- वन अग्नि प्रबंधन को मजबूत करने पर विश्व बैंक की रिपोर्ट को जारी करने को क्षेत्रीय स्तरीय कार्यशाला की गई आयोजित
- कार्यशाला में उत्तराखण्ड, जम्मू व कश्मीर, हिमाचल प्रदेश के वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा विश्व बैंक की टीम व भारतीय सर्वेक्षण संस्थान देहरादून के प्रतिनिधियों ने लिया भाग
- वनों में आगजनी की घटनाओं से निपटने के लिए जन सहभागिता आवश्यक : गोविंद सिंह
- राज्य सरकार वनों के संवर्द्धन में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों व अधिकारियों को पुरस्कृत करने की योजना पर कर रही है विचार : गोविंद सिंह
- विश्व बैंक की रिपोर्ट की संस्तुतियों पर प्रभावी ढंग से होगा काम : अजय शर्मा
शिमला: वनों में आगजनी की घटनाओं पर काबू पाने के लिए स्थानीय लोगों की भूमिका महत्वपूर्ण है और उनके सहयोग के बिना ऐसी घटनाओं से निपटना संभव नहीं है। यह बात वन, पर्यावरण, परिवहन व खेल मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर ने आज यहां वन अग्नि प्रबंधन को मजबूत करने पर विश्व बैंक की रिपोर्ट को जारी करने के लिए आयोजित क्षेत्रीय स्तरीय कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कही। कार्यशाला में उत्तराखण्ड, जम्मू व कश्मीर, हिमाचल प्रदेश के वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा विश्व बैंक की टीम व भारतीय सर्वेक्षण संस्थान देहरादून के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
वन मंत्री ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों के जंगलों में आगजनी की घटनाएं लगभग एक सी हैं और इनसे निपटने के लिए अलग-अलग प्रदेशों ने जो तंत्र विकसित किए हैं, उनमें से प्रभावी रणनीति को आपसी ताल-मेल से दूसरे प्रदेशों को भी अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वनों में आग की 90 प्रतिशत घटनाएं स्थानीय लोगों के कारण होती हैं। अधिकतर क्षेत्रों में घास की पैदावार के लिए वनों को आग के हवाले कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि लोगों को जंगलों के महत्व के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है।
गोविंद सिंह ने कहा कि वनों में आग से निपटने के लिए बेशक कागजों में बहुत कुछ प्रगति दिखती है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर लोगों को व्यवहारिक तौर पर कारवाई दिखाना आवश्यक है और इसके लिए समुदायों को तैयार करना पड़ेगा तभी रणनीति परिणामोन्मुखी होगी। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को वनों की आग की समस्या से निपटने के लिए अभी से तैयारियां शुरू करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आगजनी की अधिक घटनाएं 15 अप्रैल से लेकर 15 जुलाई की बीच होती हैं और इसके लिए हर तरह की रणनीति अभी से तैयार की जानी चाहिए। यह उचित नहीं है कि आग लगने के बाद उसे बुझाने के तरीकों पर मंथन किया जाए, तब तक करोड़ों की वन संपदा नष्ट हो चुकी होती है।
वन मंत्री ने कहा कि इस वर्ष राज्य में रैपिड रिस्पांस फोर्स का गठन किया गया और प्रदेशभर में 13500 लोगों ने इसमें अपना पंजीकरण करवाया। उन्होंने कहा कि राज्य में वन विभाग का इतना बड़ा नेटवर्क है और वह इस फोर्स से संतुष्ट नहीं है। इसमें कम से कम 50000 से अधिक लोगों का पंजीकरण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वनों में आग की घटनाएं चिंता की बात है और यह बड़ा पाप भी है। इसमें लाखों-करोड़ों जीव-जंतु, पशु-पक्षी मर जाते हैं और पर्यावरण को भी बड़ा नुकसान पहुंचता है। उन्होंने कहा कि महिलाएं वनों में आगजनी की घटनाओं को रोकने में बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने अधिकारियों से मण्डल स्तर पर महिला मण्डलों, युवक मण्डलों व पंचायती राज संस्थानों के प्रतिनिधियों को वनों के महत्व बारे तथा आग की घटनाओं से निपटने बारे जागरूक करने के लिए बड़े पैमाने पर प्रदेशभर में प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन करने को कहा।
गोविंद सिंह ने कहा कि इस वर्ष 12 से जुलाई तक प्रदेश में पौधरोपण को लेकर एक वृहद अभियान चलाया गया। अभियान में वह स्वयं, विधायकगण तथा राज्य वन विभाग के सभी वरिष्ठ अधिकारी सक्रिय तौर पर उतरें और महज तीन दिनों में 17.54 लाख पौधों का रोपण किया गया। इसमें 68000 लोगों की सहभागिता रिकार्ड की गई। उन्होंने कहा कि आगामी फरवरी माह तक लगभग 80 लाख पौधों का रोपण कार्य पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वन आवरण में वृद्धि को लेकर केन्द्र सरकार भी चिंतित है और वनीकरण की अनेक परियोजनाएं प्रदेश के लिए स्वीकृत की गई हैं और विश्व बैंक भी मदद कर रहा है। उन्होंने अधिकारियों से सभी परियोजनाओं पर प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर लक्ष्यों को हासिल करने को कहा। उन्होंने कहा कि जंगलों की रक्षा हमारा ध्येय है और हम सब ईमानदारी के साथ इनका सरंक्षण करें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार वनों के संवर्द्धन में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों व अधिकारियों को पुरस्कृत करने की योजना पर विचार कर रही है। उन्होंने इस अवसर पर भारत में वन अग्नि प्रबंधन को मजबूत करने पर विश्व बैंक की क्षेत्रीय रिपोर्ट को भी जारी किया।
विश्व बैंक दल में वरिष्ठ पर्यावरण विशेषज्ञ पियूष डोगरा तथा अर्थशास्त्री उर्वशी नारायण ने इस अवसर पर विश्व बैंक द्वारा भारत में वन अग्नि प्रबंधन को मजबूत करने पर तैयार की गई रिपोर्ट की संस्तुतियों पर विस्तृत प्रस्तुति दी।
उत्तराखण्ड के सहायक प्रधान सचिव वन विनीत पांकी, जम्मू-कश्मीर की प्रतिनिधि सहायक वन अरण्यपाल श्वेता देवी तथा हिमाचल प्रदेश वन विभाग के मुख्य वन अरण्यपाल आलोक नागर ने अपने-अपने प्रदेशों में वन्य अग्नि की घटनाओं से निपटने के लिए इस्तेमाल की जा रही तकनीकों पर प्रस्तुतियां दी। भारतीय सर्वेक्षण संस्थान देहरादून से आए ई. बिक्रम ने भी अपनी प्रस्तुति दी।
मुख्य प्रधान वन अरण्यपाल अजय शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वनों पर वॉल्टिक दबाव बहुत बड़ी चुनौती है और वन आवरण में वृद्धि के साथ-साथ मौजूदा वन संपदा का संरक्षण बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष कैम्पा के तहत आग नियंत्रण के लिए 1.50 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान है। उन्होंने कहा कि विश्व बैंक की रिपोर्ट की संस्तुतियों पर प्रभावी ढंग से कार्य किया जाएगा।