अर्ध-शुष्क और रेगिस्तान क्षेत्रों के लिए एनवीस क्षेत्रीय मूल्यांकन और प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित

  • डॉ. सुब्रमण्यम ने की हिमकोस्ट के सदस्य सचिव कुणाल सत्यार्थी और एजीसैक टीम के प्रयासों की सराहना

शिमला: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी), भारत सरकार के सहयोग से हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद (हिमकोस्ट) द्वारा 2 और 3 नवंबर को प्राकृतिक संसाधनों के सतत प्रबंधन के लिए अर्ध-शुष्क और रेगिस्तान क्षेत्रों और ग्रिड आधारित निर्णय समर्थन प्रणाली (जीआरआईडीएसएस) पर शिमला के कुफरी में दो दिवसीय एनवीस क्षेत्रीय मूल्यांकन और प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई।

इस कार्यशाला में चंडीगढ़, पंजाब, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली में स्थित नौ एनवीस केंद्रों से एमओईएफसीसी, समन्वयक और वैज्ञानिकों के लगभग 40 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला में दो घटक शामिल हुए जिसमें विभिन्न एनवीस केंद्रों के प्रदर्शन की व उनकी वार्षिक गतिविधियों के आधार पर मूल्यांकन और रिमोट सेंसिंग, जीआईएस तकनीकों के माध्यम से प्राकृतिक संसाधन डेटा के संकलन पर इन केंद्रों के अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

ग्रिड्स योजना के तहत, भारत में 76 एनवीस केंद्रों में से प्रत्येक को सभी प्राकृतिक संसाधनों के लिए एक जिले का चयन करने के लिए कहा गया है। हिमाचल प्रदेश एनवीस हब ने शुरुआत में कुल्लू जिले का चयन किया है और वन संसाधन, नदियों और विभिन्न सुविधाओं जैसे प्राकृतिक संसाधनों का मानचित्रण किया गया है। सभी संसाधनों की चित्रमय प्रस्तुति के लिए आवश्यक है और समय के साथ किसी भी क्षेत्र में विभिन्न मानकों के तुलनात्मक अध्ययन करने के लिए एक आसान मंच प्रदान करता है। हिमाचल प्रदेश एनवीस हब अब चंबा, शिमला और सिरमौर जिलों के मानचित्रण करने का प्रस्ताव कर रहा है।

पहली बार एमओईएफसीसी द्वारा प्रदेश में एनवीस क्षेत्रीय मूल्यांकन और प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित

एनवीस क्षेत्रीय मूल्यांकन और प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन हिमाचल प्रदेश में पहली बार एमओईएफसीसी द्वारा किया गया। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) के प्रिंसिपल एडवाइजर डॉ. आनंदी सुब्रमण्यम भारत सरकार, ने उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि के रूप में शिकरत कर कार्यशाला की अध्यक्षता की। जेम्स मैथ्यू, उप महानिदेशक, नई दिल्ली और कुमार रजनीश, राष्ट्रीय कार्यक्रम समन्वयक ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी), भारत सरकार की ओर से इस कार्यक्रम का समन्वय किया।

 इस दौरान डॉ. सुब्रमण्यम ने कहा कि जीएसडीपी प्रशिक्षण ने विभिन्न राज्यों के अधिक प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित करने का अवसर दिया है। उन्होंने अधिकारियों, वैज्ञानिकों, एनवीस संसाधन भागीदारों और 35 जीएसडीपी भागीदारों की सराहना की कि वे एक वर्ष की अवधि में इस ऊंचाई तक पहुंच सकें। उन्होंने कुणाल सत्यार्थी, सदस्य सचिव, हिमकोस्ट और एजीसैक टीम के प्रयासों की सराहना की।

कुणाल सत्यार्थी, सदस्य सचिव, हिमाचल प्रदेश के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद (हिमकोस्ट) ने भौगोलिक सूचना सैमेट आधारित सूचना की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला, जिसमें एनवीस की भूमिका प्रासंगिक है। उन्होंने जीएसडीपी पाठ्यक्रम-पैरा वर्गीकरण की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने राष्ट्रीय पर्यावरण सर्वेक्षण पर प्रकाश डाला- उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के सतत प्रबंधन के लिए एक ग्रिड आधारित निर्णय समर्थन प्रणाली (जीआरआईडीएसएस) शुरू कर दी गई है।

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