई को जड़ से समाप्त करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को सहयोग करना होगा और इसकी शुरूआत अपने घर-परिवार से करनी होगी।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में नशे के विरूद्ध एक बड़ा अभियान चलाया जाएगा और इस दौरान नशीले पदार्थों के सेवन से होने वाले नुकसान बारे शिक्षण संस्थानों से लेकर सभी क्षेत्रों में बच्चों, युवाओं व समाज के सभी लोगों को जागरूक किया जाएगा। उन्होंने लोगों से इस अभियान में बढ़-चढ़ कर भाग लेकर समाज की बेहतरी में अपनी भूमिका का निर्वहन करने की अपील की।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सुनील उपाध्याय को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वह एक बहुआयामी व्यक्तित्व थे और विचारधारा को लेकर समाज और प्रदेश के लिए उनका योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने छोटी सी आयु में पूरी छात्र राजनीति को प्रभावित किया और प्रदेश में संगठन की एक मजबूत नींव रखी। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण नहीं है कि व्यक्ति की आयु कितनी रही है, बल्कि यह मायने रखता है कि सामाजिक सरोकार में उसका क्या योगदान रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मण्डी कालेज में पढ़ाई के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की एक बैठक में उनका सुनील उपाध्याय से मिलना हुआ था और वे पल आज भी उन्हें याद हैं।

 

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